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छेडखानी, पीछा करना महिला के जीने के अधिकार का हनन : अदालत

नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि छेडखानी और पीछा करना महिला के जीने का अधिकार और आजादी का उल्लंघन है और इस तरह की चीजों के कारण वे असुरक्षित महसूस करती हैं.अदालत ने यह भी कहा कि छेडखानी और पीछा करना व्यक्ति के लिए मौज मस्ती का बेहूदा तरीका है और यह […]

नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि छेडखानी और पीछा करना महिला के जीने का अधिकार और आजादी का उल्लंघन है और इस तरह की चीजों के कारण वे असुरक्षित महसूस करती हैं.अदालत ने यह भी कहा कि छेडखानी और पीछा करना व्यक्ति के लिए मौज मस्ती का बेहूदा तरीका है और यह महिलाओं के लिए शारीरिक और मानसिक प्रताडना है.

इसने कहा कि भारतीय महिलाओं के एक बडे हिस्से को इन समस्याओं का सामना करना पडता है और वे कहीं भी, चाहे सार्वजनिक परिवहन तंत्र हो, सार्वजनिक जगह हो, शॉपिंग मॉल या मल्टिप्लेक्स छेडखानी जैसे खतरों का आसान शिकार होती हैं.
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुशील बाला डागर ने उत्तर पश्चिमी दिल्ली में सुल्तानपुरी के निवासी 22 वर्षीय राजेश को एक लडकी का पीछा करने और भद्दी बात करने और उसकी मर्यादा भंग करने का दोषी माना और उसे तीन महीने जेल की सजा सुनाते हुये यह टिप्पणी की.
अदालत ने कहा, ‘‘छेडछाड समाज में एक समस्या बन गयी है जिससे महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं और अकेले निकलने को लेकर नर्वस रहती हैं. छेडछाड पूरी तरह से एक सामाजिक अपराध है जो महानगरीय शहरों में महिला के जीने के अधिकार और आजादी का हनन करता है.’ मजिस्ट्रेट ने कहा कि छेडखानी और पीछा करना सम्मान के साथ महिला के जीने के अधिकार का हनन करता है और दोषी को इस तरह की सजा मिलनी चाहिए जिससे कि समाज में इस तरह का अपराध करने वाले लोग ऐसी हिम्मत नहीं कर सकें.
मजिस्ट्रेट ने कहा, ‘‘महिलाओं के खिलाफ छेडछाड, अश्लील टिप्पणी करना और इशारेबाजी करना, महिलाओं के शरीर को छूने की हरकतें, भद्दी टिप्पणी करना ये सब ऐसी चीजें हैं जिसे महानगरीय शहरों में महिलाएं हर वक्त झेलती हैं और यह उस पर निर्भर करता है कि विकृत सोच वालों को कैसा मौका मिलता है.’ अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता की तरफ से बेरुखी जाहिर करने के बावजूद राजेश ने दफ्तर जाने के साथ ही ट्यूशन जाते वक्त उसका पीछा किया और अभद्र टिप्पणी की. अभियोजन के मुताबिक, बैंक में काम कर रही महिला ने दिसंबर 2013 में पुलिस के समक्ष शिकायत दर्ज करायी थी कि राजेश बस में उसका पीछा करता है और बेरुखी जाहिर करने के बावजूद उसकी सीट के पास खडा रहता है.
अभियोजन ने कहा कि ऑफिस तथा ट्यूशन के लिए जाते वक्त भी उसने भद्दी टिप्पणी कर उसकी गरिमा भंग की. मुकदमे के दौरान युवक ने दावा किया कि मामले में उसे गलत फंसाया गया और वह मौके पर मौजूद नहीं था.अदालत ने दोषी को पीडिता को 10,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया.

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