सुपौल : मौजूदा परिस्थिति में जनप्ररतिनिधि अपने दायित्व व कर्तव्य से विमुख हो रहे हैं. इस कारण लोकतंत्र के ऊपर अर्थ तंत्र, औसत तंत्र व भीड़ तंत्र हावी हो रहा है. एक समय था जब राजनीति में सामाजिक सरोकार रखने वाले व्यक्तियों को मतदाता द्वारा विभिन्न क्षेत्रों से प्रतिनिधियों को चुन कर एसेंबली भेजा जाता था.
पर, आज के जनप्रतिनिधि सामाजिक सरोकार से अलग होकर आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में जुटे हैं. इस कारण औसत तंत्र व भीड़ तंत्र को बढ़ावा मिलता दिखायी दे रहा है. बाहुबली हो या समाज का कोई और वर्ग. सबों में सत्ता पाने की चाहत दिख रही है, ताकि वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें.
सत्ता की लोलुपता को लेकर जनप्रतिनिधि द्वारा समाज को खंडित किया जा रहा है. राजनीति में अपराधीकरण के प्रवेश होने के बाद चुनाव में जहां एक तरफ उम्मीदवार व पार्टी द्वारा लोगों को एकजुट कर वोट को अपने पक्ष में करने की प्रवृति बनायी गयी है, जिससे लोकतंत्र पर भीड़ तंत्र का रूप देखने को मिल रहा है.
वहीं सत्ता पाने के लिए किसी खास जाति, समुदाय, वर्ग को तरजीह देकर औसत तंत्र का स्वरूप भी बनता दिख रहा है. बावजूद इसके कोसी इलाके के मतदाता इस चुनाव में अपने मताधिकार को लेकर उत्साहित हैं. वैसे कुछ चुनावों से इस इलाके में महिला मतदाताओं की भागीदारी में अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है. वजह जो भी रहा हो. चुनाव के आते ही चूल्हा-चौका करने वाली गृहिणी भी राजनीति की बात करते हुए दिखती हैं.
ऐसे में पार्टी व उम्मीदवारों द्वारा महिला कार्यकर्ताओं की टोली बना कर घर-घर भ्रमण कराया जा रहा है, ताकि महिला मतदाताओं के वोट को अपने पक्ष में कराया जा सके. भ्रमण के दौरान महिला कार्यकर्ता उम्मीदवार के जीतने के बाद महिलाओं से संबंधित समस्याओं का निदान किये जाने का वादा भी कर रही हैं. हमारा जन प्रतिनिधि कैसा हो और सूबे में कैसी सरकार बननी चाहिए. इसे लेकर प्रभात खबर द्वारा महिला मतदाताओं से राय ली गयी. मधु सिंह ने कहा कि चुनाव के समय सभी उम्मीदवार अपने कार्यकर्ताओं के साथ घर-घर भ्रमण कर रहे हैं. जो प्रत्याशी सामाजिक सुरक्षा की बात करेगा.
उसी को इस चुनाव में उनका महत्वपूर्ण वोट मिलेगा. स्नेहा झा कहती हैं कि स्थानीय जनप्रतिनिधि ऐसा हो जो महिलाओं के ऊपर हो रहे अत्याचार के रोकथाम के लिए विशेष प्रावधान उपलब्ध कराये जाने का वादा करे. साथ ही सामाजिक स्तर पर बढ़ रही कुरीतियों को खत्म कर सौहार्दपूर्ण वातावरण स्थापित करने का आश्वासन दे. संगीता राय ने कहा कि इस चुनाव में वे अपना मत ऐसे जनप्रतिनिधि को देंगी,
जो क्षेत्र में बिजली, स्वास्थ्य, आवागमन सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करायेगा. जनप्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्र में उद्योग-धंधे लगवाएं, जिससे लोगों को बाहरी प्रदेशों में पलायन करने को लेकर विवश न होना पड़े. विनीता अग्रवाल ने कहा कि किसी भी क्षेत्र के लिए जनप्रतिनिधि महिला हो या पुरुष,
सभी को सिर्फ विकास की ही बात करनी चाहिए. कोसी क्षेत्र में सुपौल काफी पिछड़ा जिला है. जिले को विकसित करने के लिए जनप्रतिनिधियों को एक प्रारूप तैयार कर जनता को बताना चाहिए. सुशमा प्रियदर्शी ने कहा कि प्रचार- प्रसार के दौरान उम्मीदवार कई समस्याओं के निदान किये जाने का वादा कर जाते हैं. पर, चुनाव के बाद वे कभी देखने तक नहीं आते. जनप्रतिनिधियों को शिक्षा के स्तर में अपेक्षित सुधार करने,
स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाये जाने सहित अन्य मूल भूत समस्याओं को दूर करने की बात करनी चाहिए. रजिया साहीन ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सभी पार्टी व प्रत्याशियों द्वारा क्षेत्र के विकास किये जाने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है. पर, कैसा विकास, किसका विकास. वोट बटोरने के चक्कर में इस मुद्दे को गौण कर राजनेता द्वारा मतदाताओं को बेवकूफ बनाया जा रहा है. डेजी सिंह ने कहा कि पब्लिक सब जानती है.
नेता चुनाव के समय भोलीभाली जनता को विकास के मुद्दों से भटका कर वोट बटोरने की चाहत पाले हुए हैं. ऐसे मुद्दे पर एक दूसरे के ऊपर छींटाकशी करते हैं. ऐसे मुद्दों से यहां के मतदाताओं को किसी प्रकार का लेना-देना ही नहीं है. ममता कुमारी ने कहा कि जनप्रतिनिधि ऐसा हो, जो क्षेत्र में सभी वर्गों को सरकारी योजनाओं के लाभ की जानकारी उपलब्ध कराए. साथ ही क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली सहित अन्य सुविधाओं को मुहैया कराने की जिम्मेदारी उठाये.