\\\\टं३३ी१त्र/ू/रे्उच्चतर शैक्षणिक संस्थान का अभाव \\\\टं३३ी१त्र/र/इचुनावी मुद्दे पर बोले छात्र /इफोटो नाम के साथ ::::::::::दरभंगा : बिहार में हो रहे विधानसभा चुनाव पर सब अपनी राय रख रहे हैं. सब अपने नजरिये से इसे देखते हैं. ऐसे में छात्रों के लिए भी यह चुनाव काफी महत्व रखता है. राजनीतिक दलों के नेताओं से उनकी भी अपेक्षा है. अपने विचार प्रभात खबर के साथ छात्रों ने रखी.बिहार में उच्चतर शैक्षाणिक संस्थान का घोर अभाव है. जो है भी वह क्वालिटी एजुकेशन उपलब्ध नहीं करा पाती. योग्य शिक्षकों का भी अभाव है. ऐसे में बिहार के अधिकांश छात्र छात्राओं को दूसरे प्रदेशों का रुख करना पड़ता है. यह बिहार के पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण भी है. इस दाग को धोने के लिए किसी भी राजनीतिक दलों ने अपनी प्रतिबद्धता नहीं जतायी जो चिंता का विषय है. वैसे बिहार की प्रारंभिक शिक्षा तो पहले से ही बदहाल है. जिसके कारण यहां के बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया है. खालिद अखतर छात्र /इस्वास्थ्य के न्द्रों की बदहाल व्यवस्था/इजिले में स्वास्थ्य के नाम पर ढेर सारे अस्पताल हैं. निजी अस्पतालों की संख्या भी कम नहीं है. पर उसकी व्यवस्था संतोषप्रद नहीं है. आज भी यहां के लोगों को गंभीर बीमारी होने पर या फिर यों कहें गंभीरावस्था में पटना या दिल्ली जाना पड़ता है. विकास का मतलब यह नहीं है कि हम अपनी बुनियादी जरुरतों के लिए भी दूसरे प्रदेशों एवं या शहरों पर मोहताज रहें. डीएमसीएच की स्थिति से केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार दोनों वाकिफ हैं. उत्तर बिहार के कई जिलों को यह स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराता है. पर उचित सुविधा, संसाधन का घोर अभाव है. इसकी बदहाली के कारण ही आज मरीजों को इस अस्पताल पर विश्वास नहीं हो रहा है. परिणाम स्वरुप लोग निजी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए जा रहे हैं. विधानसभा चुनाव में शिक्षा के साथ साथ स्वास्थ्य बड़ा मुद्दा बनना चाहिए. पर अब तक किसी ने भी इस प्रमुख मुद्दों पर कोई बात नहीं रख रहे. /इ मो.आजम महताब/इ/इ छात्र /इ/इभ्रष्टाचार एक लाइलाज बीमारी /इभ्रष्टाचार एक लाइलाज बीमारी की तरह है.इसको कोई इलाज न अब तक हुआ है और न होने की उम्मीद है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि भ्रष्टाचार के दलदल में बड़े बड़े राजनीतिज्ञ जुटे हुए हैं. वरिष्ठ नौकरशाह भी अब तक इस मामले में गिरफ्तर में आ चुके हैं. ऐसे में निचले स्तर पर इसको रोक पाना मुमकिन नहीं है. यह एक ऐसा रोग है जो देश एवं प्रदेश को दीमक की तरह खोखला करती जा रही है. हमें इस पर ध्यान देना होगा. सरकार एवं राजनीतिक दलों को इस पर मंथन करना होगा. ईमानदार प्रयास करने से ही इसे दूर किया जा सकता है. चुनाव में कई ऐसे राजनीतिज्ञों को मैदान में उतारा गया है जिनपर पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं. ऐसे में नयी सरकार से भ्रष्टाचार को समाप्त करने की उम्मीद करना बेमानी होगा. अहमद रजा छात्र/इझूठे वायदों पर चलती है राजनीति/इझूठ वायदों पर आज राजनीति चलती है. चुनाव के समय नेताओं के द्वारा बड़े बड़े वादे किये जाते हैं. पर जीत कर सरकार में आने के बाद उसे भूला दिया जाता है. चुनावी मौसम में एक से बढकर एक आश्वासन एवं वायदे छात्र छात्राओं के लिए सभी पार्टियां कर रही है. पर धरातल पर वह अब तक उतर नहीं पायी. इस बार के चुनाव में भी यही हो रहा है. कई दलों ने छात्रों के लिए लुभावने वादे किये हैं. पर क्या यह पूरा कर पायेंगे. यह भविष्य के गर्त में है. हमें झूठे वायदे करने वाले राजनीतिज्ञों से बचना होगा./इ इस्सास कुमार छात्र/इ/इचरमराती कानून व्यवस्था/इचारपाई को तो चरमराते सुना था.आज कल कानून व्यवस्था भी चरमरा रही है.आये दिन लूट,चोरी छिनतय जैसे मामले बढ गये हैं. अपराध के कारण लोगों में भय का माहौल उत्पन्न हो गया है. किसी घटना के होने पर पुलिस तत्काल सक्रियता तो दिखाती है पर धीरे धीरे से भूल जाती. वह जड़ तक पहुंचने में नाकाम रहती है. जो अपराधी है उसे पकड़कर कड़ी सजा दिलाकर समाज को संदेश देने में विफल रहती है. ऐसे में यह जरुरी है कि कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार हो. चुनाव में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाना चाहिए. जिससे भयमुक्त वातावरण कायम हो सके. सुमित ठाकुर छात्र/इजर्जर सड़कों पर पहले हो कायाकल्प /इशहर की सड़कें जर्जर हैं. फिर गांव की क्या हालत होगी. इसको आप समझ सकते हैं. शहर के लोग टैक्स देते हैं. चाहे वह होल्डिंग टैक्स हो या फिर अन्य टैक्स. फिर भी उन्हें वह सुविधा नहीं मिल पाती, जो जरुरत है. सड़क किसी भी गांव या मुहल्ले की सांस होती है. यदि सांस अवरुद्ध हो जाये तो फिर आप सहज ही उसकी कल्पना कर सकते हैं. हां पिछले कुछ सालों में सड़कों की स्थिति में सुधार का प्रयास किया गया है पर आज भी ढेर सारी सड़कें है जिसका कायाकल्प किया जाना बाकी है. चुनाव में सड़क का मुद्दा अहम होना चाहिए. इसके लिए ठोस कदम उठाने की बात चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्याशियों को करनी चाहिए. वसीम छात्रआयुर्वेदिक और यूनानी संस्थान की कमीआयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा पुरानी खोज है. समय बदला और मनुष्यों का जीने क ा स्टाईल व रफ्तार भी बदल गया. इनकी जगह साईंस ने ले ली.राज्य में गिने चुने ऐसे संस्थान है जो इन्हे अपने कोर्स में शामिल कर रखा है. संस्थान की कमी से जूझ रहे तथा हाईयर स्टडी के लिए दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ता है.संस्थानों के अभाव एवं लोगों को जागरुक करने पर जोर दिया जाना चाहिए. मो. इरफान /इ /इ/इछात्र /इ/इ छात्र
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