ठंड के दौरान शिशुओं में हाइपोथर्मिया का खतरा ज्यादा फोटोडॉ एसपी झा, शिशु रोग विशेषज्ञ जब शरीर का तापमान सामान्य से नीचे चला जाये, तो इसे हाइपोथर्मिया कहा जाता है. हाइपो का अर्थ न्यूनतम व थर्मिया का अर्थ तापमान होता है. यदि शरीर में सामान्य तापमान होगा तो ऐसे में शरीर का ब्लड सर्कुलेशन ठीक होगा. यदि तापमान कम होगा तो शरीर के सिस्टम पर प्रभाव पड़ेगा. यह बीमारी किसी को भी हो सकती है, लेकिन शिशुओं में होने की ज्यादा आशंका रहती है. हाइपोथर्मिया दो प्रकार से शरीर को प्रभावित कर सकती है. पहला बाहरी व दूसरा भीतरी. बाहर तापमान यानी मौसम के कारण व भीतर में शरीर के आंतरिक इन्फेक्शन होने के कारण यह बीमारी हो सकती है. सर्दियों का मौसम आ रहा है. ऐसे में लोगों को सावधान होने की आवश्यकता है. यदि शरीर का तापमान सही होगा तो शरीर की ग्रोथ भी सामान्य तरीके से होगी. हाइपोथर्मिया होने से शिशु का शरीर ठंडा पड़ जायेगा, एक्टिविटी स्लो (किसी काम को धीरे-धीरे करना) हो जायेगी, ग्रोथ नहीं होगी, स्वांस संबंधी परेशानी (रेस्पेरेटरी प्रॉब्लम) होगी. शरीर में ऐसे लक्षण दिखायी देने पर फाैरन डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए. वहीं बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि सर्दी के मौसम में शिशु को ठंड से बचाकर रखना चाहिए. शरीर को ढककर रखना चाहिए.बीमारी : हाइपोथर्मिया. लक्षण : शरीर ठंडा पड़ जाना, एक्टीविटी स्लो, ग्रोथ न होना व स्वांस संबंधी परेशानी होना. बचाव : सर्दी के मौसम में शिशु को ठंड से बचाकर रखें, शरीर को ढंककर रखें, बाइक चलाते समय बच्चे को आगे न बैठायें, ताजा खाना दें.
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ठंड के दौरान शिशुओं में हाइपोथर्मिया का खतरा ज्यादा
ठंड के दौरान शिशुओं में हाइपोथर्मिया का खतरा ज्यादा फोटोडॉ एसपी झा, शिशु रोग विशेषज्ञ जब शरीर का तापमान सामान्य से नीचे चला जाये, तो इसे हाइपोथर्मिया कहा जाता है. हाइपो का अर्थ न्यूनतम व थर्मिया का अर्थ तापमान होता है. यदि शरीर में सामान्य तापमान होगा तो ऐसे में शरीर का ब्लड सर्कुलेशन ठीक […]
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