21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

राष्‍ट्रपति ने फिर ”अनेकता में एकता” की याद दिलायी

बीरभूम : असहिष्णुता की बढ़ती आंधी के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस बात की गंभीर आशंका जताई कि क्या देश में सहिष्णुता और असंतोष को स्वीकार करने की प्रवृत्ति समाप्त हो रही है.मुखर्जी ने कहा, ‘‘मानवता और बहुलवाद को किसी हालत में छोड़ा नहीं जाना चाहिए. अपनाना और आत्मसात करना भारतीय समाज की विशेषता […]

बीरभूम : असहिष्णुता की बढ़ती आंधी के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस बात की गंभीर आशंका जताई कि क्या देश में सहिष्णुता और असंतोष को स्वीकार करने की प्रवृत्ति समाप्त हो रही है.मुखर्जी ने कहा, ‘‘मानवता और बहुलवाद को किसी हालत में छोड़ा नहीं जाना चाहिए. अपनाना और आत्मसात करना भारतीय समाज की विशेषता है. हमारी सामूहिक क्षमता का उपयोग समाज में बुरी ताकतों के खिलाफ संघर्ष में किया जाना चाहिए.’ यहां के एक स्थानीय साप्ताहिक अखबार नयाप्रजंमा द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने आशंका जताई कि क्या सहिष्णुता और असंतोष को स्वीकार करने की क्षमता समाप्त हो रही है. उन्होंने वहां मौजूद लोगों को रामकृष्ण परमहंस की ‘जौतो मौत, तौतो पौथ’ की याद दिलाई, जिसका अर्थ है कि जितनी आस्थाएं उतने ही रास्ते हैं.

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘भारतीय सभ्यता अपनी सहिष्णुता के दम पर 5000 वर्ष तक अपना अस्तित्व कायम रख सकी। इसने सदा असंतोष और मतभेद को स्वीकार किया है. बहुत सी भाषाएं, 1600 बोलियां और सात धर्म भारत में एक साथ अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं. हमारा एक संविधान है, जो इन सभी मतभेदों को स्थान देता है.’ उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति की यह सख्त टिप्पणी देश के विभिन्न भागों में जारी असहिष्णुता की घटनाओं की पृष्ठभूमि में आई है.

दुर्गा पूजा समारोहों की पूर्व संध्या पर मुखर्जी ने उम्मीद जताई कि सभी सकारात्मक ताकतों के समागत वाली महामाया असुरों का नाश कर देंगी. मुखर्जी ने बताया कि हाल ही में वह जार्डन, फलस्तीन और इस्राइल की यात्रा पर गए. पश्चिम एशिया जहां हर कोई जानता है कि अशांति है.उन्होंने कहा, ‘‘मुझे जिस बात से हैरानी हुई वह यह थी कि तीनों देशों के नेताओं और इन देशों के तीन विश्वविद्यालयों के छात्रों और शिक्षकों ने मुझसे एक ही सवाल पूछा कि भारत में इतने मजबूत राष्ट्रवाद के पीछे का मंत्र क्या है, जहां धर्म, जाति, भाषा और इसी तरह की कई विविधताएं हैं.’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मैं इस बात को लेकर निश्चित नहीं हूं कि उन लोगों ने ऐसा सवाल क्यों पूछा. शायद चल रही अशांति के कारण उन्होंने ऐसा किया।’ उन्होंने कहा, ‘‘इस देश की राष्ट्रीय अखंडता का आधार सहिष्णुता है.’

मुखर्जी ने कहा, ‘‘यहां भी लोगों के दिमाग में यह सवाल पैदा हुआ है. भारतीय सभ्यता और संस्कृति का आवश्यक भाग उसका बहुलवाद है. सहिष्णुता..दूसरे के धर्म और दूसरे की राय को अपनाने के कारण… हमारा जुडाव मजबूत है.’ उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी हालत में हम अपने बहुलवाद और सहिष्णुता को नष्ट नहीं कर सकते. हमें अपनी विविधता पर गर्व है, हम दूसरों के विचारों को स्वीकार करते हैं. राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘कई बार हमारे दिमाग में एक सवाल आता है..क्या हम सही मार्ग पर हैं? सहिष्णुता के बिना हमारी सभ्यता 5000 वर्ष तक अपना अस्तित्व कायम नहीं रख पाती.’

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें