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संतुलित आबादी से मिलेगा रोजगार
देश में बढ़ती बेरोजगारी का प्रमुख कारण तीव्रगति से बढ़ रही आबादी है. मूलत: जिस अनुपात में जनसंख्या बढ़ रही है, उस अनुपात में रोजगार का सृजन नहीं हो पा रहा है और न ही निकट भविष्य में इस समस्या का समाधान ही नजर आता है. जब तक बढ़ती जनसंख्या पर रोक नहीं लगायी जायेगी, […]
देश में बढ़ती बेरोजगारी का प्रमुख कारण तीव्रगति से बढ़ रही आबादी है. मूलत: जिस अनुपात में जनसंख्या बढ़ रही है, उस अनुपात में रोजगार का सृजन नहीं हो पा रहा है और न ही निकट भविष्य में इस समस्या का समाधान ही नजर आता है. जब तक बढ़ती जनसंख्या पर रोक नहीं लगायी जायेगी, तब तक समुचित रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं हो सकेंगे. मगर ऐसा करना भी आसान नहीं है.
जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लगाना इसलिए भी संभव नहीं है, क्योंिक अनेकता में एकतावाले इस देश में वििभन्न धर्म एवं संप्रदायों में अलग-अलग मान्यताएं हैं. हमारे समाज में प्राचीन समय से व्याप्त कुरीतियां और रूढ़िवादिता जनसंख्या पर िनयंत्रण पाने में बाधा बन रही है.
इस पर तुर्रा यह कि देश के राजनेता अपनी रोटी सेंकने के लिए न तो समुिचत रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना चाहते हैं और न ही जनसंख्या िनयंत्रण के लिए कठोर नियम लाना चाहते हैं. धर्मनिरपेक्ष देश में जाति, धर्म और संप्रदाय से ऊपर उठ कर जनसंख्या नियंत्रण के लिए आम सहमति के साथ कठोर कानून लाने की जरूरत है. यदि देश के शासक और राजनेता ऐसा करने में सक्षम नहीं होते हैं, तो भारत में विकास के दावे खोखले साबित होते ही रहेंगे.
सरकार को चाहिए कि वे दोनों पक्षों में एक समान कार्य करे. एक ओर तो वह जनसंख्या नियंत्रण पर कठोर कानून लाने की कवायद शुरू करे और दूसरी तरफ उसे जनसंख्या के अनुरूप समुिचत रोजगार के साधन उपलब्ध कराने होंगे. तभी देश में बेरोजगारी की समस्या दूर होगी. सबसे अहम बात यह कि यदि सरकार समुिचत रोजगार के अवसर उपलब्ध कराती है, तो देश की आबादी को अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनने का मौका मिलेगा.
– बैजनाथ प्रसाद महतो, हुरलुंग, बोकारो
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