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राष्ट्रीय समस्या है जनसंख्या विस्फोट

हाल ही में धार्मिक आधार पर जारी हुए भारतीय जनसंख्या के आंकड़ों ने कई नये राजनीतिक जुमले गढ़ने के मौके दे दिये. जुमलों के बीच कई सवाल खड़े किये गये, लेकिन सवाल जनसंख्या के साथ किसी धर्म का नहीं, बल्कि देश में तेजी से बढ़ रही जनसंख्या को नियंत्रित करने के उपायो कों खोजने का […]

हाल ही में धार्मिक आधार पर जारी हुए भारतीय जनसंख्या के आंकड़ों ने कई नये राजनीतिक जुमले गढ़ने के मौके दे दिये. जुमलों के बीच कई सवाल खड़े किये गये, लेकिन सवाल जनसंख्या के साथ किसी धर्म का नहीं, बल्कि देश में तेजी से बढ़ रही जनसंख्या को नियंत्रित करने के उपायो कों खोजने का है.
देश के नेता उपाय खोजने के बजाय इसे चुनावी मुद्दे बना रहे हैं. लोगों के मन में सवाल पैदा हो रहा है कि देश की जनसंख्या को किसी धर्म या जाति के साथ आखिर क्यों देखा जा रहा है? आदमी को एक आदमी के रूप में क्यों नहीं आंका जा रहा है?
आखिरकार, कोई व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म, संप्रदाय या जाति से ताल्लुक रखता हो, वह है तो इस देश का ही नागरिक. राजनीति के चश्मे से किसी धर्म से जोड़ कर विद्वेश फैलाने की कोशिश ही क्यों की जा रही है? क्या कोई व्यक्ति गर्भ में आने के साथ ही किसी धर्म से जुड़ जाता है? देश की बढ़ती जनसंख्या पूरे राष्ट्र की समस्या है.
-लोकेश सिंह सिसोदिया, ई-मेल से

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