नयी दिल्ली : मशहूर गीतकार जावेद अख्तर भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने के जानीमानी लेखिका नयनतारा सहगल के फैसले के समर्थन में आज उतर गए. उन्होंने कहा कि असिहष्णुता की हालिया घटनाएं भारत जैसे देश से उम्मीद नहीं की जाती और इसने अवश्य ही लेखिका को तकलीफ पहुंचाई होगी. समाज में बढती असिहष्णुता के खिलाफ लेखिका सहगल के अपना पुरस्कार लौटाए जाने के बारे में पूछे जाने पर अख्तर ने कहा , ‘‘मैं उनकी पीडा समझ सकता हूं.
वह धर्मनिरपेक्षता और बेहतर मूल्यों की परंपरता से आती हैं तथा जब उन्होंने इस चीज को महसूस किया होगा तो उन्हें अवश्य ही बहुत तकलीफ हुई होगी.” उन्होंने कहा, ‘‘मैं समझ सकता हूं…कोई क्या कह सकता है? यह एक विरोध है लेकिन मुझे लगता है कि समाज में बहुत कुछ किया जाना है क्योंकि आजकल जो कुछ भी हो रहा है, वह बिल्कुल वांछनीय नहीं है.” अख्तर ने कहा, ‘‘और कोई इसे कम से कम हमारे समाज से उम्मीद नहीं करता. मैं ऐसी चीजें भारत में होने की उम्मीद नहीं करता.
ऐसी चीजें किसी और समाज में सुनी जाती हैं, हमारे यहां नहीं.” प्रख्यात पटकथा लेखक ने कहा, ‘‘यह कहने के लिए मैं कौन होता हूं कि उन्हें :सहगल: यह करना चाहिए था या नहीं लेकिन तथ्य यह है कि यह भी एक विरोध है और इसने ध्यान खींचा है तथा लोगों को सोचने पर विवश किया है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया. ” उन्होंने ‘पिजन्स ऑफ द डोम्स’ पुस्तक के विमोचन के मौके पर इस विषय पर बात करते हुए यह कहा. गौरतलब है कि अपने अंग्रेजी उपन्यास ‘रीच लाइक अस’ :1985: को लेकर उन्हें 1986 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था.