रक्सौल : अपने हक के लिए लगातार 50 दिनों से आंदोलन कर रहे मद्येशियों के हौसले में किसी तरह की कमी नहीं दिखायी दे रही है, बल्कि रोज-रोज बुलंद हौसले के साथ मद्येशी नो-मेंस लैंड पर पहुंच रहे है.
नो-मेंस लैंड पर बैठकर नेपाल की आर्थिक नाकेबंदी से नेपाल सरकार के समक्ष कई तरह की समस्या उतपन्न हो गयी है.
नेपाल में पब्लिक ट्रांसपोर्ट बिल्कूल बंद हो गया है. होटल और रेस्टोरेंट बंद हो रहे है. बैंकों के भी कामकाज डीजल व पेट्रोल की कमी के कारण बाधित हो रहा है. ऐसे में नेपाल सरकार काफी दबाब में है.
मद्येशियों की मांग पर सकारात्मक बातचीत के बजाय ऐसी संभावना जतायी जा रही है कि सरकार सख्ती से पेश आने के मूड में है.
नो-मेंस लैंड पर जारी 11 वें दिन के धरना को और आगे बढ़ने से रोकने के लिए नेपाल पुलिस कभी भी बल प्रयोग कर सकती है. इस तरह के कयास मद्येशी नेताओं के साथ-साथ आम लोग लगा रहे है. सरकार की इस मंशा को भाप कर मधेशी नेता धरना में अपनी संख्या बढ़ाने की कवायद में जूट गये है.
इससे पहले मद्येशी नेता एक तरफ से निश्चित थे कि नो-मेंस लैंड पर नेपाल सरकार सख्ती नहीं कर सकती है. जबकि ऐसी खबर आ रही है कि मद्येशियों के साथ सकारात्मक वार्ता के बजाय नो-मेंस लैंड से उन्हें बलपूवर्क हटा कर बंद आपूर्ति को शुरू करने की योजना है.
यहीं कारण है कि रविवार को नो-मेंस लैंड पर अन्य दिनों की तुलना में रविवार को लगभग दोगुनी देखी गयी. जबकि संख्या बढ़ाने के लिए मद्येशी कार्यकर्ता जी जान से जूटे हुये है.
मद्येशी नेता प्रदीप यादव का कहना है कि सरकार पहले ही दमन की नीति अपना चुकी है और यदि उस रास्ते पर लौटती है तो कोई आश्चर्य नहीं होगा. हालांकि मद्येशी जनता किसी भी कुबार्नी के साथ अपना हक लेने के लिए कायम है.