सीतामढ़ी की पहचान सीता की जन्मस्थली के रूप में है. मिथकों से होते हुए लोगों की जुबान तक यह बात चढ़ चुकी है. लेकिन सीतामढ़ी का जो वर्तमान है, वह कई समस्याओं से दो-चार है. सड़कों पर जाम, औद्योगिक इलाके में घुप अंधेरा और अपराध का बढ़ता ग्राफ आज का सच है. प्रभात खबर के मुजफ्फरपुर संस्करण के संपादक शैलेंद्र की रिपोर्ट.
जात के बीच में विकास करे वाला नेता का खोजइ क हय. नेता जी भले विकास के बात करइ छतिन, लेकिन चुनाव में त जाति पांति हइयै हइ, लेकिन इहो बात हइ कि समाज का विकास होतइ, तो सबके विकास होतइ. चुनाव में हम सब अइसनय प्रत्याशी के खोजबइ.
सीतामढ़ी के किरन चौक पर ये बातें रेडिमेड के कपड़ा बेचनेवाले समीउल्ला अपने रिश्तेदार मंसूर आलम से कह रह हैं, जो उनसे मिलने के लिए गांव से आये हैं. मंसूर खैनी बनाने में मशगूल हैं और समीउल्ला की बात पर केवल सिर हिलाते हैं. इसी बीच दुकान पर ग्राहक आ जाता है, जो मंसूर से मोल-तोल शुरू करता है. दाम की बात होने पर मंसूर समीउल्ला की ओर देखने लगते हैं. बात नहीं बनती और ग्राहक चला जाता है. 8वीं पास समीउल्ला की दुकान सड़क के किनारे हैं, जिसे वो दिन चढ़ने के साथ बांस-बल्ले के सहारे सजाते हैं और रात होने के साथ उजाड़ देते हैं. ये इनका रोज का काम है. इनके यहां सबसे सस्ता कपड़ा हाफ पैंट है, जो 80 रुपये में मिलता है और सबसे मंहगा जींस पैंट, जिसकी कीमत 350 रुपये है.
बढ़ते अपराध से सब चिंतित
समीउल्ला के पास महबूब की फर्नीचर की दुकान है. 35 साल पुरानी दुकान महबूब 23 साल से चला रहे हैं. इससे पहले इनके अब्बू दुकान पर बैठते थे, लेकिन उनका इंतकाल हो चुका है. महबूब की दुकान पर चौकियां (तख्त) ज्यादा हैं. वो कहते हैं एक चौकी कीमत 1500 रुपये हैं. चौकी की कीमत के बहाने राजनीति पर बात शुरू होती है. महबूब ने मन बना लिया है कि किसको वोट देना है. बातचीत के दौरान वो इसका जिक्र भी खुल कर करते हैं.
कहते हैं कि समाज से जाति-पांति जानेवाली नहीं है. किरण चौक से पहले मेहसौल चौक है, जिसे शहर का मुख्य चौक माना जाता है. यहां ट्रैफिक हमेशा रहती है. इसी वजह से बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात हैं. हाल के दिनों में मां सीता की धरती कही जानेवाले सीतामढ़ी में अपराध बढ़ा है. दवा के बड़े व्यवसायी यतींद्र खेतान की हत्या कर दी गयी थी, हालांकि पुलिस ने हत्याकांड के सभी आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया. हाल में ही सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार रहे अजय विद्रोही को भी अपराधियों ने अपना निशाना बनाया. शहर के लोग इस हत्याकांड से सहमे हैं और बातचीत में इसका जिक्र करते हैं. इसी जिक्र के साथ हम मेन रोड पर आगे बढ़ते हैं.
अभी तो मन बना रहे लोग
सीतामढ़ी का मेन रोड ऐसा इलाका है, जहां हर चौक-चौराहे पर जाम की स्थिति रहती है. हमारी मुलाकात किराना की दुकान चलानेवाले सुरेश कुमार से होती है, जो एक पार्टी के हार्डकोर समर्थक हैं. उन्हें अपनी पार्टी में अच्छाई ही अच्छाई नजर आती है. कहते हैं, हमारा तो पूरा मोहल्ला ही हमारी पार्टी का समर्थक है. सुरेश की दुकान पर काम करनेवाले राजेश कुमार कहते हैं, हम तो वोट अपने घरवालों के कहने पर डालते हैं.
यहीं पर डमरू मिलते हैं, जो नेताओं से खफा हैं. कहते हैं, हम्मर सब के समस्या देखे वाला कोइ न हइ. न बिजली हइ, न पानी हइ. हम सब लगातार परेशान रहइ छि. नेता जी सबके वोट बेरि हम्मर सबकै याद पड़इ छइ. इहि बार हम सब केकरो वोट न देबइ. गुस्से में डमरू भले ही वोट नहीं देने की बात करते हैं, लेकिन कुछ ही देर में कहते हैं कि पांच साल में मौका आता है. इसे कैसे छोड़ेंगे. हम वोट जरूर डालेंगे और काम नहीं करनेवाले नेताओं को सबक सिखायेंगे. डमरू से बात हो रही होती है. इसी दौरान निगाह मुनेश्वरी देवी पर पड़ती है, जो अस्सी साल से ज्यादा की हैं. कहती हैं, हमने अभी तय नहीं किया है किसे वोट देना है. मेन रोड पर ही माखन स्वीट्स है.
इसे मुन्ना चलाते हैं. मुन्ना की राजनीति में दिलचस्पी है. शहर पर बात शुरू होती है, तो कहते हैं. पहले हम सम्राट होटल चलाते थे, लेकिन वहां शराबियों का अड्डा लगने लगा, तो होटल बंद करने का फैसला ले लिया. हमने होटल बंद करके इसी दुकान को बढ़ा दिया. अब शांति है. मुन्ना बताते हैं कि शहर में व्यापार करने में समस्या नहीं है. इनकी चिंता पड़ोसी देश नेपाल में चल रहे मधेशी आंदोलन को लेकर है. कहते हैं कि सीमावर्ती जिला होने के कारण हम लोगों के व्यवसाय पर असर पड़ रहा है. पहले नेपाल से बड़े पैमाने पर लोग आते थे, जिनका आना अब बंद हो गया है. ये विवाद जल्द सुलझना चाहिये.
स्ट्रीट लाइट तक नहीं
आठ विधानसभा वाले सीतामढ़ी का औद्योगिक क्षेत्र डुमरा रोड पर पड़ता है, लेकिन यहां की हालत खस्ता. यहां पर स्ट्रीट लाइट तक नहीं है. औद्योगिक क्षेत्र में कई लोगों ने उद्योग की जगह पर अपना घर बसा लिया है. घरों व इक्का-दुक्का लगी छोटी औद्योगिक इकाइयों में जो लाइट लगी हैं. उन्हीं से सड़क पर रोशनी दिखती है. रास्ते में धीरज से मुलाकात होती है. कहते हैं, हाल तो पूछिये ही मत. सब सामने है, कहने की कोई जरूरत नहीं है.
औद्योगिक क्षेत्र में मारूति सर्विस सेंटर चलानेवाले मोहम्मद जलालुद्दीन से बात होती है, तो वो प्रशासनिक नाकामी को औद्योगिक इलाके की बदहाली का जिम्मेवार बताते हैं. कहते हैं कि सरकार की ओर से तो प्रयास किया जा रहा है, लेकिन स्तानीय अधिकारी इसमें रुचि नहीं लेते हैं. इसकी वजह से उद्यमी भी निष्क्रिय बने हुये हैं. जलालुद्दीन बताते हैं कि औद्योगिक क्षेत्र के विकास के नाम पर किसी तरह का फंड नहीं है.
स्पेशल फीडर की मांग
सीतामढ़ी औद्योगिक क्षेत्र के लिए बिजली के स्पेशल फीडर की मांग 1990 से चल रही है, लेकिन अभी तक पूरी नहीं हो सकी है. हर चुनाव के समय यहां के उद्यमी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों से इसकी मांग रखते हैं. आश्वासन भी मिलता है, लेकिन चुनाव के बाद फिर पहले जैसी स्थिति रहती है. जलालुद्दीन कहते हैं कि हम लोगों ने सांसद, विधायक सबको लिखित आवेदन दिया है. उद्योग विभाग ने भी पत्र लिखा, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
जीवन की आपाधापी: मेन रोड ऐसा इलाका है, जहां हर चौक-चौराहे पर जाम की स्थिति रहती है. दूर-दराज जाने के लिए सार्वजनिक परिवहन की हालत इतनी खराब है कि लोग बस पर भी लटक कर सफर करते हैं.
जदयू/भाजपा राजद/लोजपा महागंठबंधन एनडीए
सीतामढ़ी 51664 (भाजपा) 46443 (लोजपा) सुनील कुशवाहा (राजद) सुनील कुमार पिंटू (भाजपा)
रुन्नीसैदपुर 36125 (जदयू) 25366 (राजद) मंगीता देवी (राजद) पंकज मिश्र (रालोसपा)
बाजपट्टी 44726 (जदयू) 41306 (राजद) डॉ रंजू गीता (जदयू) रेखा देवी (रालोसपा)
बथनाहा 49181 (भाजपा) 35889 (लोजपा) सुरेंद्र राम (कांग्रेस) दिनकर राम (भाजपा)
सुरसंड 38542 (जदयू) 37356 (राजद) अबू दोजाना (राजद) साहिद अली खान (भाजपा)
परिहार 32987 (भाजपा) 28769 (राजद) रामचंद्र पूव्रे (राजद) गायत्री देवी (भाजपा)
बेलसंड 38139 (जदयू) 188559 (राजद) सुनीता सिंह चौहान (जदयू) मो नसीर अहमद (लोजपा)
रीगा 48633 (भाजपा) 26306 (कांग्रेस) अमित कुमार टुन्ना (कांग्रेस) मोतीलाल प्रसाद (भाजपा)