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शहर से गायब हो गये सील ननबैंकिंग कार्यालय!-कार्यालय का बोर्ड हटा, नया बोर्ड लग गया-प्रतिष्ठान का नाम भी बदल गया-सीबीआइ को ढ़ूंढ़े नहीं मिलेंगे नन बैंकिंग कार्यालय-हाइकोर्ट कर रही है नन-बैंकिंग गोरखधंधे के केस की मॉनिटरिंग-कई सील कार्यालयों से दस्तावेज भी गायब होने की सूचना-जिला प्रशासन है बेखबरसंजीत मंडल, देवघरदेवघर सहित संतालपरगना के लगभग सभी […]

शहर से गायब हो गये सील ननबैंकिंग कार्यालय!-कार्यालय का बोर्ड हटा, नया बोर्ड लग गया-प्रतिष्ठान का नाम भी बदल गया-सीबीआइ को ढ़ूंढ़े नहीं मिलेंगे नन बैंकिंग कार्यालय-हाइकोर्ट कर रही है नन-बैंकिंग गोरखधंधे के केस की मॉनिटरिंग-कई सील कार्यालयों से दस्तावेज भी गायब होने की सूचना-जिला प्रशासन है बेखबरसंजीत मंडल, देवघरदेवघर सहित संतालपरगना के लगभग सभी जिले में सील नन-बैंकिंग कार्यालय गायब होते जा रहे हैं. जहां पहले नन-बैंकिंग कार्यालयों का साइन बोर्ड था, वहां या तो बोर्ड गायब है या नये किसी प्रतिष्ठान या दुकान का बोर्ड लग गया है. यहां तक कि नन-बैंकिंग कार्यालय में सील किये गये दस्तावेजों को भी ठिकाने लगा दिया गया है. ऐसे में जनता की गढ़ी कमाई को गटकने वाली इन नन-बैंकिंग कंपनियों के कार्यालयों को खोजना सीबीआइ के लिए डेढ़ी खीर होगी. संताल परगना से नौ सौ करोड़ लूट ले गयी कंपनियां !संतालपरगना में नन-बैंकिंग का घना जाल फैला है. इस जाल में यहां के गरीब जनता की गाढ़ी कमाई फंसी है. पूरे संताल परगना की बात करें तो यहां तकरीबन 140 नन-बैंकिंग कंपनियों के कार्यालयों में छापेमारी हुई. 111 कार्यालयों को सील किया गया. इनमें से 58 कंपनियां देवघर की है. इन कंपनियों के पास संतालपरगना का तकरीबन नौ सौ करोड़ जमा है. सिर्फ देवघर में इन कंपनियों ने लगभग 100 करोड़ का कारोबार किया है. जिसमें हजारों जनता का पैसा डूब रहा है. अधिकांश कार्यालय चल रहे थे भाड़े के मकान मेंसंताल परगना के सभी छह जिले में जितने भी नन-बैंकिंग कंपनियों के कार्यालय संचालित हो रहे थे, अधिकांश कार्यालय भाड़े के मकान में संचालित हो रहे थे. इन नन-बैंकिंग कंपनियों के कार्यालयों में छापेमारी हुए लगभग तीन साल हो गये. छापेमारी के बाद कार्यालय को प्रशासन ने सील भी कर दिया था. कंपनी के जो भी अधिकारी व कर्मचारी थे, फरार हो गये. इसलिए मकान के जो भी मालिक थे, उन्हें उक्त कार्यालय का भाड़ा नहीं मिल रहा था. प्राप्त जानकारी के अनुसार कई मकान मालिकों ने कंपनियों के अधिकारी से संपर्क किया. रिस्पांस नहीं मिलने पर, उन लोगों ने कार्यालय का बोर्ड हटा दिया. कई मकान मालिकों ने तो सील कार्यालय तक को खोल कर उसमें नया प्रतिष्ठान या दुकान या कार्यालय आदि खोलने की अनुमति दी दी है. बोर्ड भी नहीं मिल रहा नन-बैंकिंग कंपनियों का2012 में जब देवघर सहित पूरे संताल परगना में नन-बैंकिंग कार्यालयों के खिलाफ अभियान चला तो उस वक्त जो रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों ने तैयार किया. जो लोकेशन उसमें दिखाया, उस पता पर अब कोई भी अधिकारी जायेंगे तो उन्हें ढूढ़ने से कार्यालय नहीं मिलेगा. क्योंकि छापेमारी और सील होने के बाद से प्रशासन ने सील कार्यालयों की जांच नहीं की. नन-बैंकिंग कंपनियों के बोर्ड तक गायब हैं. नतीजा है कि इसका फायदा न सिर्फ नन बैंकिंग कंपनियों ने उठाया बल्कि मकान मालिकों ने भी अपने इनक्रोच किये गये भवन को खुद मुक्त कर लिया और पुन: भाड़े पर लगा दिया. सीबीअाइ के पाले में है नन-बैंकिंग के गोरखधंधे की जांचसंतालपरगना में नन बैंकिंग गोरखधंधे का मामला हाईकोर्ट में लंबित है. हाईकोर्ट इस मामले की स्वयं मॉनिटरिंग कर रही है. यही कारण है कि हाईकोर्ट के निर्देश पर नन बैंकिंग कंपनियों के इस गोरखधंधे की जांच सीबीआइ को सौंपा गया है. अब सीबीआइ के सामने विकट स्थिति यह होगी कि जो दस्तावेज जब्त करके प्रशासन ने सरकार, सेबी व वित्त विभाग को सौंपा है, उसी पर जांच को केंद्रीत रखना होगा. सील कार्यालयों को खुलवा कर सीबीआइ जांच कर पायेगी, ऐसा संभव नहीं. क्योंकि जब कार्यालय का ही अता-पता नहीं है तो सीबीआइ कहां जाकर जांच करेगी. 2013 में तत्कालीन एसडीओ ने कार्यालयों को किया था सीलतत्कालीन एसडीओ उमाशंकर सिंह ने देवघर में नन बैंकिंग कार्यालयों में औचक छापेमारी की थी. गड़बड़ी सामने आने पर कई टास्क फोर्स बनाकर व्यापक अभियान चलाया. सभी कार्यालयों से दस्तावेज जब्त करने के बाद सील कर दिया गया. 11 फरवरी 2013 को ही दस्तावेजों के साथ पूरी रिपोर्ट डीसी से लेकर सरकार स्तर तक भेज दिया था. वहीं मधुपुर एसडीओ दिनेश प्रसाद सिंह ने एक माह पूर्व ही 31 नन बैंकिंग कंपनियों के खिलाफ जांच की थी. जिसके आधार पर उन नन बैंकिंग कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था.ननबैंकिंग कार्यालयों पर अवैध कारोबार का आरोपगैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों व अन्य कंपनियों द्वारा अवैध रूप से आम जनता से लोक जमा लेना तथा आरबीआइ, सेबी, कंपनी एक्ट के उल्लंघन व आर्थिक अपराध के दोषी नन बैंकिंग कंपनियों के प्रबंध निदेशक, प्रमोटर,बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर के खिलाफ नियमानुकुल अधिनियमों के तहत प्राथमिकी दर्ज किये जाने की अनुसंशा की थी. जांच के बाद कंपनियों को द आरबीआइ एक्ट 193(एक्ट नंबर-2 ऑफ 193) की धारा 58बी, सेबी एक्ट 1992(एक्ट नंबर-15 ऑफ 1992) की धारा 15(ए), 15(बी), 15(सी),15(डी),15(इ),15(एफ),15(जी),15(एच),15(एचए),15(एचबी), द कंपनी एक्ट 1956 की धारा 59, द प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट1988 की धारा 8 व 10, प्रीवेंशन ऑफ मनी लाउंड्रींग एक्ट 2002 की धारा चार, के उल्लंघन व ऑर्थिक अपराध के दोषी पाया गया………………………………….देवघर की ये कंपनियां हैं सीलसुराहा माइक्रो फाइनेंस, सन प्लांट एग्रो ग्रुप, प्रयाग इंफोटेक हाइ राइज लिमिटेड, साईं प्रसाद प्रोपर्टीज लि., फेडरल एग्रो कमर्शियल लि. गुलशन निर्माण इंडिया लि., तिरू बालाजी राइजिंग रियल स्टेट प्रा. लि., एलकेमिस्ट इंफ्रा रियलिटी लि., धनोल्टी डेवलपर्स लि., कोलकाता वियर इंडस्ट्री लि., संकल्प ग्रुप ऑफ कंपनीज, वियर्ड इंफ्रा स्ट्रक्चर्ड कॉरपोरेशन लि., रूफर्स मार्केटिंग लि., केयर विजन म्यूचुअल बेनेफीट लिमिटेड, सनसाइन ग्लोबल एग्रो लि., रेमल इंडस्ट्रीज लि., एक्सेला इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट लि., गीतांजली उद्योग लि., एमपीए एग्रो एनिमल्स प्रोजेक्ट लि., जुगांतर रियलिटी लि. एटीएम ग्रुप ऑफ कंपनीज, मातृभूमि मैन्युफैक्चरिंग एंड मार्केटिंग(आइ) लि. , रोजवेली होटल्स एंड इंटरटेनमेंट लि., बर्द्धमान सन्मार्ग वेलफेयरसोसाइटी, अपना परिवार एग्रो फार्मिंग डेवलपर्स लि. व वारिस ग्रुप एंड अर्सदीप फाइनांस लि आदि.संताल में कहां कितने कार्यालय सीलजिला सील देवघर 27 दुमका 02 गोड्डा 36 पाकुड़ 06 साहिबगंज 40 जामताड़ा 00 —————–कहते हैं डीसी देवघरसील कार्यालय खोले गये होंगे तो विधि सम्मत कार्रवाई : डीसीदेवघर. नन बैंकिंग कार्यालय के गायब होने के मामले में डीसी अरवा राजकमल ने कहा कि उन्हें इस मामले की पूरी जानकारी नहीं है. जब भी प्रशासन किसी कार्यालय को सील करती है तो वह कोर्ट के आदेश से ही खुलता है. यदि किसी भी मकान मालिक या नन बैंकिंग कंपनियों ने सील कार्यालय खोला है या बोर्ड आदि गायब किया है. वह अपराध की श्रेणी में है. वे इस मामले की जांच करवायेंगे और दोषी पाया गये तो उन लोगों के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई होगी.

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