चेन्नई : सुपरस्टार कमल हासन ने ‘बढती असहिष्णुता’ के खिलाफ पुरस्कार लौटाने वालों के खिलाफ मजबूती से उतरते हुए हैरानी जताई कि यदि ऐसे कार्य कुछ हासिल कर सकते हैं तो महात्मा गांधी ने अंग्रेजों का विरोध करने के लिए कानून की अपनी ब्रिटिश डिग्री क्यों नहीं लौटाई.
पुरस्कार लौटाने वालों के साथ नहीं उतरने के अपने फैसले पर अडिग रहते हुए और गैर जिम्मेदार और असंवेदनशील होने के आरोपों से बेपरवाह अभिनेता ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि पुरस्कार लौटाए जाने का कार्य किसी समाधान तक ले जाएगा. आज 61 साल के हुए हासन ने कहा, ‘गांधीजी अंग्रेजों के खिलाफ खडे हुए, उनकी कानून की डिग्री अंग्रेजों द्वारा दी गई थी, क्या उन्होंने इसे वापस किया. आप अपने पुरस्कार लौटा कर क्या हासिल करने जा रहे हैं?’
उन्होंने कहा, ‘मुझे मिला सम्मान सरकार ने नहीं दिया, बल्कि जूरी ने दिया है, मैं उन्हें अपमानित नहीं करुंगा.’ हासन ने यहां अपने जन्मदिन पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि यदि असहिष्णुता बढ रही है तो मैं इसके खिलाफ आवाज उठा रहा हूं, यह वह आवाज है, मैं किसी पार्टी लाइन पर किसी भेदभाव के बगैर कह रहा हूं, यह आवाज तब उठेगी जब कभी संदेह होगा कि हमारी स्वतंत्रता छीनी जा रही है.
तीन बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाले हासन ने कहा, ‘मैं आवाज उठाउंगा यदि संदेह पैदा होगा कि मेरी और मेरे दोस्तों तथा बंधुओं की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन हो रहा है.’ उन्होंने कहा कि हालांकि ऐसे उद्देश्यों के लिए कोई राजनीतिक पार्टी शुरु करने की जरुरत नहीं है. यदि ऐसा विचार जाहिर किया जाता है तो लोग पूछते हैं कि क्या मैं राजनीति में आ रहा हूं.
पद्मभूषण से सम्मानित हासन ने गोमांस विवाद पर कहा, ‘यदि आप गोमांस पसंद नहीं करते हैं तो मत खाइए, मैं इसे खाता था, लेकिन मैंने अब फैसला किया है कि अब खुद से बडा जानवर नहीं खाउंगा. भोजन की पसंद का अधिकार लोगों पर छोड देना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘मुझ पर गैर जिम्मेदाराना और असंवेदनशील होने का आरोप लगाया जाता है जब मैं कहता हूं कि मैं अपना पुरस्कार नहीं लौटाउंगा क्योंकि मैं असहिष्णुता के खिलाफ अपनी आवाज उठाउंगा. मैं जूरी का सम्मान करता हूं. वे श्रेष्ठ जन हैं, बुद्धिजीवी लोग हैं जिन्होंने सोचा कि इस लायक हूं. मैंने उन्हें सलाम किया और पुरस्कार लिया. यदि सरकार के खिलाफ मेरे पास कुछ है तो इसके सहित कई मंच हैं.’
हालांकि, अभिनेता ने कहा कि जो लोग अपना पुरस्कार लौटा रहे हैं उनका एक मंच है और उन्हें सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए इस मंच का इस्तेमाल करना चाहिए.