नयी दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों और नेताओं के लिए दिशानिर्देश जारी किया है. चुनाव आयोग ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि आयोग बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों और उनके नेताओं द्वारा दिए जा रहे बयानों से काफी दुखी है और उस पर गहरायी से नजर रखे हुए है. आयोग ने कहा कि राजनीतिक भाषणों के स्तर काफी गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है. आयोग ने सलाह जारी करते हुए कहा है कि 17 सितंबर को इसे लेकर आयोग ने एक निर्देश जारी किया था लेकिन वर्तमान में स्थिति संतोषजनक नहीं है.
आयोग ने नेताओं और उनके भाषणों के अवलोकन के बाद लिखा है कि उनके बयान आपसी द्वेष,मतभेद और नफरत के साथ दुर्भावना फैलाने वाले हैं. साथ ही धर्म जाति और समुदाय के आधार पर दिए जाने वाले बयान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हैं.
पार्टियों और प्रत्याशियों से आयोग का कहना है कि एक बार फिर आयोग उन्हें यह याद दिलाना चाहता है कि वो संविधान में प्रदत मौलिक अधिकार के अनुच्छेद 19 (1) में चिन्हित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ख्याल रखें और शालिनता के साथ नैतिकता की सीमाओं का ध्यान रखें. आयोग ने यह सुझाव दिया है कि सभी राजनीतिक दल और उनके नेता के साथ चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को अपने बयानों,भाषणों में अत्यंत संयम और शालिनता बरतनी चाहिए. आयोग ने सभी पार्टियों से अपील की है कि वो अपना व्यवहार ऐसा रखें जो आने वाले चुनावों के लिए एक उदाहरण साबित हो.
गौरतलब हो कि बिहार विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के साथ पार्टी के नेताओं की ओर से व्यक्तिगत तौर पर बयानबाजी की जा रही है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपने भाषण में लालू यादव को चारा चोर कहा वहीं लालू ने अमित शाह को नरभक्षी. चुनाव प्रचार के दौरान काफी आपत्तिजनक बयान आने लगे हैं जिसमें शैतान,ब्रम्हपिशाच और नरभक्षी के साथ समाजभक्षी जैसे शब्दों का प्रयोग हुआ है. इन बयानों के मद्देनजर आयोग ने यह निर्देश जारी किया है.