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क्या जिला में कदाचार वाले केंद्रों की सही पहचान होगी?

क्या जिला में कदाचार वाले केंद्रों की सही पहचान होगी? बोर्ड के निर्णय ये मेधावी छात्रों में हर्ष बुद्धिजीवियों ने सही ढंग से पहचान पर दिया बल दरभंगा : जिस प्रकार गत वर्ष की मैट्रिक की परीक्षा में कदाचार को लेकर देश-विदेश में प्रदेश की किड़किड़ी हुई. मेधावी छात्रों को आज भी इस प्रदेश का […]

क्या जिला में कदाचार वाले केंद्रों की सही पहचान होगी? बोर्ड के निर्णय ये मेधावी छात्रों में हर्ष बुद्धिजीवियों ने सही ढंग से पहचान पर दिया बल दरभंगा : जिस प्रकार गत वर्ष की मैट्रिक की परीक्षा में कदाचार को लेकर देश-विदेश में प्रदेश की किड़किड़ी हुई. मेधावी छात्रों को आज भी इस प्रदेश का जानकर हीन भावना से देखा जा रहा है. ऐसे में कदाचार रोकने को लेकर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के केंद्र संबंधित निर्णय से छात्र समुदाय में हर्ष है. इस प्रदेश के छात्र देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपने मेधा के बलबूते पर ऊंचा मुकाम हासिल किया है. प्रदेश का नाम ऊंचा किया है. जहां चाणक्य जैसे गुरु के बदौलत अखंड भारत में कई वर्षों तक न्याय का राज चला. यहां के प्राचीन विश्वविद्यालयों को लेकर पूरे विश्व में जानते हैं. विरले देश होंगे जहां इस प्रदेश के लोग अच्छे ओहदे पर नहीं होंगे. इस प्रदेश का कई गरिमामयी इतिहास सबों के पीछे मेधा ही एकमात्र कारण रहा, जिसके कारण इस प्रदेश का इस क्षेत्र में नाम रहा है, किंतु विगत वर्षों से कैरियर की शुरुआत की महत्वपूर्ण इस परीक्षा में जिस प्रकार से नकल को प्रोत्साहन मिल रहा है. इससे प्रदेश का नाम धूमिल हो रहा है. ऐसी स्थिति में बिहार बोर्ड का यह निर्णय कि कदाचार वाले केंद्रों पर परीक्षा नहीं होगी, सराहनीय कदम माना जा सकता है, किंतु इसमें एक बाधा यह भी हो सकती है कि ऐसे केंद्रों की पहचान के लिए क्या मानदंड अपनाये जाते हैं. जिला के आला शिक्षा अधिकारी ऐसे केंद्रों की बड़ी पहचान में कसौटी पर कितने खड़े उतरते हैं. जिले के कई ऐसे केंद्र हैं जहां चहारदीवारी नहीं है. गत वर्ष एक केंद्र से कई फर्जी परीक्षार्थियों का मामला सामने आया था. वहीं मध्य विद्यालयों में स्थापित केंद्रों की स्थितियां भी अच्छी नहीं रही. बाहर से वीक्षक की नियुक्ति से भी कदाचार को बढ़ावा मिलता है. इसके अलावा भी कई कारण होंगे जो नकल के लिए जवाबदेह होंगे. इसमें कोई संदेह नहीं है कि कुछ केंद्र पर व कुछ परीक्षार्थी के नकल के कारण जिला व प्रदेश बदनाम होता है. जिसपर लगाम लगाने के लिए कठोर कदम उठाये जाये तो नकल रोकना मुश्किल नहीं होगा. कई बुद्धिजीवियों का मानना है कि नकल को रोकने में जिला व शिक्षा प्रशासन कठोर कदम उठायें तो यह कोई मुश्किल नहीं होगा. किंतु उसके लिए इच्छाशक्ति होनी चाहिए.आगामी फरवरी से ही इंटर व मार्च में बोर्ड की परीक्षा को लेकर जिस प्रकार समिति ने पहल शुरू की है, उसपर जिला को गंभीरता से काम करने की जरूरत है. अगर बढ़ते छात्रों की संख्या एवं केंद्रों की कमी इसमें आड़े आया तो छात्रों के भविष्य किस ओर जायेगा. इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं होगा. बहरहाल नकल को रोकने की इस कवायद में अब गेंद जिला व शिक्षा प्रशासन के हाथों में है. देखना यह है कि इसपर किस प्रकार के ठोस व कठोर निर्णय लिया जाता है जिससे छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं हो सके. बॉक्स::::::::::::इंटर का मॉडल पेपर दिसंबर व मैट्रिक का जनवरी से दरभंगा : मैट्रिक एवं इंटर बोर्ड के परीक्षार्थियों को मॉडल प्रश्न पत्र से परीक्षा की तैयारियों में मदद मिलेगी. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने निर्णय लिया है कि दिसंबर में इंटर व जनवरी में मैट्रिक परीक्षार्थियों के लिए मॉडल प्रश्न पत्र देगी. इसके कई सेट होंगे. इन सेटों के आधार पर परीक्षार्थियों को प्रश्न पत्रों की पैटर्न की जानकारी होगी. इसके अलावा परीक्षार्थी इन प्रश्नों के आधार पर अपना रिविजन की रणनीति पर भी काम कर सकेंगे. परीक्षा समिति के इस निर्णय से छात्रों में हर्ष है.

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