तैयार हुआ देश का पहला एकेडमिक सोशल नेटवर्किंग साइटटीचर, फैकल्टी आपस में कर सकेंगे बातवेबसाइट पर ब्लॉग, रिसर्च रिपोर्ट, सक्सेस भी रहेगा मौजूदसुजीत कुमार पटनाकल्पना कीजिये, अाप स्टूडेंट हैं और किसी दिन अापने अपनी क्लास मिस कर दी है और क्लास में क्या पढ़ाई हुई है, इस बारे में जानकारी लेना चाहते हैं या फिर आप यह देखना चाहते हैं कि किसी दूसरे इंस्टीट्यूशंस में आपके स्टडी के लायक क्या नयी पहल हो रही है तो बस अापका इंतजार खत्म हो गया है. अब आप ऐसे काम को केवल एक क्लिक के जरिये पूरा कर सकते हैं. बिहार के यूथ और पटना में रह कर स्टडी कर चुके विकाश मोहन झा ने एक ऐसी यूनिक पहल की है, जिससे देश भर के स्टूडेंट्स और फैकल्टी एक-दूसरे सेे बातें करने के साथ ही स्टडी और रिसर्च के बारे में नयी जानकारी ले और दे सकते हैं. विकाश ने इन सभी चीजों को अपनी सोशल एकेडमिक वेबसाइट कुंज में शामिल किया है, जो संभवत: देश के पहली और अभी तक की एकमात्र एकेडमिक वेबसाइट है.बस कुछ अलग करने के लिए तैयार की वेबसाइटअपनी इस यूनिक पहल के बारे में विकाश कहते हैं, आज से कुछ सालों पहले मैंने एक वेबसाइट मुहल्ला के नाम से बनायी थी. हालांकि वह कुछ दिनों के बाद वह बंद हो गयी. इस दौरान फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन जैसे सोशल, माइक्रो ब्लॉगिंग और प्रोफेशनल साइट्स मौजूद थी और येे सभी लोगों में काफी फेमस थी. मैंने तब ही कुछ अलग करने को सोचा और 2013 में इस सफर को शुरू किया. काफी रिसर्च करने के बाद मैंने पाया कि देश में एकेडमिक सोशल नेटवर्किंग नाम की कोई वेबसाइट मौजूद नहीं है. अगर कोई साइट है भी तो वह पूरी नहीं है क्योंकि ऐसी साइटों में से कुछ अपने हिसाब से जानकारी दे रही थी या खुद की पहल को बताने पर जोर दे रही थी. इनमें से कोई साइट ऐसी नहीं थी जो स्टूडेंट्स के साथ फैकल्टी की बातों को समझने की काेशिश कर सके. इन सभी चीजों को ही ध्यान में रख कर मैंने कुंज को बनाने के लिए सोचा. साइट का नाम कुंज रखने के बारे में वह कहते हैं, दरअसल यह संस्कृत शब्द है, जिसका मतलब होता है, घर. ये साइट भी स्टूडेंट्स और फैकल्टी के लिए घर के जैसा ही है इसलिए साइट को कुंज नाम दिया गया.तैयारी करीब-करीब पूरीइस वेबसाइट को लांच करने के बारे में वह कहते हैं, इंटरनल लेवल पर पूरी तैयारी कर दी गयी है. चूंकि इसे बग फ्री देना है इसलिए अभी डॉट इन डोमेन पर काम हो रहा है. इसमें हिस्सा लेने वाले स्टूडेंट्स की क्लास लिमिट तय नहीं की गयी है लेकिन भारत सरकार के नॉर्म्स के अनुसार तय उम्र सीमा के स्टूडेंट्स इसे ज्वाइन कर सकते हैं. इस वेबसाइट को अगले साल के मार्च में लांच करने की योजना है. वह कहते हैं, इसे पहले ही लांच करने की योजना थी, लेकिन बीच में पड़ने वाले एग्जाम से देरी हो गयी है.स्कूलों को जोड़ने के लिए होगी पहलविकाश बताते हैं, कुंज से जोड़ने के लिए स्कूल और इंस्टीट्यूशन में यह बताया जायेगा कि इससे क्या-क्या लाभ मिल सकता है? इसके साथ ही उन स्कूलों में एक कोड उपलब्ध कराया जायेगा. इस आधार पर जब टीचर लॉगइन करेंगे और संस्थान का डाटा डालेगा तो वहां डाटाबेस यह पहचान करेगा कि लॉगइन करने वाला टीचर है स्टूडेंट? वैसे ही अगर कोइ स्टूडेंट कुंज में लॉगइन करेगा तो उससे क्लास कोड मांगा जायेगा. जिसे देने के बार स्टूडेंट कुंज ज्वाइन कर सकेगा. इसके लिए सबसे पहले कुंज में साइनअप करना होगा, जोकि एकदम फ्री होगा. इस साइट पर यूजर जेनरेटड कंटेंट, ब्लॉग, वीडियो चैट, स्टूडेंट्स और फैकल्टी दोनों के रिसर्च और सक्सेस की सुविधा मिलेगी. इस पर स्टूडेंट्स और फैकल्टी एक-दूसरे से अभी चैट कर सकते हैं, क्यांकि टेक्स्ट बेस्ड चैट की सुविधा अभी उपलब्ध करा दी गयी है. अन्य सुविधाओं को जल्द ही एक्टिव कर दिया जायेगा.अकेले कर दिया तैयारपिछले तीन सालों से इस प्रोजेक्ट में लगे विकाश मोहन ने कुंज को अकेले ही पूरा कर दिया है. मूल रूप से माेतिहारी जिले के पताही के चंपापुर गांव के निवासी विकाश पटना में रह कर कंपीटिटिव एग्जाम की तैयारी करने के बाद जयपुर के महर्षि अरविंद कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में बीटेक कर रहे हैं और अभी थर्ड इयर के स्टूडेंट हैं. कुंज का कांसेप्ट उन्होंने तब तैयार किया था, जब वह फर्स्ट इयर में थे.
तैयार हुआ देश का पहला एकेडमिक सोशल नेटवर्किंग साइट
तैयार हुआ देश का पहला एकेडमिक सोशल नेटवर्किंग साइटटीचर, फैकल्टी आपस में कर सकेंगे बातवेबसाइट पर ब्लॉग, रिसर्च रिपोर्ट, सक्सेस भी रहेगा मौजूदसुजीत कुमार पटनाकल्पना कीजिये, अाप स्टूडेंट हैं और किसी दिन अापने अपनी क्लास मिस कर दी है और क्लास में क्या पढ़ाई हुई है, इस बारे में जानकारी लेना चाहते हैं या फिर […]
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