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जातीय समीकरणों की इर्दगिर्द रहा अखिलेश का मंत्रिमंड़ल विस्तार
।।लखनऊ से राजेन्द्र कुमार।। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को छठी बार अपनी सरकार के मंत्रिमंड़ल का विस्तार किया. इस विस्तार के जरिए मुख्यमंत्री ने 11 नए चेहरे सरकार में शामिल किए और नौ मंत्रियों को प्रमोशन देकर कैबिनेट या स्वतंत्र प्रभार मंत्री का दायित्व सौंपा. सरकार में शामिल हुए 11 नए […]
।।लखनऊ से राजेन्द्र कुमार।।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को छठी बार अपनी सरकार के मंत्रिमंड़ल का विस्तार किया. इस विस्तार के जरिए मुख्यमंत्री ने 11 नए चेहरे सरकार में शामिल किए और नौ मंत्रियों को प्रमोशन देकर कैबिनेट या स्वतंत्र प्रभार मंत्री का दायित्व सौंपा. सरकार में शामिल हुए 11 नए चेहरों में सिर्फ हेमराज वर्मा ही शनिवार को शपथग्रहण समारोह में शामिल नहीं हो सके, उन्हें अब बाद में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी.
अखिलेश सरकार के इस छठे मंत्रिमंड़ल विस्तार को जातीय समीकरणों को दुरूस्त करने की कवायद बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि सरकार में शामिल नए चेहरों में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है, जिसकी धाक बलिया से लेकर मेरठ तक की जनता के बीच हो. अखिलेश सरकार के मंत्रिमंड़ल विस्तार पर ऐसी टिप्पणी करने वाले राजनीतिक विशेषज्ञों का दावा है कि जातीय समीकरणों को दुरूस्त करने की रणनीति के तहत ही सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पंजाब में राजनीति करने वाले बलवंत सिंह रामू वालिया को कैबिनेट में जगह दी गई, जबकि बलवंत सिंह न तो विधायक हैं और न ही एमएलसी. रामू वालिया सपा प्रमुख मुलायम के दोस्त हैं और यूपी के सिख समुदाय को सपा से जोड़ने के लिए उनकों अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. रामू वालिया अकाली दल के नेता भी रहे हैं और वह देवगौड़ा सरकार में मंत्री थे. तभी उनकी मित्रता सपा प्रमुख से हुई थी और अब मुलायम सिंह ने उन्हें यूपी के राजनीतिक मैदान में उतार दिया है.
रामू वालिया की ही तरह मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अरविंद सिंह गोप, कमाल अख्तर, पंडित सिंह तथा साहब सिंह सैनी को कैबिनेट में शामिल करने और रियाज अहमद, फरीद महफूज किदवई, मूलचंद चौहान, राम शक्ल गूजर, नितिन अग्रवाल , यासर शाह, मदन चौहान तथा शादाब फातिमा को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाए जाने की छूट दी. ताकि इन मंत्रियों के जातीयगत वोट का अखिलेश सरकार को लाभ मिले. हालांकि इनमें पंडि़त सिंह जैसे विवादित लोगों भी शामिल हैं, जिन्हें मारपीट करने और गाली देने में महारत हासिल है.
अखिलेश सरकार में राज्यमंत्री की कुर्सी पाए आठ विधायकों में सिर्फ वंशीधर बौद्ध को छोड़कर राधेश्याम सिंह, शैलेंद्र यादव ललई, ओंकर सिंह, तेज नारायण पाण्डेय उर्फ पवन पाण्डेय, सुधार कुमार रावत, हेमराज वर्मा, लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद को जातीयगत समीकरणों के चलते ही सरकार में शामिल किया गया है. अपने खेत में खुद हल चलाने और अपनी खेतीबाड़ी में ही वंशीधर बौद्ध का अपने इलाके में बेहद सम्मान है, जिसके चलते मुख्यमंत्री ने उन्हें सरकार में जगह दी है. जबकि कुछ समय पहले मंत्रिमंड़ल से हटाए गए तेज नारायण पाण्डेय उर्फ पवन पाण्डेय को मुख्यमंत्री की पैरवी के चलते मंत्रिमंड़ल में शामिल करने की अनुमति सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव से मिली .
शनिवार को अखिलेश सरकार में शामिल हुए 11 नए चेहरों को लेकर अब अखिलेश सरकार में मुस्लिम मंत्रियों की संख्या 11 हो गई है. इतने ही ठाकुर और यादव भी सरकार में मंत्री हैं.इन आंकड़ों के चलते ही अखिलेश सरकार के कामकाज पर नजर रखने वाले राजनीतिक विशेषज्ञ दावा कर रहे हैं कि अखिलेश सरकार यूपी के विकास का नारा देते हुए जातीय आधार पर ही आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा और अन्य दलों को चुनौती देगी. इसका संकेत शनिवार को हुए मंत्रिमड़ल विस्तार करने हुए सपा के प्रमुख नेताओं ने दे दिया.
इन्हें बनाया गया कैबिनेट मंत्री
अरविंद कुमार गोप
कमाल अख्तर
विनोद कुमार उर्फ पंडित सिंह
बलवंत सिंह रामू वालिया
साहब सिंह सैनी
** इन्हें बनाया गया राज्यमंत्री (स्वंतत्र प्रभार)
रियाज अहमद
फरीद महफूज किदवई
मूल चंद चौहान
राम सकल गुर्जर
नितिन अग्रवाल
यासर शाह
मदन चौहान
शादाब फातिमा
इन्हें बनाया गया राज्यमंत्री
राधे श्याम सिंह
शैलेंद्र यादव ललई
ओमकार सिंह यादव
तेज नारायण पांडे उर्फ पवन पांडे
सुधीर कुमार रावत
हेमराज वर्मा
लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद
बंशीधर बौद्ध
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