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बीस वर्षों से एक ही स्थान पर डटे हैं लिपिक

सुपौल : निर्वाचन आयोग द्वारा स्वच्छ और पारदर्शी चुनाव के लिए तरह-तरह के नियम और कानून बनाये गये हैं. चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद कई अधिकारी व कर्मियों के स्थानांतरण किये गये, लेकिन जिला पदाधिकारी के गोपनीय शाखा में पदस्थापित एक लिपिक चुनाव आयोग के नियम कानून से भी ऊपर है और विगत […]

सुपौल : निर्वाचन आयोग द्वारा स्वच्छ और पारदर्शी चुनाव के लिए तरह-तरह के नियम और कानून बनाये गये हैं. चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद कई अधिकारी व कर्मियों के स्थानांतरण किये गये,

लेकिन जिला पदाधिकारी के गोपनीय शाखा में पदस्थापित एक लिपिक चुनाव आयोग के नियम कानून से भी ऊपर है और विगत 19 वर्ष 07 माह से एक ही पद पर पदस्थापित है.

जिले के अधिकारी हों या आम नागरिक उक्त लिपिक को सुपर डीएम मानते हैं. पब्लिक विजिलेंस कमेटी के सचिव अनिल कुमार सिंह द्वारा इस बाबत चुनाव आयोग से की गयी शिकायत पर आयोग ने संज्ञान लेते हुए निर्वाची पदाधिकारी सह सदर अनुमंडल पदाधिकारी से दो दिन के भीतर रिपोर्ट तलब किया है.

मामला डीएम के गोपनीय शाखा से जुड़े रहने के कारण एसडीओ ने डीएम से जांच करा कर प्रतिवेदन देने का अनुरोध किया है. चूंकि मामला हाइप्रोफाइल है और उक्त लिपिक की तूती बोलती है, इसलिए इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. जाहिर है आयोग का डंडा निरीह और कमजोर अधिकारी व कर्मियों पर ही चलता है.

क्या है आरोपपब्लिक विजिलेंस कमेटी के सचिव श्री सिंह द्वारा मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी बिहार, पटना को शपथ पत्र के साथ दर्ज शिकायत में कहा गया है कि 15 फरवरी 1996 को अनुकंपा के आधार पर बहाल अमरेंद्र कुमार झा नियुक्ति तिथि से आज तक एक ही स्थान पर जिला पदाधिकारी के गोपनीय शाखा में प्रतिनियुक्त हैं.

इस दौरान बिहार सरकार द्वारा 20 जिला पदाधिकारी का स्थानांतरण व पदस्थापन किया गया.लेकिन किसी भी डीएम द्वारा एक ही स्थान पर निरंतर जमे लिपिक का स्थानांतरण नहीं किया जा सका. श्री सिंह ने इसे बिहार सरकार मंत्रिमंडल सचिवालय एवं समन्वय विभाग के संकल्प पत्रांक 434 दिनांक 01 मार्च 2007 एवं पत्रांक 881 दिनांक 03 जून 2009 द्वारा निर्गत सरकार के नीतिगत निर्णय का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन मानते हुए कहा है कि

सरकारी सेवक का सेवावधि एक पद पर 03 वर्ष ही है.दो स्थानों पर चलाते हैं गोपनीय शाखा शिकायत पत्र में कहा गया है कि लिपिक श्री झा द्वारा सरकार के निर्देश का उल्लंघन कर मनमाने ढंग से समाहरणालय में गोपनीय शाखा 01 एवं डीएम के आवास पर गोपनीय शाखा 02 चलाते हैं.

जहां श्री झा की मर्जी से कर्मियों की प्रतिनियुक्ति होती है. कहा है कि श्री झा अपने से वरीय किसी भी लिपिक का पदस्थापन गोपनीय शाखा में नहीं होने देते. यदि किसी वरीय लिपिक का पदस्थापन हो भी जाता है, तो उन्हें कम समय में ही गोपनीय शाखा छोड़ कर जाना पड़ता है. उदाहरण स्वरूप लिपिक मदन सादा एवं अविनाश वर्मा के नाम का उल्लेख किया गया है.

प्रशासनिक व्यवस्था को किया हाइजेक लिपिक श्री झा के खिलाफ दर्ज शिकायत में गोपनीय शाखा सहित प्रशासनिक व्यवस्था को हाईजेक करने का आरोप लगाया गया है. शिकायत कर्ता ने कहा है कि लिपिक श्री झा द्वारा गोपनीय शाखा 01 एवं 02 से प्रत्येक वर्ष हजारों पत्र निर्गत होते हैं, जिसमें से लगभग 90 प्रतिशत पत्र संचिका के माध्यम से निर्गत नहीं हैं.

गोपनीय शाखा में सिर्फ निर्गत पत्र की कार्यालय प्रति है. कुछ पत्र संचिका के माध्यम से निर्गत हैं भी उसमें मात्र दर्जन भर पत्र को छोड़ कर शेष पत्र के संचिका को गोपनीय शाखा के प्रभारी पदाधिकारी विशेष कार्य पदाधिकारी के समक्ष ना तो उपस्थापित किया गया और ना ही संचिका पर विशेष कार्य पदाधिकारी का मंतव्य ही लिया गया.

बीते एक वर्ष के दौरान दोनों शाखा से निर्गत पत्रों की जांच का अनुरोध किया गया है.सुपर डीएम की भूमिका में रहते हैं लिपिक आरोप पत्र में कहा गया है कि लिपिक श्री झा सुपर डीएम की भूमिका में रहते हैं.जिनके द्वारा डीएम आवास के बगल में वार्ड नंबर 21 में 01 कट्ठा 07 धूर जमीन पत्नी के नाम पर क्रय किया गया.लेकिन अपने पावर के बल पर कोसी प्रोजेक्ट व सड़क की जमीन को अतिक्रमित कर विशाल महल खड़ा किया गया है.

लिपिक श्री झा के पावर का इसी बात से पता चलता है कि उनके आवास पर होमगार्ड के जवान जवाहर यादव एवं भतैय मुर्मू निजी कार्य करते हैं.इतना ही नहीं कार्यालय एवं बाजार जाने के लिए जिला प्रशासन की गाड़ी का उपयोग करते हैं.जबकि गांव, पटना एवं अन्य स्थानों पर जाने के लिए लिपिक अथवा उनके परिवार के सदस्य अन्य विभाग की सरकारी गाड़ी का उपयोग करते हैं.

ये स्वयं को सुपर डीएम मानते हैं और जिले के अधिकांश अधिकारियों व कर्मियों से सुबह में अपने आवास पर हाजिरी लगवाना पसंद करते हैं.शिकायत कर्ता ने इनके विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का भी आरोप लगाया है.सीएम आवास व प्रधान सचिव के नाम पर करते हैं भयादोहन शिकायत कर्ता ने लिपिक श्री झा पर जिले के अधिकारी व कर्मियों को सीएम आवास व प्रधान सचिव के नाम पर प्रताडि़त कर भयादोहन करने का आरोप लगाया है.

उदाहरण के तौर पर आइसीडीएस के डीपीओ-सीडीपीओ प्रकरण की चर्चा की गयी है. इसमें राघोपुर की सीडीपीओ कुमारी सीमा ने अपने कार्यालय पत्रांक 278 दिनांक 08 मई 2015 द्वारा डीपीओ द्वारा सरकारी मोबाइल से धमकी दिये जाने का आरोप लगाया था.जांच के दौरान डीपीओ ने स्पष्ट कहा था कि उन्हें उक्त नंबर डीएम की गोपनीय शाखा से उपलब्ध करा कर बात कराने के लिए कहा गया था.

निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव को करते हैं प्रभावित शिकायत कर्ता श्री सिंह ने कहा है कि पिछले कई लोकसभा व विधानसभा चुनाव में केंद्रीय बलों, पुलिस बलों की मतदान केंद्रों पर प्रतिनियुक्ति जिला पदाधिकारी द्वारा गोपनीय शाखा के माध्यम से ही किया जाता है.जिसमें गोपनीय शाखा के लिपिक श्री झा की अहम भूमिका होती है.

कहा है कि सभी संचिका लिपिक श्री झा द्वारा ही संधारित होता है.करीब 20 वर्षों से एक ही स्थान पर पदस्थापित लिपिक श्री झा का स्थानीय नेताओं, सांसद, मंत्री व विधायकों से गहरा परिचय है.उनके रहते निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराना संभव नहीं है.चूंकि मामला डीएम के गोपनीय शाखा से जुड़ा है. इसलिए जांच प्रतिवेदन की मांग की गयी है. प्रतिवेदन प्राप्त होते ही आयोग को रिपोर्ट भेजी जायेगी.एनजी सिद्दीकी, निर्वाची पदाधिकारी सह एसडीओ सुपौल

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