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दादरी हत्याकांड : खुली भाजपा की नींद, पढें मामले पर विद्वानों की क्या है राय

नयी दिल्ली : दादरी हत्याकांड को लेकर लगातार जारी नेताओं की बयानबाजी से भाजपा की मुश्‍किलें बढ़ती जा रही है. घटना के आठवें दिन कल भी भाजपा नेता साक्षी महाराज ने विवादित बयान देकर मामले को गर्म कर दिया था. खबर है कि नेताओं के इस प्रकार के बयान से भाजपा आलाकमान नाराज है. सूत्रों […]

नयी दिल्ली : दादरी हत्याकांड को लेकर लगातार जारी नेताओं की बयानबाजी से भाजपा की मुश्‍किलें बढ़ती जा रही है. घटना के आठवें दिन कल भी भाजपा नेता साक्षी महाराज ने विवादित बयान देकर मामले को गर्म कर दिया था. खबर है कि नेताओं के इस प्रकार के बयान से भाजपा आलाकमान नाराज है. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार भाजपा नेतृत्व ने अपने नेताओं को सख्त निर्देश दिए हैं कि कोई भी नेता दादरी हत्याकांड को लेकर किसी भी तरह का बयान न दें,खासकर ऐसे बयान जिससे किसी को ठेस पहुंचे.

खबर है कि स्थानीय विधायक और सांसद को छोड़कर किसी भी नेता को बिसाहड़ा गांव नहीं जाने को कहा गया है. भाजपा ने कहा है कि सपा नेता अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए मामले को गर्म रखना चाहते हैं. इसलिए ऐसा कुछ नहीं करें जिससे अखिलेश सरकार को राजनीतिक फायदा मिले. गौरतलब है कि बीफ खाने की अफवाह पर अखलाक की हत्या के बाद केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा और संजीव बालियान के अलावा विधायक संगीत सोम, उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज ने ऐसे बयान दिए जिसने मामले को और गर्म कर दिया है.

इधर, जेएनयू और दिल्ली विश्वविद्यालय के विद्वानों की एक तथ्यान्वेषी समिति ने दावा किया है कि बीफ खाने की अफवाह को लेकर दादरी में 50 वर्षीय एक व्यक्ति की भीड द्वारा पीट-पीट कर की गई हत्या आवेश में आकर अचानक नहीं हुई थी, बल्कि हिंदुत्ववादी ताकतों ने इसकी योजना बनाई थी. जनहस्तक्षेप नाम के इस संगठन ने उत्तर प्रदेश सरकार पर भी आरोप लगाया कि उसने साम्प्रदायिक ताकतों को खुली छूट दे रखी है. संगठन ने अखलाक की हत्या की उच्चस्तरीय जांच और दोषियों को सजा देने की भी मांग की.

जनहस्तक्षेप की संयोजक इशा मिश्र ने संवाददाताओं से कहा कि इस बारे में पुख्ता सबूत हैं कि यह आवेश में आकर अचानक हुई घटना नहीं थी और हिंदुत्व ताकतों ने इसकी साजिश रची थी. टीम ने बिशहाडा गांव का दौरा कर इन तथ्यों का पता लगाया है. इस रिपोर्ट को जारी करते हुए जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्राध्यापक विकास वाजपेयी ने कहा कि हमारी जांच से इस बात का खुलासा हुआ है कि यह घटना कम तीव्रता वाले, उच्च प्रभाव वाले साम्प्रदायिक तनाव का विस्तार है जिसके निशाने पर मुसलमान थे. संगठन ने केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा की टिप्पणी की भी निंदा की.

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