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जानें कितनी स्वच्छ है आपकी सांस
दिल्ली के तीन किशोरों ने बनाया प्रदूषण मापनेवाला ड्रोन दिल्ली के संचित मिश्रा, त्रियम्बके जोशी और प्रणव कालरा ने कम उम्र में ही एक ऐसा यंत्र बनाया है, जो पर्यावरण की दिशा में काफी मददगार सिद्ध हो सकता है. हालांकि यह यंत्र आमतौर पर सुरक्षा हेतु प्रयोग में लाया जाता है, लेकिन इनका मानना है […]
दिल्ली के तीन किशोरों ने बनाया प्रदूषण मापनेवाला ड्रोन
दिल्ली के संचित मिश्रा, त्रियम्बके जोशी और प्रणव कालरा ने कम उम्र में ही एक ऐसा यंत्र बनाया है, जो पर्यावरण की दिशा में काफी मददगार सिद्ध हो सकता है. हालांकि यह यंत्र आमतौर पर सुरक्षा हेतु प्रयोग में लाया जाता है, लेकिन इनका मानना है कि उनका यह ड्रोन यंत्र पर्यावरण की दिशा में काफी उपयोगी सिद्ध हो सकता है. संचित और त्रियम्बके दोनों 16 साल के हैं और इसी साल उन्होंने 10वीं की परीक्षा पास की है, जबकि प्रणव मात्र 15 साल के हैं और अभी 10वीं के छात्र हैं.
इसे बनाने के पीछे भी उनका मकसद यही है कि लोग जान सकें कि जिस वातावरण में वे सांसें ले रहे हैं, वह कितना स्वच्छ है. तीनों का मानना है कि इस उपकरण के उपयोग से समाज में पर्यावरण के प्रति लोग सजग व जागरूक होंगे और पर्यावरण का सही संतुलन बनाने की दिशा में सही व प्रभावी प्रयास हो सकेंगे.
लगभग दो साल पहले 9 वीं कक्षा के सहपाठी संचित और त्रियम्बके, एक विज्ञान प्रतियोगिता में भाग लेने के सिलसिले में किसी दूसरे स्कूल में गये़ वहां उनकी मुलाकात प्रणव से हुई और तीनों में अच्छी दोस्ती हो गयी़ तीनों को तकनीकी विषयों में काफी दिलचस्पी थी और अपनी पढ़ाई के अलावा कुछ नया करने की योजना इनके दिमाग में चलता रहता था. इस दौरान संचित ड्रोन पर रिसर्च कर रहे थे.
तभी प्रणव के दिमाग में यह आइडिया आया कि क्यों न एक ऐसा ड्रोन बनाया जाये, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम कर सके. फिर तीनों दोस्त इसको बनाने की तैयारी में जुट गये. इसी साल मार्च में इन्होंने अपने इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया और सितंबर 2015 तक उनका यह ड्रोन बनकर तैयार हो गया. लेकिन अभी भी यह तीनों इसे अपग्रेड करने की तैयारियों में जुटेहुए हैं.
अपने इस आविष्कार के बारे में त्रियम्बके बताते हैं, हमारा ड्रोन पर्यावरण की सही रीडिंग दे रहा है लेकिन अभी उस रीडिंग को पर्यावरण विशेषज्ञ ही समझ सकते हैं. ऐसे में हम इसे और अपग्रेड कर रहे हैं. इसकी भाषा इस तस तरह बना रहे हैं ताकि एक आम इनसान भी इसे समझ सके और यह भी जान सके कि इस समय हमारे वातावरण में कितनी मात्रा में कौन सी गैस मौजूद है.
तीनों का दावा है कि उनका यह उपकरण ड्रोन पर्यावरण में मौजूद सभी गैसों की मात्रा की सटीक जानकारी दे रहा है. उनका कहना है कि भले ही अभी ड्रोन पर बैन है, लेकिन वे इसे और अपग्रेड करने के बाद सरकार के समक्ष प्रस्तुत करेंगे और बतायेंगे कि उनका यह प्रोजेक्ट एक आम इनसान के लिए भी किस प्रकार उपयोगी है.
इन किशोरों को अपने ड्रोन को मुकम्मल रूप देने के लिए अपने घर से लगभग दो घंटे का सफर तय करके दिल्ली के नेताजी सुभाष पैलेस, पीतम पुरा में मेकर्स स्पेस में जाना होता था. यहां ये तीनों मिलकर प्रोडक्ट की डिजाइनिंग से लेकर मेकिंग तक का काम करते थे.
वहां के बाकी लोगों ने भी इनकी इस काम में बहुत मदद की. यहां यह जानना जरूरी है कि मेकर्स स्पेस, युवा आंत्रप्रेन्योर्स के लिए एक तरह की कम्यूनिटी होती है, जहां वे अपने इनोवेटिव आइडियाज को शेयर करने के अलावा असली रूप भी देते हैं. बहरहाल त्रियम्बके बताते हैं, प्रोडक्ट बनाते वक्त हमने इस बात का भी खास ख्याल रखा कि यह पोर्टेबल और कॉम्पेक्ट हो, ताकि इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सके.
पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर मापनेवाले ड्रोन के अलावा, ये तीन दोस्त भविष्य में तकनीक को आम लोगों से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. वे इसी तकनीक के माध्यम से लोगों के लिए एक ऐसा प्रोडक्ट विकसित करना चाहते हैं जिसके माध्यम से शहरों में एक बड़ी समस्या बन चुकी पार्किंग की समस्या का समाधान किया जा सके. फिलहाल ये किशोर एक ऐसे ऐप पर काम कर रहे हैं, जो ड्रोन की मदद से लोगों को उनके फोन पर इस बात की जानकारी दे सके कि उनकी कार पार्किंग के लिए आसपास कौन सी जगह खाली है़
बहरहाल, अपना ड्रोन बनाने के लिए जरूरी फंड जुटाने के के मकसद से इन्होंने ‘फिनिक्स ड्रोन लाइव’ के नाम से एक स्टार्टअप भी शुरू किया है, जिसके लिए ये इन दिनों इंवेस्टर की तलाश कर रहे हैं. इन सबके बीच अपनी पढ़ाई के साथ संतुलन बना रहे संचित, त्रियम्बके और प्रणव का मनना है कि उनका यह आविष्कार, लोगों को यह जानने में मदद करेगा कि वे कितनी दूषित हवा में सांस ले रहे हैं. और इसके बाद वे यकीनन अपनी जीवनशैली में बदलाव करेंगे़
हाल ही में ब्रिटेन के सर्रे विश्वविद्यालय की एक अध्ययन रिपोर्ट ‘एटमॉस्फेरिक एन्वायरमेंट’ जर्नल में प्रकाशित की गयी, जिसमें दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बताते हुए यह कहा गया कि यह शहर भूगोल, विकास, ऊर्जा के खराब स्रोतों और प्रतिकूल मौसम का जहरीला मिश्रण है, जिससे वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है.
देश के बाकी शहरों का भी हाल कमोबेश ऐसा ही है़ ऐसे में दिल्ली के ही तीन छात्रों ने एक ऐसा ड्रोन तैयार किया है, जो शहर के अलग-अलग इलाकों में उड़ान भर कर यह पता लगायेगा कि वहां की हवा कितनी स्वच्छ है़
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