प्राणपुर में मतदाता के खामोशी से प्रत्याशी परेशान
कटिहार : जिले में चुनावी सरगर्मी के बीच प्रत्याशियों के बीच मुकाबला बढ़ता जा रहा है. स्टार प्रचारकों के आगमन से चुनावी फिजा पूरे शबाब पर है. हर प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित करने को लेकर मतदाताओं को हर तरह से रिझाने की कोशिश में जुटे हैं. जिले के 66-प्राणपुर विधानसभा सीट पर भी चुनावी मुकाबला दिलचस्प बन गया है.
गुरुवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की चुनावी सभा के बाद इस क्षेत्र में चुनावी मुकाबला लगभग त्रिकोणीय बन गया है. इस बार भी परंपरागत प्रतिद्वंद्वी आमने-सामने हैं. यानी भाजपा प्रत्याशी व निवर्तमान विधायक बिनोद कुमार सिंह तथा पिछले चुनाव में मामूली वोटों के अंतर से पराजित हुई एनसीपी प्रत्याशी इशरत परवीन 16 वीं विधानसभा चुनाव के समर में भी आमने-सामने हैं.
जबकि महागंठबंधन की ओर से कांग्रेस प्रत्याशी तौकीर आलम मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी इस सभा के बाद महागंठबंधन प्रत्याशी व उनके समर्थकों में उत्साह व्याप्त है. वहीं इस सीट से कुल 23 उम्मीदवार चुनावी सभा में हैं. प्रमुख प्रत्याशियों के अलावा दलीय व निर्दलीय प्रत्याशी भी अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित करने को लेकर वोटरों को रिझाने में जुटे हैं.
प्रमुख प्रत्याशियों के अलावा बसपा के अब्दुस कलाम, एसएसडी के इसराइल, जद राष्ट्रवादी के कालीचरण दास, एसकेएलपी के गंगा केवट, बीएमपी के चंद्रमोहन मंडल, भाकपा माले के प्रदीप कुमार राय, गरीब जद सेकुलर के मो मेराज, बीकेपी के लखन यादव, आइएमसी के शाहीदा कुरैशी, जाप के सैयाद आलम, जेडीएम के सरकार मरांडी, आरजेपी के सुरेश राय तथा निर्दलीय आजम, ज्योतिष चंद्र कर्मकार, जावेद राही, पूर्व मंत्री महेंद्र नारायण यादव, शंभू बूबना, मो सलाउद्दीन, सुदर्शन चंद्र पाल, हरिशंकर प्रसाद आदि ने इस चुनावी मुकाबला को दिलचस्प बना दिया है. –
परवान चढ़ा चुनावी फिजाबाढ़-कटा से हर साल जूझता यह विधानसभा क्षेत्र में कमोवेश सभी जाति और समुदाय के लोग रहते हैं. यद्यपि, पिछले कुछ वर्षों में क्षेत्र का विकास हुआ हैं, लेकिन अभी भी बाढ़-कटाव सहित कई समस्याओं से लोगों को हर रोज दो-चार होना पड़ रहा है. समस्याओं से जूझते लोगों के बीच विधानसभा चुनाव को लेकर चुनावी फिजा भी बनने लगा है. पांच नवंबर को होने वाले मतदान में ऊंट किस करवट बैठती है तथा किसकी किस्मत इवीएम में कैद होती है.
यह आने वाला समय ही बतायेगा लेकिन 23 उम्मीदवार के चुनाव मैदान में कूदने से यहां का सियासी समीकरण रोचक बनता जा रहा है. गुरुवार को कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के चुनावी सभा के बाद इस सीट पर चुनावी फिजा अब परवान चढ़ गया है. हालांकि मतदाता की खामोशी से सभी प्रत्याशी परेशान हैं. प्रमुख प्रत्याशी व समर्थक अपने-अपने प्रत्याशी के जीत के दावे जरूर कर रहे हैं, लेकिन राह उतना आसान नहीं है. वोटरों को रिझाने में प्रमुख प्रत्याशियों का पसीना छूट रहा है.
प्रत्याशी डाल-डाल तो वोटर पात-पात चल रहे हैं. -समाजवादियों का रहा है गढ़यह सीट आजादी के बाद से अब तक अधिकांश समय कांग्रेस व समाजवादियों के कब्जे में रहा है. हालांकि दस वर्षों तक इस सीट पर भाजपा का भी कब्जा रहा है. वर्ष 2000 व 2010 के चुनाव में यहां से भगवा लहराया है.
जबकि आजादी के बाद से 1985 तक छह बार इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है. वहीं छह बार समाजवादियों ने भी इस सीट पर राज किया है. -आंकड़ों पर नजर डालेकुल मतदाता – 262241पुरुष मतदाता – 138504महिला मतदाता – 123714अन्य मतदाता – 23कुल मतदान केंद्र – 253कुल प्रत्याशी – 23अब तक हुए विधायक—————- वर्ष – विधायक —- ———–1952 – श्रीमती पार्वती देवी (कांग्रेस)1962 – नंदलाल मरंडी (पीएसपी)1967 – मो अबू जफर (कांग्रेस)1969 – मो अबू जफर (कांग्रेस)1972 – मो अयूब (कांग्रेस)1977 – महेंद्र नारायण यादव (जनता पार्टी)1980 – मो शकूर (कांग्रेस)1985 – मांगन इंसान (कांग्रेस)1990 – महेंद्र नारायण यादव (जद)1995 – महेंद्र नारायण यादव (जद)2000 – विनोद कुमार सिंह (भाजपा)2005 (फरवरी) – महेंद्र नारायण यादव (राजद)2005 (नवंबर) – महेंद्र नारायण यादव (राजद)2010 – बिनोद कुमार सिंह (भाजपा)