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चाची-दादी संग नयकी बहुरिया भी डालेंगी वोट

चाची-दादी संग नयकी बहुरिया भी डालेंगी वोट विस चुनाव 2015: -महिला समाख्या की टीम गांव-गांव में लगा रही चौपाल -मतदान के दिन महिलाओं को बूथ तक ले जाने की तैयारी -लोस चुनाव में 45 फीसदी से कम वोटिंग वाले गांव चिह्नित संवाददाता, मुजफ्फरपुर औराई प्रखंड का अमनौर गांव. यह जिले के उन 264 गांवों में […]

चाची-दादी संग नयकी बहुरिया भी डालेंगी वोट विस चुनाव 2015: -महिला समाख्या की टीम गांव-गांव में लगा रही चौपाल -मतदान के दिन महिलाओं को बूथ तक ले जाने की तैयारी -लोस चुनाव में 45 फीसदी से कम वोटिंग वाले गांव चिह्नित संवाददाता, मुजफ्फरपुर औराई प्रखंड का अमनौर गांव. यह जिले के उन 264 गांवों में से एक है, जहां बीते लोक सभा चुनाव में 45 फीसदी से कम वोट पड़ा था. अब विधान सभा चुनाव में महिला समाख्या की टोली ने परसेंटेज बढ़ाने की ठानी है. बीते हफ्ते नारी चौपाल लगी तो गांव की 55 महिलाएं पहुंची थीं. कुछ देर की चर्चा में उन्हें वोट का महत्व समझ में आ गया. फिर क्या, इस बात पर राजी हो गयीं कि खुद तो वोट देने जायेंगी ही, घर की बुजुर्ग महिलाओं व नयकी बहुरिया से भी वोट डलवायेंगी. विधान सभा चुनाव 2015 में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाकर वोटिंग परसेंट अधिक करने के लिए महिला समाख्या की टोली चिह्नित गांवों में लगातार काम कर रही है. समूह बैठक, संकुल बैठक, रैली व चौपाल के माध्यम से खासकर महिलाओं को वोट का महत्व समझाया जा रहा है. चौपाल में जुटने वाले लोगों से पहला सवाल यही होता है कि पिछले चुनाव में वोट किया था कि नहीं. जवाब ‘हां’ में मिला तो ठीक, नहीं तो ‘ना’ में मिला तो इसकी वजह. महिला समाख्या मुजफ्फरपुर की जिला समन्वयक पूनम कुमारी ने बताया कि गांवों में अभी भी तमाम ऐसे लोग मिले जिनका नाम ही वोटर लिस्ट से गायब है. ऐसी रिपोर्ट मिलने पर वे लोग तत्काल संबंधित बीएलओ से संपर्क करके वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए जरूरी प्रक्रिया शुरू कर देती है. फिर गांव की आबादी और वोटरों की संख्या का आंकड़ा जुटाकर मतदान कम होने की वजह भी तलाशते हैं. जो भी समस्याएं सामने आ रही है, उसका समाधान भी कराया जा रहा है. आठ प्रखंडों के 52 गांव चिह्नित जिले के आठ प्रखंडों के 52 गांव चिह्नित करके महिला समाख्या की टोलियों ने मतदाता जागरूकता के लिए विभिन्न कार्यक्रम कराये हैं. इसमें मुशहरी, बोचहां, कुढ़नी, गायघाट, औराई, सकरा, कटरा व बंदरा शामिल हैं. संबंधित गांवों में समाख्या की टोलियां घर-घर जाकर लोगों को मतदान के लिए प्रेरित कर रही है. एक या दो प्रयास में बात नहीं बनी, तो दूसरा और तीसरा. जरूरी हुआ तो कुछ गांवों में लगातार अभियान चलाये. हर हाल में यही प्रयास किया जा रहा है कि हर कोई वोट जरूर डालें. वोट जरूर डालें, भले नोटा दबाएं मतदान से कोई वंचित न रहे, इस बात पर पूरा जोर दिया जा रहा है. चौपाल के माध्यम से ग्रामीणों को बताया जा रहा है कि वोट उनका अधिकार है. उन्हें अपने अधिकार का उपयोग करना है. गांव, पंचायत व राज्य के विकास की बात सोंचकर वे अपने नेता का चुनाव करें. धन का लोभ, दबाव, धर्म व जाति के नाम पर वोट करने से बचें. जब कुछ लोगों की शिकायत होती है कि उन्हें कोई नेता पसंद नहीं आ रहा तो नोटा का विकल्प भी समझाया जाता है. यानि वोट जरूर करें, चाहें किसी प्रत्याशी को दें या फिर नोटा का बटन दबायें.

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