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एनडीए व महागंठबंधन बताये-वह अमीरों का विकास चाहती है या गरीबों का : सीपीआई

एनडीए व महागंठबंधन बताये-वह अमीरों का विकास चाहती है या गरीबों का : सीपीआई आर्थिक विषमता के कारण बिहार जैसे गरीब राज्य में करोड़पति उम्मीदवारों की बाढ़ आयी आज लोकतंत्र पैसा तंत्र बनता जा रहा है : सत्यनारायण सिंह संवाददाता, पटना बिहार में चल रहे विधान सभा चुनाव के दौरान ‘विकास’ की चर्चा खूब हो […]

एनडीए व महागंठबंधन बताये-वह अमीरों का विकास चाहती है या गरीबों का : सीपीआई आर्थिक विषमता के कारण बिहार जैसे गरीब राज्य में करोड़पति उम्मीदवारों की बाढ़ आयी आज लोकतंत्र पैसा तंत्र बनता जा रहा है : सत्यनारायण सिंह संवाददाता, पटना बिहार में चल रहे विधान सभा चुनाव के दौरान ‘विकास’ की चर्चा खूब हो रही, लेकिन न एनडीए और न महागंठबंघन बता रहा कि वे किसका विकास करने वाले हैं? मुट्ठी भर अमीरों का या कि विशाल बहुमत की आबादी वाले गरीबों का ? एनडीए और महागंठबंघन से उक्त सवाल शनिवार को सीपीआई के सचिव सत्यनारायण सिंह ने पूछा है. उन्होंने कहा है कि बिहार में शासन कर रहे जदयू नेताओं का दावा है कि दस सालों में राज्य में खूब विकास हुआ है, परंतु सच यह है कि 10 फीसद सबसे अमीर आबादी का ही विकास हुआ है, बाकी 90 फीसद आबादी भयानक गरीबी झेल रही है. बिहार में आर्थिक विषमता भयानक हो गयी है. एक ओर मुट्ठी भर लोगों के पास दौलत का अम्बार लगा है, तो दूसरी ओर गरीबी बढ़ती गयी. बढ़ती आर्थिक विषमता के कारण सबसे गरीब राज्य बिहार में करोड़पति उम्मीदवारों की बाढ़ आ गयी है और पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है. हमारा लोकतंत्र पैसा तंत्र बनता जा रहा है. यह लोकतंत्र पर खतरे का संकेत है. सिर्फ विकास–विकास चिल्लाने का कोई माने–मतलब नहीं है. विकास की रणनीति बदलनी होगी. ट्रिकिल डाऊन यानी ऊपर से नीचे की ओर विकास का सिद्धांत फेल हो गया. अब ट्रिकल अप यानी नीचे से ऊपर की ओर विकास की रणनीति अपनानी होगी. उनके विकास को प्राथमिकता देनी होगी, जो विकास के सबसे पिछले पायदान पर हैं. उन्होंने कहा है कि मजदूरों, किसानों और शहरी तथा ग्रामीण गरीबों और सभी बेरोजगारों को समाज का यह तबका नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार के शासन में उपेक्षित है.

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