अभी त्योहारों का सीजन चल रहा है. ऐसे में, स्कूल और कॉलेजों में काफी लंबी छुट्टी दी जाती है. हमारे देश में तो ऐसे भी आधा वर्ष तो छुट्टी और त्योहारों में ही बीत जाता है. लंबी छुट्टी के दिन विद्यार्थियों की मौज-मस्ती में ही बीत जाते हैं. छात्रों को मौज-मस्ती करनी चाहिए, मगर एक सीमा में रह कर.
उन्हें अपना कर्तव्य नहीं भूलना चाहिए. उनकी पढाई-लिखाई ही सबसे बड़ा कर्म और धर्म है. यही उनके जीवन का मूलाधार है. शिक्षा बिना व्यक्ति का अपना कोई वजूद नहीं रह जाता. आज अगर दुनिया के लोग चांद और मंगल पर जीवन बसाने की कोिशश कर रहे हैं, तो उसके पीछे उनका ज्ञान ही सबसे अहम है.
इसी तरह यदि कोई छात्र ज्ञान प्राप्त करने से वंचित रह जाता है, तो वह अपनी तरक्की से वंिचत हो जाता है. यह बात सही है कि छात्रों को तीज-त्योहारों में घर-परिवार से मिलना जरूरी है. इससे सामािजकता बढ़ती है, लेकिन उसके लिए पढ़ाई बेहद जरूरी है.
– पालूराम हेंब्रम, सालगाझारी