रांची: नेतरहाट आवासीय विद्यालय नेतरहाट में विगत दस वर्षों से फरजीवाड़ा कर विद्यार्थियों का नामांकन हो रहा है़ नामांकन के समय झारखंड के सक्षम प्राधिकार (एसडीओ) कार्यालय से जारी आवासीय प्रमाण पत्र के आधार पर नामांकन फॉर्म स्वीकार किया जाता है़ झारखंड के बाहर के विद्यार्थी फरजी आवासीय प्रमाण पत्र के आधार पर परीक्षा में शामिल होते हैं. प्रमाण पत्रों की जांच नहीं होने के कारण फरजी विद्यार्थी पकड़े भी नहीं जाते. नामांकन सिस्टम में खामी का लाभ शिक्षा माफिया उठा रहे हैं.
विद्यालय में प्रत्येक वर्ष कक्षा छह में 100 विद्यार्थियों का नामांकन लिया जाता है़ झारखंड गठन के बाद यह निर्णय लिया गया था कि 50 फीसदी सीट पर बिहार के बच्चों का भी नामांकन लिया जायेगा़ बच्चों की पढ़ाई पर आने वाला खर्च बिहार सरकार वहन करेगी, पर बिहार सरकार ने पैसा देने से इनकार कर दिया़ ऐसे में वहां के बच्चों के नामांकन पर रोक लगा दी गयी. इसके बाद से ही फरजी विद्यार्थियों के नामांकन का खेल शुरू हुआ़ वर्ष 2010 में उस समय रांची, लोहरदगा, बोकारो से लगभग 70 विद्यार्थी फरजी पकड़े गये थे़ सभी का नामांकन रद्द कर दिया गया था़ गत कई वर्ष से अनुसूचित जनजाति कोटि के लिए आरक्षित अधिकांश पदों पर लोहरदगा जिले के विद्यार्थियों का ही चयन हो रहा है़ सभी विद्यार्थी एक स्कूल विशेष से परीक्षा में शामिल होते हैं. वे कोचिंग के माध्यम से परीक्षा में शामिल होते है़ इसकी शिकायत भी की गयी थी़, पर कुछ नहीं हुआ़
कोचिंग संस्थान लेते हैं नामांकन का ठेका
राज्य के कुछ काेचिंग संस्थान नेतरहाट विद्यालय में नामांकन का ठेका लेेते है़ कोचिंग संस्थान बच्चों को परीक्षा में शामिल कराते हैं. बच्चों को पास कराने की भी जिम्मेदारी भी कोचिंग संस्थान की होती है़ एक विद्यार्थी के नामांकन के लिए 50 हजार तक लिया जाता है़.
स्कूल की बाध्यता नहीं होने का लाभ
स्कूल की बाध्यता नहीं होने का लाभ शिक्षा माफिया उठाते हैं. फरजी स्कूल या फिर कोचिंग के नाम पर बाहरी विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल कराते हैं. स्थानीय होने के लिए वे फरजी अावासीय प्रमाणपत्र भी बना लेते है़ं जैक ने वर्ष 2013 में चयनित विद्यार्थी के आवासीय प्रमाण पत्रों की जांच के लिए एसडीओ कार्यालय भेजा था, पर रिपोर्ट नहीं आयी.