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मेनोपॉज की समस्याओं में लाभदायक है होमियोपैथी

मेनोपॉज के बाद शरीर में कई प्रकार के परिवर्तन होते हैं, जिससे शरीर में दर्द, हॉटफ्लैश और कई अन्य समस्याएं होती हैं. इन समस्याओं के समाधान में होमियोपैथी काफी कारगार है. प्रो (डॉ) राजीव वर्मा डीएचएमएस, त्रिवेणी होमियो क्लिनिक, पंजाबी कॉलोनी, चितकोहरा पटना मो : 9334253989 मेनोपॉज 50 वर्ष के आसपास होता है. लेकिन यह […]

मेनोपॉज के बाद शरीर में कई प्रकार के परिवर्तन होते हैं, जिससे शरीर में दर्द, हॉटफ्लैश और कई अन्य समस्याएं होती हैं. इन समस्याओं के समाधान में होमियोपैथी काफी कारगार है.
प्रो (डॉ) राजीव वर्मा
डीएचएमएस, त्रिवेणी होमियो क्लिनिक, पंजाबी कॉलोनी, चितकोहरा पटना
मो : 9334253989
मेनोपॉज 50 वर्ष के आसपास होता है. लेकिन यह जरूरी नहीं है कि यह ठीक 50 वर्ष या उसके बाद ही हो. कभी-कभी यह पांच वर्ष पहले या पांच वर्ष बाद भी हो सकता है. ओवरी में अंडों की संख्या पूर्व निर्धारित होती है. जब यह खत्म हो जाती है, तो मासिक बंद हो जाता है. एक वर्ष मासिक बंद रहने पर इसे मेनोपॉज कहते हैं. धूम्रपान करनेवाली महिलाओं में यह कम उम्र में भी हो सकता है. मेनोपॉज की अवस्था में ओवरी में बननेवाले हाॅर्मोन, एस्ट्रोजेन की शरीर में कमी होती है. इसका असर हड्डियों, त्वचा, हृदय और मस्तिष्क पर पड़ता है.
लक्षण : महिलाओं को शुरुआती दौर में हाॅट फ्लैश हो सकता है. अनायास शरीर में गरमी फैलना, कुछ मिनट बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाना, रात में अधिक पसीना आना, हॉट फ्लैश के लक्षण हो सकते हैं. इसकी तीव्रता से कुछ महिलाओं को अत्यधिक परेशानी हो सकती है. यह नींद में भी बाधा उत्पन्न कर सकता है. त्वचा में रूखापन और सिकुड़न शुरू हो जाती है. कोलेजिन टिश्यू में कमी आने के कारण, योनि में जलन महसूस होती है. इसमें पेल्विक आॅर्गेन का सपोर्ट कम पड़ जाता है. पेशाब का बार-बार होना, कंट्रोल न कर पाना, संक्रमण होना इत्यादि जेनीटोयूरीनरी के लक्षण हैं. याददाश्त में कमी, घबराहट, सेक्स में अरुचि, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, रोने का मन करना, मन न लगना, मेटाबॉलिक रेट में कमी होना. हड्डियों एवं मांसपेशियों की कमजोरी से जोड़ों में दर्द, कमर दर्द, पेट दर्द जैसी समस्याएं होती हैं.
उपचार : लक्षणों के अनुसार होमियोपैथी दवाएं-
लैकेसिस : यह औषधि मेनोपॉज की समस्याओं के लिए रामबाण औषधि है. रोगी को गरमी की लहर रह-रह कर आती हो, सिर गरम और पांव ठंडे हो जाते हों, धड़कन बढ़ जाती हो. दिल पर दबाव अनुभव होता हो. रोगी तुरंत में खुश और तुरंत में निराश हो जाता हो. कभी-कभी रक्तस्राव भी होने लगता है. पसीना आना आदि लक्षण रहने पर इस औषधि की 200 शक्ति में चार बूंद सप्ताह में एक बार लेनी चाहिए.
सैग्विनेरिया : रोगी को आधे सिर में दर्द होना, हथेली और तलुओं में आग के समान जलन हो, स्तनों का बढ़ जाना और उनमें दर्द होता हो, तो इस औषधि की 200 शक्ति में चार बूंद सप्ताह में एक बार लेना चाहिए.
एसिड सल्फ : यह औषधि उन रोगियों के लिए है, जिन्हें शारीरिक दुर्बलता हो, पेट फूल जाता हो, तेज तपन के बाद पसीना निकलता हो, रक्तस्राव की प्रवृत्ति हो तथा जननांग में तेज खुजली हो, तो इस औषधि की 200 शक्ति में चार बूंद चार दिन में एक बार लेने से इस समस्या में काफी लाभ मिलता है.
सीपिया : यह औषधि उन रोगियों के लिए है, जिन्हें शारीरिक और आध्यात्मिक बेचैनी, थकान, शक्ति का अभाव, उनींदापन/तपन की लहर तत्पश्चात पसीना आना, मानसिक अति संवेदनशीलता तथा चिड़चिड़ापन, पेट में सिकुड़ने की अनुभूति, अत्यधिक स्राव, अनियमित मासिक स्राव, सिर चकराना, दबाव, घुटन, हृदय की कमजोरी जैसे लक्षण रहने पर इस औषधि की 200 शक्ति में तीन दिन पर एक बार लेने से काफी लाभ मिलता है.
इन औषधियों के अलावा महिला को अपने खाने-पीने में प्रोटीनयुक्त भोजन का प्रयोग करना चाहिए. प्रचुर मात्रा में पानी पीना चाहिए.व्यायाम, योग और नियमित टहलना चाहिए. फल एवं सब्जियों का उपयोग अधिक करना चाहिए. दूध एवं दही का उपयोग नियमित करें.

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