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विद्युत वितरण कंपनियों का कर्ज पहुंचा 4 लाख करोड़ रुपये के पार

नयी दिल्ली: सरकार विद्युत वितरण कंपनियों की खराब होती स्थिति में सुधार लाने के लिये राज्य विद्युत वितरण कंपनियों के ऋण पुनर्गठन पर काम कर रही है. इन कंपनियों की वजह से भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-निष्पादित राशि (एनपीए) बढी है. वित्त सचिव रतन पी. वाटल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम इस […]

नयी दिल्ली: सरकार विद्युत वितरण कंपनियों की खराब होती स्थिति में सुधार लाने के लिये राज्य विद्युत वितरण कंपनियों के ऋण पुनर्गठन पर काम कर रही है. इन कंपनियों की वजह से भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-निष्पादित राशि (एनपीए) बढी है. वित्त सचिव रतन पी. वाटल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम इस मामले में विद्युत मंत्रालय के साथ साथ दबाव में चल रही विद्युत वितरण कंपनियों वाले आठ राज्यों के साथ काफी नजदीकी से काम कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि पिछले डेढ साल में विद्युत क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है. विशेषतौर पर विद्युत वितरण कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर सरकार का सबसे ज्यादा ध्यान रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘इस समस्या का स्थायी निदान तलाशने के लिये हम उर्जा मंत्रालय और राज्यों के साथ इस तरह से काम कर रहे हैं ताकि 12वें और 13वें वित्त आयोग की अवधि में जो वित्तीय मजबूती हासिल की गई वह सुनिश्चित की जा सके …. वित्तीय पुनर्गठन योजना तैयार करते समय, जिससे कि विद्युत वितरण कंपनियों को और राजस्व बढाने को प्रोत्साहन मिले.’ सूत्रों के अनुसार केंद्रीय मंत्रिमंडल इस सप्ताह नौ राज्यों के विद्युत वितरण कंपनियों के 4.3 लाख करोड़ रुपये के ऋण के पुनर्गठन पर विचार कर सकता है ताकि उनकी देनदारियों में कुछ कमी लाई जा सके.
सूत्रों के अनुसार –उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, राजस्थान, मध्य प्रदेश और झारखंड — सहित नौ राज्यों की विद्युत वितरण कंपनियों पर 4.3 लाख करोड रुपये का कर्ज है. राज्यों में बिजली की सस्ती दरों के चलते राज्य विद्युत वितरण कंपनियों के पास नकदी की तंगी है और उनका सालाना नुकसान 60 हजार करोड रुपये तक पहुंच गया है

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