भागलपुर. नगर निगम इसकी रूपरेखा तैयार करने में भी जुट गया है. इस बात की सूचना शहरी व प्रवासी शहरी के अलावा आसपास के जिले के लोगों तक है. लिहाजा भागलपुर में अपना भी आशियाना हो, इसे लेकर लोग यहां पर इनवेस्टमेंट की तैयारी करने में जुट गये हैं. तैयारी हो भी क्यों नहीं. स्मार्ट सिटी में रहना कौन नहीं चाहेगा और नहीं भी रहेगा तो भी व्यवसाय की दृष्टि से जमीन या फ्लैट की खरीद फायदेमंद तो रहेगा ही.
अगर वर्तमान में जमीन की रजिस्ट्री की बात करें तो इसमें तेजी नहीं आयी है. सितंबर व अक्तूबर माह में तो रजिस्ट्री से होनेवाली आय में भी कमी आ गयी है, इसके पीछे विधानसभा चुनाव में बड़ी नकद राशि पर आयोग व प्रशासन की नजर होना है.विस्तार लेता जा रहा है भागलपुरभागलपुर शहर के मकान ऊंचे होते जा रहे हैं, लेकिन इसके सटे पूर्व व दक्षिण क्षेत्र पर गौर करें, तो वहां विस्तार धीरे-धीरे होता जा रहा है. भागलपुर व सबौर के बीच के इलाके में कई मुहल्ले बस चुके हैं.
कई मुहल्ले की अधिकतर जमीनों की बोली लग रही है. अलीगंज से आगे बढ़ने पर जगदीशपुर सड़क के दोनों तरफ खाली जमीन की प्लॉटिंग की गयी है. जमीन और बसे कई घर देख यह महसूस होता है कि भागलपुर में लोग अपना भविष्य देख रहे हैं. अंदर और बाहर हो रही बिक्री निबंधन कार्यालय के रिकार्ड के अनुसार अब भी प्रतिदिन की रजिस्ट्री का औसत आंकड़ा 60-65 का ही है. इनमें अधिकतर रजिस्ट्री शहरी क्षेत्र के अंदर की कॉलोनियों में हो रही हैं.
वहीं कुछ रजिस्ट्री स्थायी बाइपास के आसपास हो रही है. जबकि शहर के आउटर हिस्से में कई कृषि योग्य भूमि में प्लॉटिंग की जा रही है, लेकिन उस प्लॉटिंग को पावर ऑफ अर्टानी या एग्रीमेंट का ही रूप दिया जा रहा है, उसे रजिस्ट्री का रूप नहीं मिल रहा है. स्मार्ट सिटी का दर फिक्स नहींशहरी क्षेत्र के बाहर बढ़ रही प्लॉटिंग के कामकाज को लेकर निबंधन कार्यालय के आला पदाधिकारी भी असमंजस में हैं. उनके मुताबिक, प्लॉट मामले में लोगों द्वारा कई अन्य विकल्प का सहारा लिया जा रहा है.
इस वजह से राजस्व को लेकर विभाग को आय नहीं हो रही है. क्योंकि स्मार्ट सिटी की घोषणा के बाद जमीन का बाजार भाव तो बढ़ गया, लेकिन स्मार्ट सिटी के लिए जमीन का कोई सरकारी दर फिक्स नहीं हो सका है. चुनावी गतिविधि में घट गयी आयरिकार्ड के अनुसार जून के बाद रजिस्ट्री से आनेवाला राजस्व घट गया है. अगस्त माह में 8.96 करोड़ रजिस्ट्री से आय हुई थी. सितंबर माह में यह घटकर 5.21 करोड़ रह गया. निबंधन कार्यालय के सूत्रों के अनुसार चुनावी गतिविधि के कारण लोग बड़ी रकम को लाने से डर रहे थे. इससे जमीन रजिस्ट्री के कामकाज पर भी असर पड़ा. जानकार भी इसका मुख्य कारण चुनाव ही मान रहे हैं. जानकार यह भी बताते हैं कि चुनाव बाद जमीन की बिक्री बढ़ने की पूरी संभावना है. यह है स्मार्ट सिटी के विस्तार की परिकल्पना स्मार्ट सिटी के विस्तार को लेकर चर्चा की जा रही है कि इसमें शहरी क्षेत्र की आधारभूत संरचना जैसे सड़क की मजबूती, ओवरब्रिज, पेयजल सुविधा व बिजली संरचना में विकास करना है.
जबकि क्षेत्र विस्तार में नाथनगर, जगदीशपुर व सबौर की तरफ जाने की बात कही जा रही है. यहां पर योजनाबद्ध तरीके से स्मार्ट सिटी का विकास होना है. लेकिन इसका प्रचार-प्रसार हो और लोग यह जान सके कि स्मार्ट सिटी का आखिरी छोर (हर दिशा में) कहां तक होगा, तो जमीन की बिक्री में उछाल आ जायेगा. रजिस्ट्री के खर्च से बचने के लिए सामान्य एग्रीमेंट हो गया विकल्प भू-माफिया जमीन की रजिस्ट्री के खर्च से बचने के लिए सामान्य एग्रीमेंट का सहारा ले रहे हैं. इसके तहत न्यूनतम एक हजार रुपये के स्टांप पेपर पर जमीन मालिक के साथ एग्रीमेंट करा लिया जाता है. इस तरह एग्रीमेंट के बाद जमीन को अलग-अलग प्लॉट में काट कर बेचा जाता है. इस बीच जमीन मालिक को दिलासा दिया जाता है कि उनकी जमीन की पूरी रजिस्ट्री एक साथ हो जायेगी. इस तरह सभी प्लॉट के खरीदार हो जाने पर उसकी रजिस्ट्री होती है.