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ऑटो स्टैंड बन गया जंकशन

ऑटो स्टैंड बन गया जंकशन रेल प्रशासन की लापरवाही से बढ़ी समस्या मनमाने तरीके से लगाये जाते वाहन यात्रियों को आवागमन में होती परेशानी स्टैंड का जगह बदलने के बाद नहीं हुई स्थायी व्यवस्था फोटो संख्या- 05परिचय- निकास द्वार पर ऐसे ही लगे रहते हैं वाहन. प्रतिनिधि, दरभंगा. रेलवे के सर्वोच्च दर्जा प्राप्त स्टेशन दरभंगा […]

ऑटो स्टैंड बन गया जंकशन रेल प्रशासन की लापरवाही से बढ़ी समस्या मनमाने तरीके से लगाये जाते वाहन यात्रियों को आवागमन में होती परेशानी स्टैंड का जगह बदलने के बाद नहीं हुई स्थायी व्यवस्था फोटो संख्या- 05परिचय- निकास द्वार पर ऐसे ही लगे रहते हैं वाहन. प्रतिनिधि, दरभंगा. रेलवे के सर्वोच्च दर्जा प्राप्त स्टेशन दरभंगा जंकशन परिसर ऑटो स्टैंड में तब्दील हो गया है. चालक जहां जी चाहे ऑटो स्टैंड कर देते हैं. इससे यात्रियों को आवागमन में परेशानी होती है. यह समस्या समस्तीपुर रेल मंडल की लापरवाही व शिथिलता के कारण बन गई है. दस माह बाद भी महकमा इस समस्या के निदान करने के प्रति सजग नहीं दिख रहा है. लिहाजा पूरे जंकशन की सूरत बदहाल बनी हुई है. जगह बदलने के बाद समस्याजनवरी 2015 में रेल राज्यमंत्री मनोज कुमार सिन्हा के कार्यक्रम के दौरान तत्कालीन डीआरएम अरुण कुमार मल्लिक ने आनन-फानन में जंकशन के मुख्य भवन के सामने से ऑटो स्टैंड को खाली करवा दिया. इस स्थल पर मंत्री की एक सभा हुई. हालांकि इसका कोई लिखित आदेश निर्गत नहीं होने के कारण मंत्री के जाते ही स्टैंड संचालक पुन: इस जगह काबिज हो गये. फिर डीआरएम ने आकर इसे हटवा दिया. साइकिल स्टैंड को आरक्षण भवन के सामने गलियारे में तथा टैक्सी स्टैंड को साइकिल स्टैंड वाली जगह पर स्थानांतरित कर दिया. यहां बता दें कि टेंडर में जिस जगह का ठेका दिया गया, वह मुख्य भवन के सामने का स्थल है. संचालक की समस्या पर वैकल्पिक व्यवस्थास्टैंड संचालक ने जब जगह कम होने तथा वाहनों के प्रवेश व निकास की समुचित व्यवस्था नहीं होने की समस्या रखी तो वैकल्पिक व्यवस्था के तहत उसे दक्षिण की ओर मालगोदाम गेट तथा मध्य निकास द्वार दे दिया गया. यह व्यवस्था तत्काल की गयी. कहा गया कि जमीन की मापी कर ठेके के अनुरूप स्थल उपलब्ध कराकर विधिवत प्रबंध किया जायेगा. इसके लिए डीआरएम ने अधिकारियों की एक टीम भी बना दी. तत्कालीन सीनियर डीसीएम जफर आजम के नेतृत्व में पहुंचे दल ने स्थल निरीक्षण भी किया. रिपोर्ट भी सौंपी, लेकिन सहमति नहीं बन सकी. छूट का उठा रहे बेजा लाभइधर स्थायी व्यवस्था होने तक मिली छूट का लाभ स्टैंड संचालक उठा रहे हैं. मजेदार पहलू यह है कि संचालक खुद रेल प्रशासन पर यह तोहमत लगा रहा है कि उसकी लापरवाही व शिथिलता के कारण उसे नित्य घाटा हो रहा है. पूरे परिसर में वाहन लगे होने के कारण तथा कोई निर्धारित स्थल नहीं होने की वजह से आवश्यकता से अधिक कर्मी लगाना पड़ रहा है, जिससे उसे अधिक व्यय हो रहा है. सूत्र बताते हैं कि इसे लेकर कई बार रेल प्रशासन को स्टैंड संचालक ने चेतावनी तक दी है, बावजूद प्रशासन शिथिल पड़ा है. पूरे परिसर में लगे रहते हैं वाहनवाहन संचालकों पर किसी का लगाम नहीं है. जिसको जहां मन होता है, ऑटो खड़ी कर यात्रियों को चढ़ाना शुरू कर देता है. इस वजह से जब लंबी दूरी की ट्रेन जंकशन पर पहुंचती है तो पूरा परिसर ऑटो स्टैंड सा नजर आने लगता है. इसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है. एक साथ यात्रियों के गाड़ी से उतरते ही स्वाभाविक रूप से भीड़ बढ़ जाती है. सारे रास्ते ऑटो से जाम रहने के कारण यात्रियों के लिए पैदल निकलना या प्रवेश करना भी मुश्किल होता है. अगर कोई यात्री इसपर आपत्ति जताता है तो चालक मारपीट पर उतारू हो जाते हैं. सबकुछ देखने के बावजूद मजबूरन स्थानीय प्रशासन खामोश तमाशबीन बना है.

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