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मिट गया सबौर और भागलपुर का फर्क

मिट गया सबौर और भागलपुर का फर्क लक्ष्मी की कृपा……….तसवीर- सुरेंद्र – जीरोमाइल से सबौर तक का हो गया कायाकल्प -10 साल में आया यह बदलाव – बड़ी-बड़ी कंपनियों के बाइक, कार, ऑटो के अलावा शाॅपिंग के खुल गये शोरूम- तिलकामांझी से लेकर सबौर स्टेशन तक सड़क के किनारे अब खाली जमीन नहीं – जीरोमाइल […]

मिट गया सबौर और भागलपुर का फर्क लक्ष्मी की कृपा……….तसवीर- सुरेंद्र – जीरोमाइल से सबौर तक का हो गया कायाकल्प -10 साल में आया यह बदलाव – बड़ी-बड़ी कंपनियों के बाइक, कार, ऑटो के अलावा शाॅपिंग के खुल गये शोरूम- तिलकामांझी से लेकर सबौर स्टेशन तक सड़क के किनारे अब खाली जमीन नहीं – जीरोमाइल से सबौर तक बड़ी संख्या में बन रही है गगनचुंबी इमारतें व अपार्टमेंट सुनील सोलंकीभागलपुर : शहर अब सबौर तक विकसित हो गया है. सबौर का क्षेत्र भी अब महानगरीय सोसाइटी के रूप में विकसित हो गया है. क्षेत्र में तेजी से समृद्धि आयी है. जीरोमाइल से सबौर तक एनएच-80 पर बड़ी-बड़ी कंपनियों के बाइक, कार, ऑटो के शोरूम के अलावा शाॅपिंग सेंटर खुल गये हैं. बड़ी संख्या में गगनचुुंबी इमारतें बन चुकी हैं और दर्जनों जगह निर्माण कार्य चल रहा है. इसके अलावा बड़ी संख्या में अपार्टमेंट का निर्माण भी चल रहा है. विक्रमशिला पुल व कृषि विश्वविद्यालय से बढ़ा महत्व भागलपुर से सबौर तक करीब 12 किलोमीटर के क्षेत्र में शहर का विस्तारीकरण हो गया है. बिल्डर व प्रॉपर्टी डेवलपर का मानना है कि इस क्षेत्र के शहरीकरण में विक्रमशिला पुल के अलावा बिहार कृषि विश्वविद्यालय का होना अहम रहा है. खासकर पिछले 10 साल में इस क्षेत्र का जबरदस्त विकास हुआ. भागलपुर शहर से जुड़ने के साथ-साथ विक्रमशिला पुल के कारण गंगा पार के प्रमुख शहर कटिहार, पूर्णिया, नवगछिया आदि से सीधे संपर्क हो जाने के कारण व्यवसायियों के लिए भी यह क्षेत्र पसंदीदा बन गया है. उद्योग धंधे के रूप में भी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. बाहरी व्यवसायी के अलावा शहर के व्यवसायी भी अपनी व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्र में निवेश कर रहे हैं. विकास की रफ्तार देख कर ऐसा लग रहा है कि आने वाले 8-10 सालों में भागलपुर शहर के समानांतर जीरोमाइल से सबौरतक का क्षेत्र विकसित हो जायेगा. बढ़ी जमीन की कीमतमात्र 10 साल में इतनी तेजी से इस क्षेत्र का कायाकल्प हो जाने से लोगों को सभी प्रकार की शहरी सुविधाएं सबौर में भी मिलने लगी है. जीरोमाइल से सबौर के बीच नेशनल हाइवे पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के चमचमाते शोरूम, मिशनरी स्कूल, प्राइवेट स्कूल, नर्सिंग होम, ओपन यूनिवर्सिटी, बैंक, गाड़ियों के सर्विस सेंटर, लाइन होटल, गैराज, औद्योगिक मिलें, कृषि विश्वविद्यालय है. तेजी से शहरीकरण के कारण आज की तारीख में तिलकामांझी से लेकर सबौर स्टेशन चौक तक सड़क के किनारे अब जमीन का एक भी प्लाट खाली नहीं बचा है. फ्लैट भी हुआ महंगा आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जीरोमाइल से सबौर तक एनएच-80 के किनारे व आस-पास मात्र 10 साल में ही जमीन की कीमत सौ से भी अधिक गुणा की वृद्धि हो गयी है. पहले जहां इस क्षेत्र में 20 से 25 हजार रुपये कट्ठा बिक रहा था, वहीं आज की तारीख में 30 से 35 लाख रुपये कट्ठा बिक रहा है. बिल्डर प्रकाश मंडल, निर्मल सेठ, मनोज मंडल, राजू मंडल आदि ने बताया कि शिव गंगा अपार्टमेंट का एक पार्ट तीन साल पहले बना था, उस समय 11-12 लाख में ही फ्लैट बिका था, लेकिन आज शिव गंगा अपार्टमेंट का दूसरा पार्ट जो निर्माणाधीन है, उसमें फ्लैट की बिक्री 55 से 60 लाख रुपये में हो रही है. इन लोगों का यह भी कहना है कि फ्लैट का यह रेट कमोवेश सभी अपार्टमेंट का है. अपार्टमेंट कल्चर से शहरी हुई जिंदगीक्षेत्र में बाबू पुर मोड़, नवटोलिया, राजपुर, मिर्जापुर, खनकित्ता, चंदरी, सबौर आदि ग्रामीण इलाके के लोग भी देहाती कल्चर से निकल कर शहरी कल्चर में तेजी से ढलने लगे हैं. सबाैर के बबलू कुमार, दिलीप दास आदि ने बताया कि छह महीने पहले ही स्टेशन चौक पर श्री शॉपि मार्ट , एसबीआइ, केनरा बैंक आदि का खुलना यह दर्शाता है कि इस क्षेत्र के लोग के रहन-सहन में तेजी से बदलाव आया है. दीप लक्ष्मी क्लिनिक जैसे बड़े नर्सिंग होम के खुल जाने से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं भी मिलने लगी हैं. इसके अलावा हीरो मोटरसाइकिल का शो रूम, जेसीबी का शो रूम, महिंद्रा शो रूम, पियाजिओ व अन्य आॅटो का शो रूम, लाइन होटल आदि कई ऐसी चीजें गांव के समीप आ जाने के कारण लोगों के जीवन में बदलाव दिखने लगा है. बॉक्स में…………….जमीन की कीमत10 साल पहले वर्तमान मेंतिलकामांझी से जीरोमाइल 70 से 80 लाख रुपये कट्ठाजीरोमाइल से बाबू पुर मोड़ 40 से 60 लाख रुपये कट्ठाबाबू पुर मोड़ से सबौर तक 30 से 35 लाख रुपये कट्ठा

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