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चुनाव को ध्यान में रख लिया गया नेताजी पर फैसला : राजनीतिक दल

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में राजनीतिक दलों ने कहा है कि अगले साल 23 जनवरी से नेताजी से संबंधित फाइलें सार्वजनिक करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फैसला भावनाओं को भुनाते हुये सुभाष चंद्र बोस की विरासत पर कब्जा जमाने की कोशिश है. कांग्रेस और माकपा सहित विपक्षी दलों ने भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री […]

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में राजनीतिक दलों ने कहा है कि अगले साल 23 जनवरी से नेताजी से संबंधित फाइलें सार्वजनिक करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फैसला भावनाओं को भुनाते हुये सुभाष चंद्र बोस की विरासत पर कब्जा जमाने की कोशिश है. कांग्रेस और माकपा सहित विपक्षी दलों ने भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने राज्य में अगले साल विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर फैसला किया है जिसे भाजपा ने खारिज कर दिया है. सत्तारुढ तृणमूल कांग्रेस को लगता है कि मामले का राजनीतिकरण हुआ और इसे खींचा गया, वहीं माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य मोहम्मद सलीम ने कहा कि लोगों के दिलों में नेताजी का जो स्थान है, मोदी उसे हथियाना चाहते हैं क्योंकि आरएसएस-भाजपा का भारत की आजादी के संघर्ष में कोई योगदान नहीं था.

सलीम ने कहा, ‘हम लंबे समय से मांग करते रहे हैं कि फाइलें सार्वजनिक की जाएं. डेढ साल में इसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया? फाइलों को सार्वजनिक किये जाने के फैसले के पीछे मुख्य एजेंडा 2016 विधानसभा चुनावों के पहले नेताजी को लेकर लोगों की भावनाओं को भुनाना है.’ सलीम ने कहा, ‘आरएसएस-भाजपा का भारत के स्वतंत्रता संघर्ष की दिशा में कोई योगदान नहीं है. इसलिए उन्हें संघर्ष का एक प्रतीक चाहिए और यही कारण है कि वे नेताजी की विरासत पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन, उन्हें जानना चाहिए कि नेताजी की विचारधारा आरएसएस की सांप्रदायिक विचारधारा के साथ कभी नहीं रही.’

लंबे समय से की जा रही मांग पर प्रधानमंत्री ने 14 अक्तूबर को घोषणा की थी कि सरकार अगले साल 23 जनवरी से बोस से संबंधित गोपनीय फाइलें जारी करेगी. इससे उम्मीद है कि उनके लापता होने के बारे में सात दशक से बने रहस्य से पर्दा हटेगा. मोदी ने यह भी वायदा किया कि वे इस संबंध में विदेशी सरकारों को भी लिखेंगे और मुद्दे को व्यक्तिगत तौर पर उठाएंगे कि वे अपने पास मौजूद नेताजी से संबंधित फाइलों का सार्वजनिक करें जिसकी शुरुआत दिसंबर में रूस से होगी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने कहा कि अगर मोदी फाइलों को सार्वजनिक किये जाने को लेकर इतने ही गंभीर होते तो वह यह काम सत्ता संभालने के तुरंत बाद कर चुके होते.

अल्वी ने कहा, ‘नेताजी से जुडी फाइलों को लेकर अगर वह जरा भी गंभीर होते तो 2014 में सत्ता में आने के बाद ऐसा कर चुके होते.’ अल्वी ने कहा, ‘यह उनका चुनावी वादा था. हमने उन्हें ऐसा करने से नहीं रोका. लेकिन अब मोदीजी सिर्फ और सिर्फ अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए फाइलें सार्वजनिक करेंगे. वह हर मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं और नेताजी के मुद्दे को भी नहीं छोड रहे हैं.’ पश्चिम बंगाल सरकार भी नेताजी से संबंधित 64 फाइलें सार्वजनिक कर चुकी है.

तृणमूल के सांसद सुल्तान अहमद ने कहा, ‘राज्य सरकार पहले ही 64 फाइलें सार्वजनिक कर चुकी है. केंद्र सरकार अपनी फाइलें सार्वजनिक करने के लिए इतना समय क्यों ले रही है. मामले के राजनीतिकरण की कोशिश हो रही है और इसी वजह से वे मामले को जनवरी तक खींचना चाहते हैं.’ भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एम जे अकबर ने कहा, ‘आरोप निराधार है. देश हित को ध्यान में रखते हुए फैसला किया गया. मोदीजी ने भी कहा है कि इतिहास को दबाने की जरुरत नहीं है. कांग्रेस केवल इसलिए ऐसा कर रही है क्योंकि कांग्रेस ने एक झूठी साजिश रची.’

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