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फाक्सवैगन मुख्यालय पर पुलिस का छापा, भारत से 389 कारें वापस मंगायी

बर्लिन : फॉक्सवैगन कारों में प्रदूषण जांच में भारी घोटाले के मामले में जर्मन पुलिस ने आज इस कंपनी के मुख्यालय में छापा मारा और अपनी जांच पडताल के तहत फाइलें और हार्डडिस्क लेकर चले गये. फॉक्सवैगन कंपनी के निजी अपार्टमेंट शहर फॉक्सबर्ग तथा अन्य स्थानों पर भी छापा मारा गया. अभियोजकों ने एएफपी को […]

बर्लिन : फॉक्सवैगन कारों में प्रदूषण जांच में भारी घोटाले के मामले में जर्मन पुलिस ने आज इस कंपनी के मुख्यालय में छापा मारा और अपनी जांच पडताल के तहत फाइलें और हार्डडिस्क लेकर चले गये. फॉक्सवैगन कंपनी के निजी अपार्टमेंट शहर फॉक्सबर्ग तथा अन्य स्थानों पर भी छापा मारा गया. अभियोजकों ने एएफपी को यह जानकारी दी. पुलिस ने जांच में काम आने वाले दस्तावेजों और डिजिटल डेटा को जुटाना चाहती है ताकि घोटाले के जिम्मेदार लोगों तक पहुंचा जा सके.

जर्मन पुलिस ने यह कार्रवाई ऐसे समय की है जब फाक्सवैगन के अमेरिकी प्रमुख संसदीय समिति के समक्ष पेश होने के तैयारी में हैं जहां वह यह बता सकते हैं कि उन्हें समूह की कारों में प्रदूषण नियमों के उल्लंघन की संभावना के बारे में एक साल से भी अधिक समय पहले से पता था. जर्मनी की यह प्रमुख कार कंपनी इस समय अपने इतिहास के सबसे बडे संकट के दौर से गुजर रही है. यह संकट उस समय शुरु हुआ जब यह पता चला कि कंपनी की दुनियाभर में 1.10 करोड डीजल वाहनों में ऐसा साफ्टवेयर लगा है जो कि जांच के समय इंजन में उत्सर्जन कम कर देता है और वाहन जांच में सफल हो जाता है.

भारत से 389 पोलो माडल की कारें वापस मंगायी

जर्मनी की वाहन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी फॉक्सवैगन ने भारत में अपनी सबसे ज्यादा बिकने वाली प्रीमियम हैचबैक पोलो की 389 कारों को वापस मंगाया है. कंपनी ने इन गाडियों को खराब हैंडब्रेक को दुरस्त करने के लिए वापस लेने का फैसला किया है. फॉक्सवैगन इंडिया के एक बयान में कहा, ‘स्वैच्छिक सुरक्षा उपाय के तहत फॉक्सवैगन पैसेंजर कार्स भारत में 389 पोलो कारें वापस ले रही है. ये कारें 2015 सितंबर विनिर्मित कारों के एक बैच की हैं. इन कारों को निरीक्षण और हैंडब्रेक में सुधारात्मक मरम्मत के लिए वापस लिया जा रहा है.’

कंपनी के गुणवत्ता आश्वासन विभाग ने तय किया है कि कुछ निश्चित परिस्थितियों में हैंडब्रेक तंत्र प्रभाव गंवा सकता है. इसमें कहा गया है कि फॉक्सवैगन के प्रदर्शन के आकलन से पता चलता है कि कुछ परिस्थितियों में हैंडब्रेक केबल रिटेंशन लीवर (रीयर ब्रेकर लाइनर) में टूट सकता है. कंपनी ने कहा कि जिन ग्राहकों के पास ये वाहन हैं उनसे फॉक्सवैगन के डीलर निरीक्षण और सुधारात्मक मरम्मत के लिए संपर्क करेंगे. यह काम तत्काल शुरू होगा. इसके लिए ग्राहकों से कोई लागत नहीं ली जाएगी.

कंपनी ने कहा, ‘स्टाक में पहचान की गयी पोलो कारों की डिलिवरी प्रत्येक कार के निरीक्षण और मरम्मत का काम पूरा होने के बाद फिर शुरू की जाएगी. कंपनी ने कल पोलो माडल की बिक्री पर रोक लगा दी थी. फॉक्सवैगन ने स्पष्ट किया है कि इससे प्रभावित न होने वाली पोलो कारों की श्रृंखला की डिलिवरी तय समय के अनुसार की जाएगी. फॉक्सवैगन ने कल भारत में अपने डीलरों से अस्थायी तौर पर हैचबैक पोलो की बिक्री रोकने को कहा था. कंपनी ने इसके लिए तकनीकी वजह बताई थी. यह अमेरिका और यूरोप में उत्सर्जन घोटाले से संबंधित नहीं है.

फॉक्सवैगन ने इस साल अप्रैल से अगस्त की अवधि में पोलो की 20,030 इकाइयों का उत्पादन किया. इनमें से 13,827 कारें भारतीय बाजार में बेची गयी जबकि 6,052 का निर्यात किया गया. वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम ने जुलाई, 2012 में स्वैच्छिक नीति की शुरुआत की थी. उसके बाद से वाहन विनिर्माता सुरक्षा मुद्दों पर वाहनों को बाजार से वापस ले रहे हैं. इसकी शुरुआत के बाद से भारत में विभिन्न कार कंपनियों द्वारा 13,25,064 वाहन बाजार से वापस लिए गये हैं. पिछले महीने होंडा कार्स इंडिया ने 2003 से 2012 के दौरान विनिर्मित अपने प्रीमियम स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन सीआर-वी, सेडान सिविक, सिटी और हैचबैक जैज की 2.24 लाख इकाइयां खराब एयरबैग इनफ्लेटर्स को बदलने के लिए वापस ली थी. यह देश में अभी तक इस तरह की सबसे बडी प्रक्रिया है.

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