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नवजात को गाय दूध पिलाने से डायबिटीज व मोटापा का खतरा

भागलपुर : जवाहर लाल नेहरू मेडिकल अस्पताल में शिशु रोग विभाग में शनिवार को नवजात के लिए मां का दूध सर्वोत्तम विषय पर सेमिनार हुआ. शिशु रोग विभाग के प्रभारी डॉ केके सिन्हा की अध्यक्षता में आयोजित सेमिनार में डॉ दीपक कुमार ने नवजात के लिए मां की दूध कितना महत्वपूर्ण है, इसकी विस्तार से […]

भागलपुर : जवाहर लाल नेहरू मेडिकल अस्पताल में शिशु रोग विभाग में शनिवार को नवजात के लिए मां का दूध सर्वोत्तम विषय पर सेमिनार हुआ. शिशु रोग विभाग के प्रभारी डॉ केके सिन्हा की अध्यक्षता में आयोजित सेमिनार में डॉ दीपक कुमार ने नवजात के लिए मां की दूध कितना महत्वपूर्ण है, इसकी विस्तार से जानकारी दी.

डॉक्टर ने बताया कि बच्चे को जन्म से छह महीने तक आहार के रूप में सिर्फ मां का दूध ही देना चाहिए. वैसे बच्चों को मां का दूध दो साल तक देना मेडिकल साइंस की दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण होता है. जो मां दो साल तक बच्चे को लगातार स्तनपान कराती है, तो वह बच्चा आगे चलकर अन्य बच्चों जिसे गाय का दूध दिया गया है, उससे ज्यादा मानसिक व शारीरिक रूप से मजबूत व बुद्धिमान होता है.

गाय दूध की तुलना में मां के दूध से बच्चों के ब्रेन का विकास ज्यादा, रोग प्रतिरोधक क्षमता और किडनी मजबूत होता है. सबसे अच्छी बात यह है कि मां के दूध का सेवन करने वाले बच्चे मोटापा और डायबिटीज जैसे खतरनाक बीमारी से बच सकते हैं. आजकल ज्यादातर लोगों में डायबिटीज व मोटापा की शिकायत की वजह भी जन्म के समय मां की दूध की जगह गाय का दूध दिया जाना है. डॉक्टर ने बताया कि गाय का दूध गाय के बच्चों के लिए सर्वोत्तम हो सकता है, वह आदमी के लिए सर्वोत्तम नहीं हो सकता है. सेमिनार में मौजूद डॉक्टर व इंटर्न को लोगाें के बीच इस बात की ज्यादा-से-ज्यादा प्रचार-प्रसार करने की बात कही. मौके पर डॉ सुशील भूषण, डॉ खलील अहमद, डॉ राजीव कुमार, डॉ अंकुर प्रियदर्शी, डॉ ब्रजेश के अलावा दर्जनों इंटर्न व सीनियर रेजिडेंट मौजूद थे.

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