नयी दिल्ली/सहरसा (बिहार): पाकिस्तान से भारत लौटी मूक बधिर भारतीय महिला गीता का डीएनए सेंपल सहरसा के जनार्दन महतो के डीएनए से मैच नहीं हुआ है. पाया है. जनार्दन महतो सहरसा के रहने वाले हैं और डीएनए रिपोर्ट निगेटिव आया है. वहीं सहरसा के स्थानीय संवाददाता ने बताया कि गीता को अपनी बेटी बताने वाले जनार्दन महतो लुधियान चले गए हैं. फिलहाल गीता को इंदौर में रखा गया है.
गौरतलब हो कि सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा). सहरसा जिले के सलखुआ प्रखंड के कबीरा धाप निवासी जनार्दन महतो ने दावा किया था कि पाकिस्तान की जिस लड़की को गीता बताया जा रहा है, वह उनकी बेटी हीरा है. वे लंबे समय से लुधियाना के टिब्बा रोड रमेश नगर गली नंबर 1/2 मकान नं 13949 में सात बेटा-बेटियों के साथ रहते थे. पहली बेटी हीरा जन्म से ही मूक-बधिर थी. बचपन में ही कबीरा निवासी उमेश महतो से उसकी शादी हो गयी. उससे एक पुत्र भी हुआ. वैशाखी के समय रोजी-रोटी कमाने उमेश महतो पंजाब के करतारपुर के मिल्लीया पिंड चले गये थे. बेटा होने पर दामाद अपने साथ हीरा उर्फ गीता व पुत्र संतोष को विदाई कर साथ ले गये. वैशाखी मेला में परिजनों के साथ मेला देखने के क्रम में भीड़-भाड़ होने के कारण गीता बिछुड़ गयी .
गीता कथित तौर पर सात-आठ साल की थी, जब उसे 15 साल पहले पाकिस्तान रेंजर्स ने लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस में अकेले बैठा हुआ पाया था. पुलिस उसे लाहौर के ईदी फाउंडेशन में ले गयी और बाद में उसे कराची ले जाया गया. पाकिस्तान में नियुक्त भारतीय उच्चायुक्त टीसीए राघवन और उनकी पत्नी ने गीता से अगस्त में मुलाकात की थी. उसके पहले विदेश मंत्री ने उन्हें उससे मिलने और उसके परिवार का पता लगाने का निर्देश दिया था.