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बरनार नदी के अस्तत्वि को कांशी घास दे रहा चुनौती

बरनार नदी के अस्तित्व को कांशी घास दे रहा चुनौती फोटो 5(नदी के बीच फैला कांशी घास)सोनोइलाके का लाइफ लाइन कहे जाने वाले बरनार नदी के अस्तित्व को कांशी प्रजाति के लंबे घास चुनौती दे रहा है़ तस्वीर में दिख रहा फूल लगा कांशी घास किसी खेत का नहीं है बल्कि बरनार नदी के सोनो-चुरहेत […]

बरनार नदी के अस्तित्व को कांशी घास दे रहा चुनौती फोटो 5(नदी के बीच फैला कांशी घास)सोनोइलाके का लाइफ लाइन कहे जाने वाले बरनार नदी के अस्तित्व को कांशी प्रजाति के लंबे घास चुनौती दे रहा है़ तस्वीर में दिख रहा फूल लगा कांशी घास किसी खेत का नहीं है बल्कि बरनार नदी के सोनो-चुरहेत घाट स्थित नदी के बीच का है़ कुछ माह पूर्व नदी में उग आये कांशी का यह लंबा लंबा घास धीरे धीरे पुरे नदी में फैल गया़ अब तो स्थिति यह है कि नदी में पानी व बालू के बजाय सिर्फ कांशी घास के फूल लगे पौधे ही दिखते है़ ग्रामीणों की मानें तो यह स्थिति नदी के अस्तित्व के लिए खतरा है़ यूं भी गत दो वर्षों से नदी की धारा दो भागों में बंट गयी है जो दोनों किनारों से होकर बहती है़ बीच में बालू पर धीरे धीरे जमा होते मिट्टी में गत वर्ष से ही कांशी घास उगने लगे थे. परंतु इस वर्ष तो सोनो, चुरहेत, मडरो, केवली, बलथर सहित कई घाटों में नदी के बीच चारों तरफ घास ही फैल गया है.लोग बताते हैं कि गत दो वर्षों से नदी में पानी भी कम आ रहा है. ग्रामीण इस काफी चौड़ी नदी की इस अवस्था से परेशान और चिंतित होने लगे हैं. चिंता की बात यह है कि नदी में इस घास का फैलाव काफी तीव्र गति से हो रहा है. बालू के जिस बड़े भाग पर यह घास उग रहे है वहां बालू मिट्टी की शक्ल लेता जा रहा है़ किसान मानते है कि समय रहते इस समस्या का निदान नहीं किया गया तो वर्ष दर वर्ष नदी के अस्तित्व पर संकट बढ़ता ही जायेगा़

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