सीवान : विधानसभा चुनाव को लेकर नेताओं में घमसान तेज हो गया है. मतदाताओं तक अपना संदेश पहुंचा कर उन्हें लुभाने के लिए प्रत्याशियों द्वारा हर संभव कोशिश की जा रही है.
इस आपसी प्रतिस्पर्द्धा में सोशल मीडिया किसी रणक्षेत्र से कम नजर नहीं आ रहा है. स्थानीय खबरों व रोचक संदर्भों पर चर्चा के लिए फेस बुक व ह्वाट्स एप समेत अन्य सोशल साइट लोगों के बीच लोकप्रिय हो रही है, जिसका सबसे बड़ा हिस्सा युवा वर्ग है . ऐसे में विधानसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशियों के प्रचार व मतदाताओं के बीच परिचर्चाओं की खबरों से सोशल साइट पटी पड़ी हैं.
फेस बुक पर अधिक-से-अधिक समर्थकों की संख्या बढ़ाने की प्रत्याशियों में होड़ लगी है. जिले के आठ विधानसभा क्षेत्रों में से तकरीबन सभी दलों के अलावा अन्य प्रत्याशी इस कोशिश में शामिल हैं. फेसबुक से अधिक अब ह्वाट्स एप पर इनकी प्रचार गतिविधियां नजर आ रही हैं. इसके लिए प्रत्याशियों के साथ उनके समर्थक विशेष तौर पर लगे हैं.
प्रत्याशियों के हर दिन के भ्रमण फोटो सहित लोड किये जा रहे हैं. सोशल मीडिया पर चुनावी जंग की रफ्तार आनेवाले दिनों में और तेज होने की उम्मीद है.इंसर्टसोशल मीडिया पर सक्रिय दिखे, तो हो सकती है कार्रवाईचुनाव आचार संहिता के दायरे से सोशल मीडिया भी बाहर नहीं है.
यहां प्रत्याशियों की तस्वीर से लेकर उनके बयान के निहितार्थ पेड न्यूज के रूप में भी निकाले जा सकते हैं. ऐसी स्थिति में आयोग द्वारा आचार संहिता उल्लंघन में मुकदमा दर्ज कराया जा सकता है.डीपीआरओ दिनेश कुमार कहते हैं कि बिना अनुमति के सोशल मीडिया पर किया जा रहा प्रत्याशियों द्वारा कोई भी प्रचार पेड न्यूज के दायरे में है. इस तरह के किसी भी प्रसारण के लिए पहले आयोग से अनुमति लेनी होगी. कानून का उल्लंघन होने पर आचार संहिता की अवहेलना का मुकदमा दर्ज होगा.