दुग्धाभिषेक से कारू सहित कोसी में आई श्वेत क्रांति एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किया दुग्धाभिषेक महिषी. 17 वीं सदी के गोपालक व दुधारू पशु चिकित्सा केन्द्र के प्रख्यात संत बाबा कारू खिरहरि का शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि को परंपरागत तरीके से पशुपालकों ने दुग्धाभिषेक किया. पशुपालन में वृद्धि की कामना की. अहले सुबह से ही सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, खगडि़या, समस्तीपुर, दरभंगा सहित नेपाल के तराई क्षेत्र के श्रद्धालुओं का आगमन देर रात तक अनवरत जारी रहा. बता दें कि कारू मंदिर के निमित्त लाया जाने वाला दूध मंदिर में लगने वाले भोग की तैयारी तक अब भी सुरक्षित रहता है. उनके पशुपालन केन्द्र लहठा बथान में आज भी मच्छरों का प्रकोप नहीं होता है. मंदिर में दिया जाने वाला भभूत आज भी दुधारू पशुओं के असाध्य रोगों के निवारण का रामवाण समझा जाता है. मेला समिति के संयोजक व संरक्षक नरेश यादव व नहरवार के पूर्व मुखिया विजय कुमार सिंह के नेतृत्व व महंथ उपेन्द्र खिरहरि के मार्गदर्शन में दर्जनों ग्रामीण स्वयंसेवक अहर्निश आगंतुकों के आतिथ्य सत्कार में लगे थे. हजारों मन दूध बाबा के भोग व अभिषेक में खर्च हुआ व शेष दूध कोसी में श्वेत क्रांति को परिलक्षित करने में खर्च हुआ. मेला सचिव संजय कुमार ने बताया कि भक्तों व श्रद्धालुओं के मनोरंजन के लिए मैया जागरण की व्यवस्था की गयी है. शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए अंचलाधिकारी रमण कुमार वर्मा, थानाध्यक्ष श्रीकांत प्रसाद सिन्हा पुलिस बल के साथ मुस्तैद दिखे. फोटो- मंदिर 18 – मंदिर प्रांगण में लगी भक्तों की भीड़फोटो- मंदिर 19 – कोसी में दूध की बहती धारा
दुग्धाभिषेक से कारू सहित कोसी में आई श्वेत क्रांति
दुग्धाभिषेक से कारू सहित कोसी में आई श्वेत क्रांति एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किया दुग्धाभिषेक महिषी. 17 वीं सदी के गोपालक व दुधारू पशु चिकित्सा केन्द्र के प्रख्यात संत बाबा कारू खिरहरि का शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि को परंपरागत तरीके से पशुपालकों ने दुग्धाभिषेक किया. पशुपालन में वृद्धि की कामना की. अहले […]
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