9.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

गायें और ग्वाले, हुए अतीत के हवाले!

एक वक्त था जब गाय ग्वालों ​संग हरे भरे चरागाहों में ​अच्छे चारे का आनंद लेती थीं. शाम को गोधूलि वेला में वापस लौट​ते ​समय कई एक अच्छी दुधारू गाय के थनों से तो दूध भी टपकता था. घर में चारे के साथ चने खाकर अमृतरूपी दूध देती थीं. उस समय हर घर में गाय […]

एक वक्त था जब गाय ग्वालों ​संग हरे भरे चरागाहों में ​अच्छे चारे का आनंद लेती थीं. शाम को गोधूलि वेला में वापस लौट​ते ​समय कई एक अच्छी दुधारू गाय के थनों से तो दूध भी टपकता था.
घर में चारे के साथ चने खाकर अमृतरूपी दूध देती थीं. उस समय हर घर में गाय और भरपूर अन्न होता था. किसान के घर में तो कई गायें इसलिए होती थीं क्योंकि घी-दूध के अतिरिक्त उसे बछड़े और बैलों की ​भी जरूरत होती थी. अन्न के अभाव में दूध, घी, ​शाक-सब्जी ​​और फलों ​आदि ​से ही काम चल जाता था.
तब यह भी कहा जाता था कि जिसने दूध बेच दिया, उसने पूत बेच दिया. आज जनसंख्या विस्फोट से ये सब कब के लुप्त हो चुके ​हैं. आज जब बेचारा इनसान ही आज भूखा और नंगा है, तो ऐसे में बेचारी गाय और ग्वालों का क्या होगा?
– वेद प्रकाश, दिल्ली

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें