लाइम एक ऐसी बीमारी है जो विरले ही देखने को मिलती है लेकिन विश्व में इससे पीड़ित लोगों की संख्या में हर साल इजाफा होता जा रहा है. यह टिक्क के काटने से होता है. इसे स्थानीय भाषा में कलीली, किलनी कहा जाता हैं.
लाइम बीमारी के टिक्क कुत्तों में, भेड़ में और अन्य जानवरों में पाए जातें हैं. आमतौर पर टिक्क के काटने से कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन यदि टिक्क के काटने के बाद बुखार आ जाए तो यह खतनाक हो सकता है.
लाइम डिजीज की चेयरमैन, डॉ. स्टेला कहती हैं कि, यह बैक्टीरियल इन्फेक्शन होता है जिसका इलाज एंटीबायोटिक्स के साथ किया जाता है. तुरंत किया गया इलाज ज्यादा प्रभावशाली होता है.
स्टेला कहतीं हैं कि यह कोई संक्रामक रोग नहीं है. ये सिर्फ टिक्क के काटने से ही होता है न की किसी व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को होना मुमकिन नही है. लेकिन ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच सकता है. यह जानवरों से एक दूसरे जानवर के पास आसानी से जा सकता है. जो कुत्ते, बिल्ली, गाय, घोड़े आदि द्वारा एक दूसरे तक जा सकते हैं.
उन्होंने कहा कि बीमारी के मामले कितने है यह वो नहीं बताना चाहती क्यूंकि यह बहुत ज्यादा है लेकिन उन लोगों के आंकड़े हम जरुर बताते हैं जो ब्लडटेस्ट के बाद इस रोग के संभावित रोगी नहीं पाए जाते. इस तरह के लोगों के करीब 1200 मामले साल भर में देखने को मिलते हैं.
कई मामलों का पता तब चलता है जब उनका संक्रमण शरीर पर दानों के रूप में, छिल जाने के रूप में सामने आता है. अधिकतर मामलों में लोग ब्लड टेस्ट से बचते हैं. लेकिन ऐसा करना खतरनाक हो सकता है.
ज्यादातर दिखने वाले लक्षण
· –फ्लू जैसे लक्षणों का होना, जैसे- बुखार, सर दर्द आदि.
· –थकान
· –सूजन
· –जॉइंट पैन
· –हल्की और गहरी सेंस्टिविटी
· –असामान्य त्वचा संबंधी परिवर्तन जैसे- झनझनाहट, खुजली, खिंचाव आदि.
· –गर्दन का अकड़ना
· –दाने होना