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गरम होने लगा इलेक्ट्रॉनिक बाजार,चाइनीज लाइट की मांग बढ़ी

लखीसराय : यों तो धनतेरस के मौके पर धातु की वस्तु खरीदने की प्रथा रही हैं. लेकिन विगत कुछ वर्षों में टीवी,फ्रीज,जूसर-मिक्सर व अन्य इलेक्ट्रानिक सामान खरीदने का चलन बढ़ा हैं. इस मौसम में जब कुछ खरीदना होता है तो लोग यही कहते हैं कि धनतेरस के मोके पर ले लेंगे. यही कारण है कि […]

लखीसराय : यों तो धनतेरस के मौके पर धातु की वस्तु खरीदने की प्रथा रही हैं. लेकिन विगत कुछ वर्षों में टीवी,फ्रीज,जूसर-मिक्सर व अन्य इलेक्ट्रानिक सामान खरीदने का चलन बढ़ा हैं. इस मौसम में जब कुछ खरीदना होता है तो लोग यही कहते हैं कि धनतेरस के मोके पर ले लेंगे.

यही कारण है कि धनतेरस के ठीक पहले ईलेक्टोनिक्स बाजार गरम हो जाता है.लखीसराय का बाजार भी इससे अलग नहीं है. ग्राहकों को लुभाने के लिए कंपनियां भी आगे आ रही हैं.लुभावने आफर के साथ लोकल ऐजेंसियां अपने स्तर पर भी आफर दे रहीं हैं. चाइनीज लाइटें की बढ़ी डिमांड लाइट का कारोबार करने वाले व्यवसायियों का कहना है कि दीपावली के मौके पर चाइनीज लाइट की डिमांड ज्यादा है. लखीसराय के बाजार में पटना से माल मंगाया जाता है.

व्यवसायी अरूण कुमार, अरबिंद ,मनोज आदि के मुताबिक दीपावली के मौके पर जिले मं चाइनीज लाइट का 20 लाख का कारोबार होने की संभावना हैं.इसका बाजार धनतेरस को लेकर तैयार हो रहा हैं. सर्राफ बाजार में भी तैयारी शुरू सर्राफ बाजार में धनतेरसकी तैयारी शुरू हो गयी हैं. व्यवसायी विमल वर्मा के मुताबिक फें सी गहनों के अलावे परंपरागत गहनों को बनाने में कारीगर जुट गए हैं. इसके अलावा चांदी के पुराने सिक्कों की खरीदारी की भी की जा रही हैं.

हलांकि सर्राफ बाजार में इन सिक्कों की बिक्री रेट नहीं खोला गया हैं. लेकिन अभीसे ही पुरानी सिक्के कि किल्लत बनी हुई हैं.धनतेरस से पूर्व खरीददारी का योग इस वर्ष धनतेरस से ेपूर्व भी खरीदारी का सुखद योग बना हैं. वैसे धनतेरस 9 नवंबर को है लेकिन ज्योतिषों का कहना है कि इससे पूर्व भी इस वर्ष ऐसा योग बन रहा है,जिसमें खरीदारी विशेष फल देगी.

यह सुखद संयोग 03 नबंबर के बाद अब 08 नवंबर को भी हैं. माना जाता है कि पुष्य नक्षत्र में खरीदी गई कोई भी वस्तु जीवन भर सुख समृद्धि देती हैं.लेकिन इस योग में खास तौर पर जमीन ,ज्वेलरी,वाहन,इलेक्ट्रानिक आइटम,सोना व मशीनरी खरीदना शुभ माना जाता हैं. यह दुर्लभ संयोग 43 वर्ष के बाद आया है. ऐसा योग पूर्व में 07 नवंबर 1969 को बना था. ज्योतिषाचार्य उमाशंकर व्यास जी के मुताबिक पुष्य नक्षत्र को शास्त्रों में नक्षत्रों में राजा कहा गया हैं .

इसलिए दीपोत्सव के पूर्व इस नक्षत्र का महत्व अत्यधिक खास हो जाता है .इस वर्ष इसका योग तीन नवंबर के बाद अब इसका योग 8 नवंबर को बना है .इस दिन धातुओं,मशीनरी आदि की खरीदारी का श्रेष्ठ समय है .इस दिन सर्व सिद्ध योग बन रहा है जिसमें खरीदारी शुभ माना जाता है. पिछले दस वर्षों से ट्रेन में चाय बेचकर परिवार का पेट पाल रही कजरा की रुबी*राजेशफोटो 14चित्र परिचय: रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते रूबी देबी लखीसराय :

हमारे पुरुष प्रधान समाज में आज भी नारी को अवला समझा जाता है लेकिन इन सबसे अलग कुछ ऐसी महिलाएं है जो अपने कार्य से समाज को दिशा दे रही हैं. इनमें से ही एक है माधोपुर कजरा की रुबी देवी, जो पिछले दस वर्षों से ट्रेन में चाय बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण का रही हैं. इस क्रम में रुबी हर रोज ट्रेन से करीब 250 किलोमीटर का सफर तय कर 12 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद रात के नौ बजे घर लौटती हैं.

कजरा रेलवे स्टेशन पर अपनी दिनचर्या की शुरूआत करने के क्रम में जब रुबी से मेरी मुलाकात हुई तो उसे इस तरह ट्रेन में चाय बेचता देख थोड़ा आश्चर्य भी हुआ और उसके मजबूत इरादे को देखकर खुशी भी हुआ. रूबी से पुछने पर बताया कि उसका पति भीम मंडल कमर से स्थायी विकलांग हैं. 14 वर्ष पूर्व हरियाणा के बल्लभगढ़ में सड़क हादसे में उसकी कमर टूट गई. तब से वह अपना नित्य क्रिया -कर्म भी नहीं कर सकता हैं.

परिवार में पति के अलावा 17 वर्ष का पुत्र राहुल है जो उच्च विद्यालय नरोत्तमपुर कजरा में दसवीं कक्षा का छात्र है. दुर्घटना के पहले रूबी का पति बल्लभगढ़ में मार्बल पत्थर लगाने का काम करता था. जब पति विकलांग हुआ तो राहुल मात्र तीन वर्ष का था. रूबी ने बताया कि हर रोज सुबह 8 बजे घर का काम काज निवटाकर चाय की केतली लेकर निकल जाती है. पहले मिट्टी की प्याली लेने धरहरा जाना होता है. उसके बाद बांका इंटरसिटी से ट्रेन में चाय बेचते बख्यतियारपुर तक जाती हैं. घर लौटने में रात के नौ बज जाता है . जब रूबी से पुछा कि इस पेशा को अपनाने की विचार कैसे आया तो रूबी निर्भिक होकर कहती हैं.

दस वर्ष पूर्व ट्रेन यात्रा के दौरान लोगों को चाय बेचता देख यह विचार आया. तभी से इस पेशा से जुड़ गई. रूबी के मुताबिक हर रोज चार से पांच सौ रुपया का चाय बिक्री कर लेती हैं. दो सौ रुपया तक की कमाई हो जाती है जिससे परिवार का भरण पोषण हो जाता है.

पुछने पर क्या कभी महिला होने की वजह से ट्रेन में इस तरह चाय बेचते भय भी होता है,रूबी बताती हैं कि ऐसा कुछ नहीं है. हां जीआरपी वाले बंधी बधाई रकम की वसुली करते है. जब रूबी घर पर नहीं होती तो विकलांग पति की देखभाल उसका बेटा करता है.रूबी कहती है शुरूआती दिनों में बेटा के कम उम्र कि वजह से काफी परेशानी होती थी.घर में विकलांग पति एवं पुत्र के अलावे कोई नहीं है .

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