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सूखा पर देवघर, दुमका, पाकुड़, जामताड़ा व गोड्डा की खबर

सूखा पर देवघर, दुमका, पाकुड़, जामताड़ा व गोड्डा की खबरसंताल परगना में पीला पड़ने लगे धानसितंबर माह में कम बारिश होने से संताल परगना के साहिबगंज जिले को छोड़ कर शेष पांच जिलों (देवघर, दुमका, पाकुड़, जामताड़ा व गोड्डा) में सुखाड़ की स्थिति है. खेत में धान पीले पड़ने लगे हैं. किसान आसमान की ओर […]

सूखा पर देवघर, दुमका, पाकुड़, जामताड़ा व गोड्डा की खबरसंताल परगना में पीला पड़ने लगे धानसितंबर माह में कम बारिश होने से संताल परगना के साहिबगंज जिले को छोड़ कर शेष पांच जिलों (देवघर, दुमका, पाकुड़, जामताड़ा व गोड्डा) में सुखाड़ की स्थिति है. खेत में धान पीले पड़ने लगे हैं. किसान आसमान की ओर टकटकी लगाये हुए हैं. बारिश नहीं होने के कारण अब किसानों की उम्मीद टूटती नजर आ रही है. हालांकि सभी जिलों में कृषि पदाधिकारी अभी भी सुखाड़ की स्थिति मानने से इनकार कर रहे हैं.—————————————————————-पाकुड़: पानी के अभाव में बरबाद हो रही फसलफोटो संख्या- 15 पाकुड़ से अमड़ापाड़ा प्रखंड में धान के फसल की स्थिति.पाकुड़. पाकुड़ जिले में 49 हजार हेक्टेयर जमीन में धान की रोपनी हुई थी. लेकिन वर्षा के अभाव में अब पौधे मुरझाने लगे हैं. कृषि विभाग के अनुसार, जिले में अब तक 1370.2 मिलीमीटर बारिश हुई है. विभाग के मुताबिक लक्ष्य से महज 0.88 प्रतिशत ही कम बारिश हुई. अधिकांश खेतों में किसानों द्वारा धान की फसल अब काटी जाने लगी है. परंतु लंबी अवधि वाले बीज लगाये जाने के कारण कुछ किसानों को परेशानियां भी हो रही हैं. विभाग की रिपोर्ट के इतर देखें, तो लंबी अवधि वाली धान की फसलों की स्थिति चिंताजनक है. वर्षा नहीं होने के कारण धान की फसल जहां नष्ट हो रही है, वहीं पानी के अभाव में जमीन भी फटने लगी है. किसानों के मुताबिक, यदि एक सप्ताह के भीतर वर्षा नहीं होती है तो खड़ी फसल के दाने प्रभावित होंगे. वैसे जिला कृषि विभाग द्वारा विभाग को भेजी गयी रिपोर्ट के मुताबिक जिले में अब तक सुखाड़ की स्थिति नहीं बनी है. लेकिन अगर समय रहते वर्षा नहीं होती है तो किसानों को परेशानी होने का अंदेशा भी व्यक्त किया गया है. क्या कहते हैं पदाधिकारीअनुमंडल सह जिला कृषि पदाधिकारी पाकुड़ मिथलेश कुमार कालिंदी ने कहा कि पाकुड़ जिले में सुखाड़ की अब तक कोई संभावना नहीं बनी है. अधिकांश किसानों द्वारा धान की अल्पावधि वाली फसल की कटाई की जा चुकी है. जबकि लंबी अवधि वाली फसल भी लगभग तैयार होने की स्थिति में है.——————————————————————-गोड्डा – सरकारी रिपोर्ट में स्थिति अच्छी, जमीन पर खराबतसवीर-01 एवं 02 में बसंतराय की खेत की स्थिति संवाददाता,गोड्डाजिले में सुखाड़ की स्थिति है. लेकिन सरकारी विभाग की रिर्पोट में ऐसा कुछ भी नहीं है. विभाग द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट में जिले में सुखाड़ की संभावना नहीं बतायी गयी है. सरकारी रिपोर्ट में बसंतराय प्रखंड में कम वर्षा के कारण समस्या की स्थिति बतायी गयी है. मात्र 49 मिलीलीटर वर्षा बसंतराय में बसंतराय प्रखंड में सितंबर में मात्र 49 मिलीलीटर वर्षापात दर्ज की गयी है. विभाग की रिपोर्ट में अगस्त माह में भी अन्य प्रखंडों से कम बसंतराय प्रखंड में बारिश बतायी गयी है. तीन माह तक अच्छी वर्षा की बात जुलाई, अगस्त तथा सितंबर माह में जिले में बेहतर बारिश हुई. बारिश की स्थिति प्रखंडवार गोड्डा-122.8 सितंबर, 223.6 मिमी अगस्तपथरगागाम-124.6,330.4बसंतराय-49.,362 महगामा- 120.0- 563.2 ठाकुर गंगटी – 203.6,- 526बोआरीजोर- 112, – 424 सुंदरपहाड़ी- 117.6-378पोडैयाहाट- 70, 348 क्या कहते हैं अधिकारी जिले में बसंतराय प्रखंड को छोड़ कर सुखाड़ की स्थिति नहीं है. रिर्पोट में सितंबर में भी बेहतर बारिश दिखायी गयी है. बसंतराय प्रखंड में सबसे कम वर्षा हुई, वैसे सुखाड़ की स्थिति नहीं है.-सुरेश तिर्की, जिला कृषि पदाधिकारी——————————————————————-देवघर में 35 फीसदी फसल बर्बादसंवाददाता, देवघरइस बार देवघर जिला सूखे की चपेट में है. जरूरत से काफी कम बारिश होने की वजह से देवघर जिले के दस प्रखंडों में 35 फीसदी धान की फसल नष्ट हो चुकी है. नष्ट हुई फसल पानी के अभाव में पीली हो गयी है. ऊपरी जमीन की फसलें सूख चुकी हैं. कृषि विशेषज्ञाें के अनुसार, देवघर में 65 फीसदी खेतों में ही धान की फसलें ठीक-ठाक है. जुलाई माह में जो बारिश हुई, इससे देवघर जिले में 85 फीसदी रोपनी हुई थी. लेकिन डेढ़ माह के दौरान न के बराबर बारिश हुई. इससे खेतों में दरारें आ गयी हैं. ऊपरी क्षेत्र की धान की फसल तो नष्ट हुई ही, निचली जमीन की फसलों में सूखे की वजह से पीलपन आ गया है. निचले इलाकों की फसलों को बचाने के लिए किसानों को पम्पसेट के जरिये कुछ हद तक सिंचाई करना पड़ा. इसी बीच हुई लगभग 15 एमएम बारिश से निचले इलाकों में धान की फसलों में हरियाली तो आ गयी, लेकिन कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्पादन काफी प्रभावित होगा. कृषि विज्ञान केंद्र सुजानी के कृषि वैज्ञानिक परिमल कुमार सिंह के अनुसार लगातार बारिश नहीं होने से धान की फसलें कमजोर हो चुकी थी. बाद में हुई बारिश से फसलों में जान तो आ गयी, लेकिन इस अनुसार उत्पादन नहीं हो पायेगा. धान में दाना आने की संभावना काफी कम है. क्या कहते हैं कृषि पदाधिकारी शुरुआती दौर में बारिश नहीं होने की वजह से ऊपरी क्षेत्र में धान की फसलें काफी हद तक प्रभावित रहीं. लेकिन निचले हिस्से में फसल ठीठ-ठाक थी, अंतिम क्षण में हुई बारिश से फसलों में हरियाली आ गयी . विभाग के अनुसार लगभग 20 फीसदी उत्पादन प्रभावित रहेगा.- एसएन सरस्वती, जिला कृषि पदाधिकारी, देवघर——————————————————————-जामताड़ा में सुखाड़ की स्थितिफोटो : 05 जाम 01जामताड़ा. इस बार पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण जामताड़ा में सुखाड़ की स्थिति बन गयी है. खास कर जामताड़ा जिला में नाला, कुंडहित, फतेहपुर प्रखंड में पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण क्षेत्र के किसानों में मायूसी है. अगर दो-चार दिनों के अंदर बारिश नहीं होती है तो पूरा जिला सूखाग्रस्त हो जायेगा. धान की फसल बरबाद हो जायेगी. कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर माह में मात्र 81.5 एमएम बारिश हुई है. लेकिन, आवश्यकता 247 एमएम बारिश की थी. वहीं अक्तूबर माह में अब तक बारिश नहीं हुई है, जिस कारण पूरा क्षेत्र सुखाड़ की स्थिति में पहुंच गया है. अक्तूबर में 86.5 एमएम बारिश की जरूरत है. एेसे में किसानों के चेहरे पर मायूसी छायी हुई है. अगर बारिश नहीं होती है तो ऊपरी खेतों में लगी फसल पूरी तरह नष्ट हो जायेगी.——————————————————————-दुमका- नहीं हुई सितंबर में अच्छी बारिश, किसान चिंतितसंवाददाता, दुमकासितंबर महीने में भी अच्छी बारिश नहीं होने के कारण दुमका जिले के किसान चिंतित हैं. बारिश के अभाव में धान की फसल प्रभावित हुई है. सबसे अधिक असर ऊंचाई वाली अथवा खेतों या टांड़ जमीन पर पड़ा है. निचले खेतों में अभी तक थोड़ी बहुत नमी है, जिससे किसानों को अब तक राहत है. संताल परगना के अधिकांश क्षेत्रों में पिछले महीने औसत से आधी बारिश भी नहीं मिली. पटवन के साधन नहीं रहने की वजह से किसान झुलस रही अपनी फसल को बचाने में लाचार हैं. ……………………………….सितंबर में कहां कितनी हुई बारिशजिला औसत वास्तविकदुमका 259.2 99.1जामताड़ा 262.5 81.5देवघर 198.9 60.1साहिबगंज 219.9 171.1गोड्डा 189.8 115.0पाकुड़ 431.5 156.9………………………………..बढ़ रही मुश्किलें, पीली हो रही फसलकृषि विज्ञान केंद्र दुमका के कार्यक्रम समन्वयक डॉ श्रीकांत सिंह ने बताया कि धान की फसल के लिए यह स्थिति चिंताजनक है. यह इलाका ऐसा है, जहां कम अवधि वाली फसलें लोग कम लगाते हैं. यहां टांड़ व मध्यम भूमि जो दोमट मिट्टी की प्रकृति की होती है, अधिक है. इसमें स्वर्णा यानी एमटीयू 7029 जैसे धान की फसलें लगी हुई हैं. ये पीली पड़ने लगी हैं. दुमका के गंध्रकपुर, गमरा, चोरकट्टा, कुरुवा आदि में अभी पौधे में दाने विकसित हो रहे हैं, पर पानी के अभाव में सूखा का खतरा मंडरा रहा है.——————————————————————-साहिबगंज में स्थिति ठीकफोटो नंबर 04 एसबीजी 10 हैकैप्सन: सोमवार को जिला कृषि पदाधिकारी मार्शल खालकोसाहिबगंज. साहिबगंज जिले में सुखाड़ की संभावना नहीं है. यह बात जिला कृषि पदाधिकारी मार्शल खालको ने सोमवार को कही. उन्होंने कहा कि 42 हजार 359 हेक्टेयर में धनरोपनी हुई है. यानी 96 प्रतिशत रोपनी हुई. सितंबर में वर्षा पिछले तीन वर्षों की तुलना में अधिक हुई है. अक्तूबर माह में अगर बारिश नहीं होती है, तो उत्पादन पर इसका असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि जिले में कहीं भी जमीन में दरार नहीं आयी है. साहिबगंज में तीन वर्षों में बारिश का रिकार्ड (एमएम में)सामान्य वर्षा वर्ष 2013-14 वर्ष 2014-15 वर्ष 2015-16अप्रैल 30.40 15.4 शून्य 41.06मई 75.0 75.4 188.53 53.48जून 225.40 189.3 169.88 272.98जुलाई 289.90 108.9 361.04. 448.86 अगस्त 244.30 310.3 165.80 410.68सितंबर 218.0 138.88 108.82 171.52————————————————————————————————————————————–

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