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महंगाई से घरों के रंग रोगन में छूट रहे पसीने

दीपावली का त्योहार उमंग और खुशियों का त्योहार है. घर की साज-सज्जा न हो, तो त्योहार की खुशी अधूरी लगती है. बदलते दौर में लोगों का मिजाज भी बदला है. आधुनिकता और नयी तकनीकी ने भी रंग-रोगन और साज-सज्जा पर प्रभाव डाला है. जानकार भी मानते हैं कि पहले की उपेक्षा घरों में यूज होने […]

दीपावली का त्योहार उमंग और खुशियों का त्योहार है. घर की साज-सज्जा न हो, तो त्योहार की खुशी अधूरी लगती है. बदलते दौर में लोगों का मिजाज भी बदला है. आधुनिकता और नयी तकनीकी ने भी रंग-रोगन और साज-सज्जा पर प्रभाव डाला है. जानकार भी मानते हैं कि पहले की उपेक्षा घरों में यूज होने वाला रंग-रोगन पहले से बेहतर हुआ है. लोग आवासीय घरों और प्रतिष्ठानों के रंग-रोगन में जुटे हुए हैं. बाजारों में रंग-पेंट की दुकानों में भीड़ बनी हुई है. बच्चों की सजावट में आने वाले रंग -रोगन की काफी मांग है.

हाजीपुर : हले लोग चूना और गेरु आदि से घरों का रंग रोगन कराते थे, लेकिन अधिकतर लोग सेम और डिस्टेंपर को पसंद करते हैं. लोगों का कहना है एक तो चूना कराना काफी पुराना ढंग है, दूसरा बार-बार चूना कराने से अच्छा है सेम या डिस्टेंपर करा लो. तीन से पांच साल तक निश्चित हो जाओ. हालांकि चूना कराना सस्ता पड़ता है. लेकिन अगर साल-दर-साल देखें, तो डिस्टेंपर और सेम ही सस्ता होता है और घर की मजबूती बनी रहती है.

बाजार में अनेक कंपनी के है पेंट, डिस्टेंपर और सेम : मांग और लोगों की पसंद को देखते हुए अनेक कंपनियों ने अपने उत्पाद बाजार में उतारे है. क्वालिटी और क्वांटिटी के हिसाब से मूल्य निर्धारित है. एक हजार से अधिक इन सामान के रंग है. कंप्यूटराइज्ड रंग भी आपकी पसंद का मिल सकता है. सबसे अधिक डिस्टेंपर और सेम की खरीदारी हो रही है. स्टेशन रोड स्थित एक दुकान के विक्रेता रवि प्रकाश बताते हैं कि अब ट्रेंड बदल गया है और लोगों की पसंद भी. अब लोग अच्छी क्वालिटी का सामान खरीदना चाहते है. हालांकि चूना की बिक्री भी होती है, लेकिन कम.

कीमतों में हुई है अप्रत्याशित वृद्धि : इस बार सामान में 25-30 फिसदी की वृद्धि है. लकड़ी और रंगने के पेंट सहित सेम, डिस्टेंपर व अन्य उत्पादों के दाम में वृद्धि के बावजूद बिक्री में कमी नहीं हुई है. लोग अपनी पसंद के अनुसार खरीदारी कर रहे हैं. बच्चों के सजावटी रंग-रोगन की भी काफी बिक्री हो रही है, जिसमें पोस्टर कलर, एक्रेलिक कलर, वाटर कलर आदि मुख्य रूप से शामिल हैं.

क्या कहते हैं ग्राहक

दीपावली खुशियों का त्योहार है. इसके धार्मिक और सामाजिक मान्यताएं हैं. घर की साज-सज्जा से ही त्योहार की खुशियां हैं. पहले चूना कराते थे. जब नयी तकनीक अच्छी हो तो पुरानी को छोड़ देना ही उचित है. डिस्टेंपर करा हूं. हालांकि थोड़ा महंगा जरूर है, लेकिन बार-बार चूना कराने से तो अच्छा है.

रमेश कुमार वर्मा

समय बदल गया है. आधुनिक ट्रेंड अपनाना ही सही होगा. सेम व डिस्पेंपर करा रहा हूं. इंटरनेट और टीवी ने बच्चों को प्रभावित किया है. पुराने घर को नया लुक दे रहा हूं. समय की बचत तो है ही त्योहार का आनंद भी बढ़ेगा.

विजय कुमार सिंह

क्या कहते हैं िवक्रेता

चूना-गेरू की बिक्री काफी कम हो रही है. अधिकतर लोग डिस्टेंपर फिर सेम सबसे ज्यादा पंसद कर रहे. लकड़ी और लोहे की पेंट की बिक्री भी तेजी से हो रही है. बदलते दौर में लोग आधुनिक होना अधिक पसंद कर रहे हैं. बिक्री ठीक-ठाक हो रही है.

रविप्रकाश

बाजार में सामान की कीमत

डिस्टेंपर- 10 लीटर- 450-2500 रुपये.

चूना- 10 किलो-90-100 रुपये.

लकड़ी एवं लोहा पेंट-200-500 रुपये.

बेदरकोट 20 किलो-2500-4000 रुपये.

बच्चों के लिए भी हैं उपलब्ध

पोस्टर कलर-25-250 रुपये.

वाटर कलर-15-150 रुपये.

एक्रेलिक कलर-25-250 रुपये.

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