वाशिंगटन : प्रवासी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को अमेरिका भेजने वाले एशियाई देशों में भारत शीर्ष स्थान पर है. एशिया से अमेरिका जाने वाले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की कुल 29.6 लाख की आबादी में से 9.5 लाख लोग अकेले भारत के हैं. यह जानकारी एक नयी रिपोर्ट में दी गयी है. नेशनल साइंस फाउंडेशन के नेशनल सेंटर फॉर साइंस एंड इंजीनियरिंग स्टैटिस्टिक्स (एनसीएसइएस) की रिपोर्ट में पाया गया कि वर्ष 2013 के भारत से जुडे ये आंकडे वर्ष 2003 की तुलना में 85 प्रतिशत का इजाफा दिखाते हैं. वर्ष 2003 के बाद से फिलीपीन से आने वाले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की संख्या भी 53 प्रतिशत बढी है. वहीं हांगकांग और मकाउ समेत चीन से आने वाले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की संख्या में इजाफा 34 प्रतिशत का रहा है.
वर्ष 2003 से 2013 तक, अमेरिका में रहने वाले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की संख्या 2.16 करोड से बढकर 2.90 करोड हो गई. इस इजाफे में महत्वपूर्ण बात यह है कि इसी अवधि में प्रवासी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की संख्या 34 लाख से बढकर 52 लाख हो गई. रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग श्रमबल में प्रवासियों की संख्या 16 प्रतिशत से बढकर 18 प्रतिशत हो गयी है. विज्ञान एवं इंजीनियरिंग श्रमबल में प्रवासियों की सबसे बडी संख्या (18 प्रतिशत) कंप्यूटर एवं गणित विज्ञान में कार्यरत है, जबकि दूसरी बडी संख्या (आठ प्रतिशत) इंजीनियरिंग में कार्यरत है.
लाइफ साइंटिस्ट, कंप्यूटर एंड मैथेमेटिकल साइंटिस्ट और सोशल एंड रिलेटेड साइंटिस्ट नामक तीन पेशों में वर्ष 2003 से 2013 तक प्रवासियों के लिए रोजगार में पर्याप्त वृद्धि देखने को मिली है. एनसीएसइएस की रिपोर्ट में पेश किये गये आंकडे वर्ष 2013 की एसइएसटीएटी से लिए गये हैं. यह ऐसा समाकलित डाटा सिस्टम है, जो साइंस एवं इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में पढाई करने वालों और रोजगार करने वालों की समग्र तस्वीर पेश करता है.