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उच्च शक्षिा निदेशक करें वश्विवद्यिालयों का निरीक्षण (संशोधित)

उच्च शिक्षा निदेशक करें विश्वविद्यालयों का निरीक्षण (संशोधित)रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को राज्य के कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में शाैचालय की दयनीय स्थिति को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासनों की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जतायी. रांची विश्वविद्यालय, कोल्हान विश्वविद्यालय व नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय की अोर से अधिवक्ता के […]

उच्च शिक्षा निदेशक करें विश्वविद्यालयों का निरीक्षण (संशोधित)रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को राज्य के कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में शाैचालय की दयनीय स्थिति को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासनों की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जतायी. रांची विश्वविद्यालय, कोल्हान विश्वविद्यालय व नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय की अोर से अधिवक्ता के उपस्थित नहीं होने तथा जवाब दाखिल नहीं करने पर नाराजगी जतायी गयी. मामले को गंभीरता से लेते हुए उक्त विश्वविद्यालयों के रजिस्टार को अगली सुनवाई के दाैरान सशरीर हाजिर होकर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया. हालांकि, दूसरे सत्र में विश्वविद्यालय की ओर से अधिवक्ता डॉ अशोक कुमार सिंह ने कहा कि सड़क जाम के कारण सुनवाई में शामिल नहीं हो पाये. उन्होंने इस आदेश को वापस लेने का आग्रह किया. कोर्ट ने आग्रह को स्वीकार कर आदेश वापस ले लिया. कोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशक से पूछा कि प्रतिवर्ष विश्वविद्यालयों का निरीक्षण करते हैं अथवा नहीं. यदि निरीक्षण करते हैं, तो निरीक्षण रिपोर्ट शपथ पत्र के माध्यम से दाखिल किया जाये. उक्त मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ में हुई. खंडपीठ ने कहा कि पैसा रहते हुए शाैचालयों की स्थिति दयनीय है. राज्य सरकार से पूछा कि कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में शाैचालय की दयनीय स्थिति क्यों है? राशि देने के बाद सरकार क्यों सोयी रहती है? जब फंड देते है, तो आंखें क्यों मूंद लेते हैं? इस पर राज्य सरकार की अोर से बताया गया कि सरकार विश्वविद्यालयों को राशि उपलब्ध करा देती है. राशि की कोई कमी नहीं है. राशि खर्च करना तथा कार्य कराना विश्वविद्यालय प्रशासन की जिम्मेवारी है.

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