12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

टेंशन और अनियमित लाइफस्टाइल बढ़ाती है नसों में कमजोरी

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन यानी नसों की कमजोरी. एक शोध अनुसार इस बीमारी से विश्व में 10 करोड़ से ज्यादा पुरुष जूझते हुए पाए गए हैं जिनमें से 50% की उम्र 40 से 70 वर्ष के बीच है. इसे विकासशील देशों की बीमारी कहा जाता है. क्योंकि विकासशील देशों में अभी तनाव, अनहेल्थी लाइफस्टाइल और दिल के […]

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन यानी नसों की कमजोरी. एक शोध अनुसार इस बीमारी से विश्व में 10 करोड़ से ज्यादा पुरुष जूझते हुए पाए गए हैं जिनमें से 50% की उम्र 40 से 70 वर्ष के बीच है. इसे विकासशील देशों की बीमारी कहा जाता है. क्योंकि विकासशील देशों में अभी तनाव, अनहेल्थी लाइफस्टाइल और दिल के रोग पाए जाते हैं.

विशेषज्ञों का मानना है कि इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और दिल के रोग एक दुसरे से जुड़े हुए हैं. दोनों एक साथ हो सकते हैं और दोनों के ही अपने जोखिम हैं. दोनों के ही पैथोलॉजिकल आधार एक जैसे हैं, क्योंकि दोनों मामलों में तंतुओं की कार्यप्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

विशेषज्ञ कहते हैं कि जब नसों की कमजोरी 60 साल से कम उम्र के पुरुषों में होती है तो यह भविष्य में होने वाले दिल के रोगों के बढ़े हुए खतरे का संकेत भी होती है, जबकि इससे ज्यादा उम्र के लोगों के लिए यह समस्या किसी बड़े खतरे के संकेत वाली नहीं होती. दिल के रोग जैसे रक्त धमनियों का सख्त होना, हाइपरटेंशन और हाई कॉलेस्टरॉल जैसे 70% शारीरिक कारण नसों की कमजोरी की वजह हो सकते हैं.

इन समस्याओं की वजह से दिल, दिमाग और लिंग की ओर रक्त के बहाव में बाधा पैदा हो जाती है. 60 साल की उम्र से ज्यादा के पुरुषों में नसों की कमजोरी की 50 से 60% वजह केवल रक्त धमनियों का सख्त होना होता है.

कई शोधों में यह बात सामने आई है कि नसों की कमजोरी रक्त धमनियों की बीमारी का संकेत होती है, जिससे दिल के प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के मामले और मृत्यु होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसी हालत में यौन संबंध बनाने के दौरान या तुरंत बाद दिल का दौरा पड़ने की आशंका हो सकती है.

दिल के रोग से पीड़ित मरीज के यौन संबंध बनाने के दौरान मायोकार्डियल एस्केमिया के खतरे की जांच के लिए एक्सरसाइज टेस्ट की सलाह दी जाती है. लोगों को नसों की कमजोरी और उससे होने वाले दिल के रोग से बचने के लिए लाइफस्टाइल में आवश्यक बदलाव करने की भी सलाह दी जाती है.

अध्ययन के अनुसार, दिल के रोग से पीड़ितों में नसों की कमजोरी की आशंका 39% तक होती है और तंबाकू का सेवन करने वालों में इसकी आशंका डेढ़ से दोगुना तक हो जाती है. इसलिए बांझपन के विशेषज्ञों के लिए यह बात जाननी अहम है कि दिल के रोग और पुरुषों में नसों की कमजोरी ऐसी आम बीमारी है जो एक साथ होती है और नसों की कमजोरी पुरुषों में दिल के रोगों का संकेत हो सकती है.

अन्य बीमारियां जिनका संबंध नसों की कमजोरी से होता है, उनमें डॉयबिटीज, किडनी की बीमारी, न्यूरोलॉजिकल बीमारी और प्रोस्टेट कैंसर शामिल हैं. चूंकि डायबिटीज लाइफस्टाइल से जुड़ी ऐसी बीमारी है, जिससे नसें और रक्त धमनियां क्षतिग्रस्त हो सकती हैं और पुरुष के यौन अंग में तनाव आने में रुकावट बन सकती है. इसलिए सावधान रहें और अपनी लाइफस्टाइल बेहतर बनाएं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें