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दादरी में भीड़ द्वारा एक बुजुर्ग व्यक्ति की हत्या से देश में दुख और क्षोभ का माहौल है. आज आवश्यकता इस बात की है कि समूचा समाज इस भयावह त्रासदी पर आत्ममंथन करे और यह तय करे कि आज के बाद इस तरह की कोई भी वारदात नहीं होने दी जायेगी. पर, बड़े अफसोस की […]

दादरी में भीड़ द्वारा एक बुजुर्ग व्यक्ति की हत्या से देश में दुख और क्षोभ का माहौल है. आज आवश्यकता इस बात की है कि समूचा समाज इस भयावह त्रासदी पर आत्ममंथन करे और यह तय करे कि आज के बाद इस तरह की कोई भी वारदात नहीं होने दी जायेगी. पर, बड़े अफसोस की बात है कि ऐसी कोई भावना नजर नहीं आ रही है, बल्कि पूरे परिवेश को विषाक्त करने की कोशिशें हो रही हैं. विभिन्न दलों के नेता मृतक के परिजनों से मिलने उनके गांव जा रहे हैं.

उन्हें परिवार की अकेले छोड़ देने की चाह की परवाह नहीं है. अगर मान भी लें कि इन दौरों का राजनीतिक प्रयोजन नहीं है और नेताओं का उद्देश्य पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना और सहानुभूति प्रकट करना है, लेकिन जिस तरह के बयान दिये जा रहे हैं, जैसे आरोप-प्रत्यारोप लगाये जा रहे हैं, उनसे तो यही संकेत मिलता है कि नेतागण अपने निहित स्वार्थों को साधने में ही लगे हैं. एक केंद्रीय मंत्री और एक कथित साध्वी प्राची ने जो बयान दिये हैं, वे आपराधिक और अनैतिक हैं.

उनके बयान संवेदनशीलता और तार्किकता की परिधि से कोसों दूर हैं. ऐसी घृणास्पद बातें कहनेवालों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए. पुलिस और प्रशासन ने कुछ ऐसी हरकतें की हैं, जो गैरकानूनी हैं. सरकार को जिम्मेवार अधिकारियों को सजा देकर प्रशासनिक अमले को कठोर संदेश देना चाहिए. दादरी की घटना न सिर्फ हमारी संवैधानिक व्यवस्था पर हमला है, बल्कि मनुष्यता के उच्च आदर्शों का भी प्रतिकार है. इससे हमारे सामाजिक सौहार्द को गंभीर ठेस पहुंची है. एक राष्ट्र के रूप में हमारी आकांक्षाएं विकास और समृद्धि की हैं ताकि हम आधुनिक विश्व में एक महत्वपूर्ण उपस्थिति बन सकें. क्या दादरी जैसी पाशविक और बर्बर घटनाओं के माध्यम से इन आकांक्षाओं की प्राप्ति कर सकेंगे? क्या सतही राजनीति तथा मंत्री और साध्वी के स्तरहीन जहरीले बयान इस देश को सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से संपन्न और सक्षम बना सकेंगे? दादरी के हत्यारों और घृणा की राजनीति को दंडित कर देश में परस्पर भरोसे का वातावरण बनाते हुए विनाशकारी तत्वों को मजबूत संदेश देने की जरूरत है.

विकास के मार्ग पर अग्रसर भारत में हिंसा, बर्बरता और द्वेष का कोई स्थान नहीं हो सकता है. परस्पर विश्वास पर आधारित नागरिकों की साझी और सामूहिक भागीदारी राष्ट्र-निर्माण की आधारभूत आवश्यकता है. दादरी की घटना पर हमारा रवैया हमारे भविष्य की दशा और दिशा को तय करेगा.

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