मोटापा और अवसाद का साथ, यानी बीमार है आप. दिमाग का शरीर से सम्बन्ध ही हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ्य का राज है. हमारी सोच, यादें, संवेदनाएं सभी हमारी शारीरिक अवस्थाओं को प्रभावित करती हैं. ठीक इसके उल्ट हमारे शरीर की परिस्थतियां हमारे मन को प्रभावित करती हैं. यही बात हमारे मोटापे और अवसाद का सही कारण होती है.
शोधकर्ताओं का मानना है कि मन और शरीर एक दूसरे की वजह से ही बीमार होते हैं.
यानी व्यक्ति अवसाद में अधिक फैट ले रहा है और इस कुछ भी खा लेने का स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है.
यह सभी क्रियाएं अवसाद का कारण होती हैं और अवसाद में व्यक्ति अपनी ऊर्जा गंवाता जाता है. यह ऊर्जा मनोबल को गिराती है जिसकी वजह से व्यक्ति कुछ भी खाने लगता है. यानी जंक फूड या ऐसे खाद्य पदार्थ जो फैट बढ़ाते हैं. शोधकर्ताओं का भी कहना है कि शरीर में ज्यादा फैट होने का मतलब है कि व्यक्ति अवसादग्रस्त है.
फैट शरीर का अन्दुरुनी पदार्थ नहीं है बल्कि यह शरीर के मेटाबोलिज्म, हॉर्मोन बनाने, और वंशानुगत क्रियाओं जैसे बायोलॉजिकल तरीके से जुड़ा है.
मोटे लोगों में फैट टिश्यू शरीर में कई तरह की छोटी-छोटी कोशिकाओं को बढ़ाता है जो शरीर में कई रोगों के जन्म का कारण होता है.
जर्नल साइकियाट्रिक एनल्स में प्रकाशित रिव्यु के अनुसार, यह सुनने में अच्छा लगता है कि फैट सूजन बढ़ाने वाले हॉर्मोन को कम करता है जो सबसे ज्यादा जानलेवा बिमारियों जैसे- डायबिटीज और हार्ट डिजीज के लिए जिम्मेदार होती है. क्योंकि सूजन भी अवसाद से सम्बंधित है इसलिए एक शोध अनुसार यह छोटी-छोटी कोशिकाए मोटापा और अवसाद को जोड़ने में अंतर्निहित तंत्र का काम करती है.
अगर आप ओवरवेट और अवसाद से ग्रस्त हैं तो यह नेचुरल बात है कि आप ऐसा महसूस करें कि आपकी मानसिक और शारीरक अवस्था ही आपकी गिरती सेहत का मुख्य कारण है.
इससे निजात पाने के लिए जरुरी है इस चक्र को तोड़ना. आपको हेल्थी फूड के साथ ज्यादा एक्टिव भी होना होगा.
पोषणाहार और उचित शारीरिक गतिविधियां आपके मन और शरीर दोनों को स्वस्थ रखेंगी. ख़ास कर अगर आप गहरे अवसाद से ग्रस्त है और मोटे भी है.