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20 राज्यों में होगा जैविक लीची उत्पादन

20 राज्यों में होगा जैविक लीची उत्पादनडिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर को-ऑपरेशन नई दिल्ली में प्रस्ताव स्वीकृत राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में 23 से 30 नवंबर तक होगा प्रशिक्षण जुड़े देश के प्रसिद्ध संस्थान के वैज्ञानिक लगातार नौ दिनों तक करेंगे रिसर्च कीट-व्याधियों पर भारतीय बागवानी शोध संस्थान के वैज्ञानिक देंगे जानकारीलीची के रिसर्च सेंटरों पर होगा […]

20 राज्यों में होगा जैविक लीची उत्पादनडिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर को-ऑपरेशन नई दिल्ली में प्रस्ताव स्वीकृत राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में 23 से 30 नवंबर तक होगा प्रशिक्षण जुड़े देश के प्रसिद्ध संस्थान के वैज्ञानिक लगातार नौ दिनों तक करेंगे रिसर्च कीट-व्याधियों पर भारतीय बागवानी शोध संस्थान के वैज्ञानिक देंगे जानकारीलीची के रिसर्च सेंटरों पर होगा दो दिनों का वैज्ञानिक-किसान कार्यक्रम प्रेम, मुजफ्फरपुर देश के 20 राज्यों में जैविक तरीके से लीची का उत्पादन होगा. जैविक लीची उत्पादन को लेकर डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर को-ऑपरेशन नई दिल्ली और राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर ने पहल शुरू की है. जैविक लीची उत्पादन को लेकर केंद्रीय बागवानी उपोष्ण संस्थान लखनऊ भी आगे आया है. एक साथ सभी विशेषज्ञ गुणवत्तापूर्ण लीची के उत्पादन पर काम करेंगे. देश के कई और चर्चित संस्थान भी आगे आया है. लीची क्षेत्रों में पानी की अधिकता और पानी की कमी जैसे संकट को दूर करने के लिए केंद्रीय मृदा व जल संरक्षण संस्थान देहरादून के एक्सपर्ट यहां प्रयोग करेंगे. राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर में 23 से 30 नवंबर तक पूरे देश के लीची उत्पादन से जुड़े 20 राज्यों के वैज्ञानिक, कृषकों का सम्मेलन होने जा रहा है. डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर को-ऑपरेशन नई दिल्ली को लीची की उत्तम कृषि क्रियाओं का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था. उसे स्वीकार कर लिया गया है. यह बहुत बड़ी बात है. बागवानी से जुड़े देश के प्रसिद्ध संस्थान के वैज्ञानिक लगातार नौ दिनों तक यहां रहेंगे. किसानों को जैविक लीची और गुणवत्तापूर्ण लीची उत्पादन के तौर-तरीकों की सैद्धांतिक बातें बतायेंगे. साथ ही दो दिनों तक लीची के बागाें में प्रयोग के तौर पर जानकारियां दी जायेंगी. यहां बिहार, उत्तराखंड, ओडिशा, पंजाब, जम्मू – कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, केरल, असम, सिक्किम, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय, अरूणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के पांच-पांच किसान यहां आयेंगे. देश के प्रमुख कृषि शोध संस्थानाें के वैज्ञानिक उन्हें जैविक खेती की जानकारी देंगे. लीची में लगने वाले कीट-व्याधियों, फंगस पर भारतीय बागवानी शोध संस्थान बंगलुरू के वैज्ञानिक यहां आयेंगे. लीची में होने वाली बीमारियों के निदान के बारे में जानकारी देंगे. कैसे जैविक तरीके से कीट-व्याधियों को रोका जा सके. लीची को कुपोषण से बचाने के लिए केंद्रीय नीबू वर्गीय संस्थान नागपुर के वैज्ञानिक तकनीक पेश करेंगे. सभी कृषि शोध संस्थान से जुड़े वैज्ञानिक सैद्धांतिक पक्ष पर बात करने, लोगों की समस्याओं सुनने, समस्याओं का निदान बताने के साथ ही समस्तीपुर के रोसड़ा, मुजफ्फरपुर के सकरा, ढोली और मुरौल, वैशाली के गोरौल में लीची के रिसर्च सेंटर पर जाकर तकनीकी ज्ञान हासिल करेंगे.लीची उत्पादन करने वाले राज्यों से दो वैज्ञानिक और करीब पांच कृषक आयेंगे. प्रशिक्षण में शामिल होने वाले वैज्ञानिक अपने राज्य में जाकर लोगों को लीची के जैविक उत्पादन के साथ ही समस्त उत्तम कृषि क्रियाओं की जानकारी देंगे. लीची अनुसंधान केंद्र को उम्मीद है कि इस कार्यक्रम के बाद लीची उत्पादन करने वाले राज्यों को कृषि क्रियाओं की बेहतर जानकारी मिलेगी. बयान::::::यह कार्यक्रम देश स्तर का है. इस कार्यक्रम के बाद देश के लीची उत्पादक राज्यों में किसानों को मदद मिलेगी. देश के प्रमुख बागवानी शोध संस्थान के वैज्ञानिक यहां प्रयाेग के माध्यम से जानकारी देंगे. लीची में पानी की कमी, पानी अधिक होना, मिठास बढ़ाने, फल बड़ा करने के सभी तौर-तरीकों पर विमर्श होगा. इससे जैविक लीची उत्पादन में मदद मिलेगी. डॉ विशालनाथ, निदेशक, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान संस्थान, मुजफ्फरपुर

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