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दिल की बिमारियों का कारण हो सकता है ‘केल’

विटामिन और खनिज से भरा केल सूजन, थायराइड और दिल की बिमारियों का कारण बन सकता है. हालिया हुए एक शोध में विशेषज्ञों ने इसके गुणों के साथ इसके अधिक सेवन से होने वाले गंभीर परिणामों का जिक्र किया है. गहरे हरे रंग के केल के पत्तों में मांस से कहीं अधिक मात्रा में आयरन […]

विटामिन और खनिज से भरा केल सूजन, थायराइड और दिल की बिमारियों का कारण बन सकता है. हालिया हुए एक शोध में विशेषज्ञों ने इसके गुणों के साथ इसके अधिक सेवन से होने वाले गंभीर परिणामों का जिक्र किया है.

गहरे हरे रंग के केल के पत्तों में मांस से कहीं अधिक मात्रा में आयरन और कैल्शियम होता है.

केल विटामिन-ए, सी और के का भरपूर स्रोत है जो आंखों के लिए, रक्त और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है. लेकिन इन सारे गुणों के बाद भी विशेषज्ञों ने इसके अत्यधिक सेवन करने को जान के लिए खतरा बताया है.

विशेषज्ञों के अनुसार, केल के पत्ते जिसे एक प्रकार की गोभी भी कहते हैं. इसके अधिक सेवन से पाचन संबंधी समस्याओं, हाइपोथायरायडिज्म, अनियमित दिल की धड़कन और अचानक मौत का कारण भी बन सकता है.

केल में मौजूद हाई पोटैशियम दिल की धडकनों को अनियमित करता है जिससे कई बार अचानक मौत हो जाने का डर बना रहता है. हाई फाइबर का स्रोत होने के कारण अक्सर लोग इसे सलाद के रूप में खाते हैं लेकिन केल कई बार पेट दर्द, सूजन, कब्ज आदि पेट संबधी बिमारियों का भी कारण बन सकता है.

केल का सेवन दिल के मरीजों, किडनी के मरीजों और पाचन संबंधी परेशानियों से ग्रस्त लोगों को नहीं करना चाहिए.

हालाकि विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि केल का सेवन दूध से भी कहीं ज्यादा फायदेमंद है लेकिन जब लोग केल को स्मूथी/जूस की तरह कच्चा पीते हैं तब केल पेट जा कर बैठ जाता है. जिससे यह पेट भरे होने का संकेत देता है लेकिन स्मूथी/जूस कच्चा होने के कारण पेट को फुला देता है जो सूजन होती है. यह न केवल पेट की सूजन बल्कि लीवर की सूजन भी हो सकती है.

हफ्ते में दो बार केल का सेवन करना लाभकारी है लेकिन इसमें भी इसे पका कर खाएं या पिए. केल सलाद का सबसे बेहतर विकल्प है इसलिए इसे अन्य सब्जियों हल्का पका कर खाना स्वास्थ्यवर्धक रहेगा या इसी जाति की ब्रोकली, गोभी, पत्ता गोभी खाना ज्यादा बेहतर होगा.

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