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विकास से दूर, पर राजनीतिक रूप से मुखर दिखे लोग
कौशिक रंजन जहानाबाद और अरवल जिला की सीमा पर स्थित छोटा-सा गांव शंकर विगहा 90 के दशक में आतंक एवं दहशत का परिचायक हुआ करता था. आज यहां की फिजां में सुकून और शांति है. विकास के नाम पर बिजली के खंभे भी गांव में दिखते हैं, जिनमें बिजली भी दिनभर में आधे से ज्यादा […]
कौशिक रंजन
जहानाबाद और अरवल जिला की सीमा पर स्थित छोटा-सा गांव शंकर विगहा 90 के दशक में आतंक एवं दहशत का परिचायक हुआ करता था. आज यहां की फिजां में सुकून और शांति है.
विकास के नाम पर बिजली के खंभे भी गांव में दिखते हैं, जिनमें बिजली भी दिनभर में आधे से ज्यादा समय रहती है. परंतु आज भी यहां तक पहुंचना किसी जंग जीतने से कम नहीं है. जहानाबाद और अरवल के बाजारों में जितनी रौनक दिखने लगी है, उसकी लौ तक यहां नहीं है. आने-जाने के लिए मिट्टी की उखड़-खाबड़ मोटी ‘अलंग (कच्चा रास्ता)’ ही सहारा है.
आसपास के गांव तक पक्की सड़क बन गयी है, लेकिन मुख्य सड़क से इस गांव को जोड़ने वाली करीब दो-तीन किमी सड़क न जाने कितने सालों से वैसी ही पड़ी हुई है. गांव की सड़कों को देखकर आज भी यह लगता है कि विकास की रोशनी इसे नहीं छू पायी है. इन तमाम मुश्किलों के बीच लोकतंत्र के इस महापर्व में यह गांव पूरा बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने के लिए आतुर दिखा. गांव की बूथ पर लंबी कतार लगी थी.
जहानाबाद रहकर एक निजी स्कूल में शिक्षण का कार्य करने वाले गांव के ही अरविंद कुमार ने दिखाया कि यहां के टूटे-फूटे एक सामुदायिक भवन में बूथ है, जहां लोगों की जबरदस्त लाइन लगी हुई है. सुरक्षा के लिए आसपास बीएसएफ के जवानों का एक दल पूरी मुस्तैदी से तैनात दिखा. इससे लोग बेखौफ मतदान कर रहे थे. हालांकि यह वह शंकर विगहा दलित टोला नहीं है, जहां 1999 में गणतंत्र दिवस के पहले 24 से ज्यादा दलितों की रणवीर सेना ने हत्या कर दी थी. यह टोला अरवल जिला में पड़ता है, जो इस गांव से कुछ दूरी पर है.
परंतु इस शंकर विगहा गांव के रामसेवक यादव बताते हैं कि दहशतगर्दी के उन दिनों में वे लोग किस तरह हमेशा खौफ के साये में रहते थे. करीब 50 घर के इस गांव में आज आधे से ज्यादा लोग नौकरी पेशा हैं. इस कारण फूस और खपड़ों से बने घर पक्के छत में बदल रहे हैं.
फिर भी सड़क, समुचित बिजली समेत तमाम मूलभूत सुविधाओं की कमी लोगों को काफी खलती है. दूसरे चरण के मतदान में 32 सीटों में सबसे हॉट सीटों में एक मखदुमपुर में चुनाव के दिन बाजार की रौनक तो शांत दिखी, लेकिन यहां को लोगों में काफी हलचल दिखी. हर कदम मतदान बूथ की बढ़ रहे थे या बूथ से कुछ दूरी पर लोगों का हुजूम वोटर लिस्ट में अपना नाम खोजने और पर्ची लेने के लिए मशक्कत करता दिखा.
मखदुमपुर बाजार के दूसरे छोर पर स्थित मस्जिद की बदल वाली गली में ऊर्दू प्राथमिक विद्यालय में बूथ संख्या 163 मौजूद था. इसके आसपास मुसलिम मतदाताओं की काफी भीड़ लगी हुई थी. पहली बार अपने मत का प्रयोग कर रही शबाना फिरदौस, अफसाना, तहरित तसमीन समेत अन्य ने कहा कि नयी उम्मीद और परिवर्तन के लिए वह मतदान कर रही हैं. घोसी में मतदाताओं का अंदाज कुछ अलग दिखा. अर्द्ध-संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण यहां मतदान का समय शाम 4 बजे तक ही समय था. परंतु कई बूथ तीन बजे तक ही खाली हो गये थे.
जहानाबाद में कहीं चुप्पी तो कहीं मुखर दिखे वोटर
मुख्य सड़क पर मौजूद उचटा गांव में 59 नंबर का बूथ स्थित था. यहां 1271 वोट में सुबह 10 बजे तक 237 वोट पड़े थे. यहां महिलाएं काफी संख्या में दिखी. प्रियंका, गीता, रामवती समेत अन्य महिलाओं ने उत्साहित होकर वोट तो किया, लेकिन कुछ भी बोलने से पूरी तरह से पहेज किया. सधे हुए लहजे में कहा कि ‘परिणामे से पता चलतई, के जीततयी से’. कुछ दूरी पर मौजूद घोषी गांव में 262 नंबर का बूथ था, जिसमें अच्छी संख्या में युवा भी लाइन पर लगे थे. अमित, राहुल ने बताया वह पहली बार वोट कर रहे हैं और परिवर्तन के लिए वोट करने जा रहे हैं.
गृजेश, ममता, संजीव, रमेश पहली बार मतदाता नहीं बने थे, लेकिन परिवर्तन करने के लिए आतुर थे. बेल्दारी विगहा के प्रमोद पासवान ने बताया कि विकास तो हुआ है, लेकिन स्कूली शिक्षा पूरी तरह से चौपट हो गयी है. नागेंद्र बिंद, नरेश बिंद और अन्य लोगों ने भी कहा कि दलित अब जागरूक हो गये हैं.बभना नामक एक ग्रामीण बाजार में एक दो मंजिला बड़ा सा उत्क्रमित मध्य विद्यालय में 180 और 181 नंबर बूथ था. लोग लंबी कतारों में खड़े थे, लेकिन धीमी गति से मतदान होने के कारण नाराज थे.
लाल बहादुर ने बताया कि तय हैं, मतदान किसे करना है. पर बताये क्यों. लोग बता रहे थे कि केंद्रीय बलो की मौजूदगी के कारण मतदान करने में इस बार काफी सुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
पटना-जहानाबाद सड़क पर जिला शुरू होने के कुछ दूर बाद लोदीपुर गांव के पास कढ़ौना ओपी के बगल में एक स्कूल में बूथ संख्या 180 दिखा. लाइन काफी लंबी थी. सुबह 9 बजे तक 1500 में 187 वोट पड़े थे. लोगों ने तो कुछ नहीं बताया, लेकिन तैनात मतदान कर्मी ने बताया कि इवीएम प्रत्येक 8 सेकंड में वोट ले रहा है. पास में एंबुलेंस खड़ा था. तमाम मूलभूत सुविधाएं भी बूथों पर दिखी.
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