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सपा की चुनावी मोर्चाबंदी

अखिलेश मंत्रिमंडल का विस्तार यह बताने की लिए काफी है कि समाजवादी पार्टी जातिगत, सांप्रदायिक समीकरणों और दबंग छवि के लोगों के सहारे 2017 का चुनाव मैदान जीतना चाहती है. अखिलेश मंत्रिमंडल का छठा विस्तार उन कसौटियों पर कतई खरा नहीं उतरा, जिसके कयास लगाये जा रहे थे. बहुत चर्चा थी कि इस बार मंत्रिमंडल […]

अखिलेश मंत्रिमंडल का विस्तार यह बताने की लिए काफी है कि समाजवादी पार्टी जातिगत, सांप्रदायिक समीकरणों और दबंग छवि के लोगों के सहारे 2017 का चुनाव मैदान जीतना चाहती है.

अखिलेश मंत्रिमंडल का छठा विस्तार उन कसौटियों पर कतई खरा नहीं उतरा, जिसके कयास लगाये जा रहे थे. बहुत चर्चा थी कि इस बार मंत्रिमंडल का विस्तार अखिलेश के मेक ओवर यानी दागदार छवि और थके हुए चेहरों से अलग युवा प्रतिनिधित्व का अक्स होगा. कहा गया था कि यह अखिलेश के टेक ओवर का संदेश देने वाला भी विस्तार होगा. मतलब पहली बार बिना किसी दबाव के वह अपने पसंद का मंत्रिमंडल बनाकर अपनी प्रभुसत्ता साबित करेंगे.

यह उम्मीद इसलिए भी बढ़ गयी थी कि अखिलेश ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह के करीबी माने जाने वाले कई दिग्गजों को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था और अनेक दिग्गजों के विभाग छीन लिये थे. 29 अक्तूबर को मुख्यमंत्री की सिफारिश पर आठ लोगों को मंत्रिमंडल से हटा दिया गया और नौ लोगों के विभाग छीन लिये गये. जिन लोगों को बर्खास्त किया गया, उनमें अम्बिका चैधरी, राजा महेन्द्र अरीदमन सिंह जैसे मुलायम के करीबी हैं. जिन लोगों के विभाग छीने गये, उनमें अहमद हसन व रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया जैसे चर्चित चेहरे हैं. प्रदेश में यह संभवतः पहली बार है कि मंत्रियों को अपनी बर्खास्तगी और पद छीने जाने की सूचना मीडिया के जरिये मिली. आमतौर पर मंत्रियों से बुलाकर इस्तीफा ले लिया जाता रहा है. लेकिन इस बार लगा कि अखिलेश निजी तौर पर कोई सख्त संदेश देना चाहते हैं. हालांकि यह भी चर्चा थी कि गायत्री प्रजापति, पारसनाथ यादव, राममूर्ति वर्मा, पंडित सिंह जैसों को क्यों नहीं छेड़ा गया है. शायद मुख्यमंत्री दूसरे दौर में इन लोगों की खबर लें.

31 अक्तूबर की सुबह ये सारे कयास धरे रह गये, जब मंत्रिमंडल विस्तार की सूची सामने आयी. यह अखिलेश का न मेक ओवर था, न टेक ओवर. मंत्रिमंडल विस्तार में जो चेहरे सामने आये, उसे देखकर लगा कि नया मंत्रिमंडल भी पुराने मंत्रिमंडल के चरित्र का विस्तार मात्र है.

सपा को साफ-सुथरी छवि से कोई लेना-देना नहीं है. मंत्रिमंडल विस्तार 2017 में होने वाले विधान सभा चुनाव को ध्यान में रखकर जातिगत और सामाजिक संतुलन साधने की कोशिश है. ठाकुर व मुस्लिम चेहरों को तरजीह दी गयी है. परंपरागत वाेट बैंक सहेजने के लिए यादवों की नुमाइंदगी बढ़ायी गयी है. अति पिछड़े व दलितों को भी जगह दी गयी है. छठे विस्तार में 12 नये चेहरों को जगह मिली है और नौ राज्य मंत्रियों को प्रोन्नत किया गया है. साहब सिंह और बलवंत सिंह रामूवालिया दो नये चेहरे हैं, जिन्हें सीधे कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. रामूवालिया मुलायम के करीबी हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति से उनका कोई लेना-देना नहीं रहा है. वह अभी तक पंजाब में शिअद की राजनीति कर रहे थे. प्रदेश के किसी सदन के सदस्य नहीं हैं. उन्हें प्रदेश के सिख मतदाताओं को साधने के लिए सामने लाया गया है. जातिगत प्रतिनिधित्व के लिहाज से भी देखें, तो सपा ने मंत्रिमंडल का विस्तार अपने वोट बैंक के अनुरूप किया है. अखिलेश सहित 58 सदस्यीय मंत्रिमंडल में सर्वाधिक 11 मुसलमान, 24 पिछड़े व अति पिछड़े हैं.

यह पूरी तसवीर यह बताने की लिए काफी है कि समाजवादी पार्टी जातिगत, सांप्रदायिक समीकरणों और दबंग छवि के लोगों के सहारे 2017 का चुनाव मैदान जीतना चाहती है. हालांकि सरकारी इश्तिहारों में विकास की लंबी फेहरिस्त है, लेकिन चुनावी सिपहसालारों में कुछ वे नाम भी होंगे, जिनकी बहुत दागदार छवि है. इसके अलावा आंतरिक उठापटक भी तेज होगी. वरिष्ठ मंत्री और सपा के बड़े मुसलिम चेहरे आजम खां की नाराजगी चर्चा में है. मंत्रिमंडल विस्तार के समारोह में वह नहीं आये थे. राजा भैया का विभाग छीने जाने से उनके समर्थकों में नाराजगी है और भाजपा उत्साहित है. उत्तर प्रदेश में सपा कार्यकर्ताओं की दबंगई और बढ़ता सांप्रदायिक तनाव एक बड़ा मुद्दा है.

लगता है, अगले चुनाव में यही मुद्दा शीर्ष पर रहेगा. बसपा प्रमुख मायावती ने मंत्रिमंडल विस्तार के बाद प्रेस कांफेंस कर ऐलान किया कि अगर वह सत्ता में आयीं, तो उनका पूरा ध्यान सूबे के विकास और गुंडों, माफियाओं को जेल भेजने पर रहेगा. भाजपा ने भी सपा कार्यकर्ताओं की दबंगई को प्रमुखता से इंगित किया है. इस बार मंत्रिमंडल विस्तार का एक सबसे सकारात्मक पहलू है बंशीधर बौद्ध जैसे साफ-सुथरी ईमानदार छवि के लोगों को मंत्री बनाना. वह आज भी झोपड़ी में रहते हैं और अपने खेत में खुद हल चलाते हैं. काश, अखिलेश कुछ ऐसे चेहरे और ढूंढ पाते.

रामेश्वर पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार
rameshwarpandey7@gmail.com

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